रांची: मंत्रिमंडल के पूर्ण गठन कर लेने के बाद अपने सभी सहयोगी मंत्रियों के साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रोजेक्ट भवन मंत्रालय में पहली औपचारिक कैबिनेट बैठक की. जिसमें एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव को सहमति प्रदान की गई.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मीडिया के माध्यम से खुद इसकी जानकारी राज्यवासियों को देते हुए कहा कि उनकी सरकार का यह फैसला मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंने कहा कि राज्य में माइनिंग गतिविधियां सबसे अधिक होती हैं. देश का 40% खनिज संपदा हमारे राज्य में है लेकिन खनन से प्रभावित और विस्थापित होनेवाले लोगों के लिये हमारी कोई नीति नहीं थी. इसलिए आज की कैबिनेट में हमने यह फैसला लिया है कि बहुत जल्द हम विस्थापन आयोग का गठन करेंगे. जो विस्थापित लोगों या निकट भविष्य में विस्थापन का दंश झेलने वाले लोगों का आर्थिक-सामाजिक सर्वे कर एक मसौदा और डाटा बेस तैयार करेगा.
मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि विस्थापन आयोग एक दस्तावेज तैयार कराएगी कि खनन से हमारे लोग क्या खोते हैं और बदले में उन्हें क्या मिलता है. विस्थापन के शिकार ग्रामीण लोगों को कैसे राहत पहुंचाई जाए, इसके लिए सरकार एक नीति बनाएगी.
पदभार ग्रहण कर राज्य के विकास में तेजी से जुटेंगे सभी मंत्री- हेमंत
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को प्रोजेक्ट भवन स्थित मंत्रालय में मीडिया कर्मियों से बातचीत में कहा कि अब राज्य की जनता के लिए अपनी जिम्मेदारी निभाना है और विकास को गति देना ही हमारा उद्देश्य है. उन्होंने कहा कि मंगलवार को पदभार ग्रहण करने के साथ ही सभी मंत्री अपने-अपने कार्य में लग जाएंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने सभी मंत्रियों को यह निर्देश दिया है कि जितने भी जनहित की योजनाएं राज्य में चल रही हैं. उनकी अभिलंब समीक्षा करें, वर्तमान स्थिति में उन जनहित योजनाओं की क्या स्थिति है इसका आकलन करें और धरातल पर अगर कोई शिकायत आती है तो उसे तुरंत दूर करें.
प्रोजेक्ट भवन से नहीं गांव से चलेगी हमारी सरकार- हेमंत सोरेन
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि उन्होंने पहले ही स्पष्ट कर रखा है कि उनकी सरकार प्रोजेक्ट भवन मंत्रालय से नहीं बल्कि गांव और ग्रामीणों के बीच से चलेंगी. क्योंकि उनकी प्राथमिकता में गांव है. राज्य में आंदोलित सहायक पुलिस कर्मियों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में हेमंत सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार संवेदनशील सरकार है और किसी को भी धरना प्रदर्शन करने की जरूरत नहीं है. हर समस्या का समाधान बातचीत से होता है और सहायक पुलिस कर्मियों की समस्याओं का समाधान भी वह बातचीत से ही होगा.
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