पटना: आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार की राजनीतिक दलों ने तैयारी शुरू कर दी है. बिहार में विकास की पॉलिटिक्स अब सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सबके लिए जरूरी है. 17 महीने के दौरान लिये गए फैसलों पर तेजस्वी यादव अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं. तो दूसरी तरफ बिहार की सत्ता धारी एनडीए की डबल सरकार तेजस्वी को श्रेय नहीं मिले इसकी कोशिश में लगा है. ऐसे में विकास बिहार में 2025 के लिए बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है.
2020 में तेजस्वी ने बनाया था नौकरी को मुद्दा: 2025 का चुनाव ऐसे में विकास के मुद्दे पर लड़ा जाएगा यह माना जा रहा है. 2020 में भी तेजस्वी यादव ने 10 लाख नौकरी देने का वादा पहले कैबिनेट में किया था, लेकिन तेजस्वी यादव के नेतृत्व में सरकार नहीं बनी है. जब नीतीश कुमार ने पाला बदला तब तेजस्वी यादव को सरकार में उपमुख्यमंत्री बनने का मौका मिला तो 17 महीना में किए गए सरकार के कार्य को अपनी उपलब्धि बता रहे हैं और एक तरह से विकास के मुद्दे पर बिहार में पॉलिटिक्स हो रही है.
जदयू नेता नीतीश को ही दे रहे क्रेडिट: अभी प्रधानमंत्री ने एम्स के निर्माण की शुरुआत की है. इस पर भी तेजस्वी यादव का कहना है की जमीन उन्हीं के समय दिया गया. केंद्र सरकार तो शोभना में जमीन को लेने के लिए तैयार नहीं थी. तेजस्वी यादव का दावा है कि उनके उपमुख्यमंत्री रहते इसी तरह सड़क, स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्र में बड़े फैसले लिया गया था. भाजपा जदयू के साथ NDA के नेता बिहार में हो रहे हैं विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार को क्रेडिट दे रहे है.
श्रेय लेने में लालू से तेजस्वी आगे: कभी लालू प्रसाद यादव वोट के लिए विकास जरूरी नहीं मानते थे, लेकिन अब उनके बेटे तेजस्वी यादव बिहार के विकास में श्रेय लेने में पीछे नहीं है. महागठबंधन की सरकार में तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री के साथ कई विभागों के मंत्री थे और 17 महीने के दौरान लिये गए फैसलों पर तेजस्वी यादव अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं. वहीं बिहार में नौकरी रोजगार और विकास एनडीए सरकार की देन बीजेपी जदयू के नेता बताने में लगे हैं.
"तेजस्वी यादव आज जॉब मैन के रूप में जाने जाते हैं. 17 महीने के कार्यकाल में उन्होंने लाखों जॉब दिये हैं. आगे भी जब आएंगे तो जॉब देंगे. जब विकास किया है तो श्रेय क्यों नहीं लेंगे."- शक्ति यादव, मुख्य प्रवक्ता आरजेडी
'लालू को सिर्फ तेजस्वी की चिंता': जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन का कहना है कि जहां तक विकास की बात है तो लालू यादव तेजस्वी की बात करते हैं. कभी बिहार की बात नहीं करते हैं. लालू यादव को तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना है, लेकिन नीतीश कुमार बिहार की चिंता करते हैं. उन्हें अपने बेटे के लिए कोई एलाइंस बदलने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा किउपमुख्यमंत्री के तौर पर कोई शपथ ग्रहण भी नहीं होता है. यहां तक की कैबिनेट की बैठक ही मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में होती है जो भी फैसले लिए आते हैं.
"बिहार में नौकरी -रोजगार और आधारभूत संरचना के विकास की बात है तो बिहार ने मुकम्मल ऊंचाई हासिल की है. क्योंकि बिहार को नीतीश कुमार जैसा विजनरी लीडर मिला है." -राजीव रंजन, जदयू राष्ट्रीय प्रवक्ता
केवल विकास ही नहीं और भी मुद्दे: राजनीतिक विशेषज्ञ प्रिय रंजन भारती का कहना है कोई भी अब विकास के मुद्दे को नजरअंदाज नहीं कर सकता है क्योंकि लोगों को नौकरी, रोजगार, आधारभूत संरचना बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य हर हाल में चाहिए. इन बातों के साथ जाएगा जनता उन्हीं के साथ जाएगी और सभी दलों को यह अब पता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि केवल विकास ही मुद्दा रहेगा कई अन्य मुद्दे भी रहेंगे.
"लालू प्रसाद यादव जरूर कभी यह कहते थे कि वोट विकास के मुद्दे पर नहीं मिलता है, लेकिन 15 सालों तक नीतीश कुमार के विकास के साथ जनता रही है लालू यादव और उनकी पार्टी सत्ता से बाहर रही इस दौरान, तभी उन्हें सत्ता में फिर से आने का मौका मिला जब नीतीश कुमार एनडीए छोड़ उनके साथ गए. तेजस्वी यादव इसको देख रहे हैं समझ रहे हैं.इसलिए उनकी सोच लालू प्रसाद यादव से अलग है." - प्रिय रंजन भारती, राजनीतिक विशेषज्ञ
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