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सीएम धामी ने बाह्य सहायतित परियोजनाओं की समीक्षा, अधिकारियों को प्राथमिकता के आधार पर कार्य करने के निर्देश

externally aided projects देहरादून में आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बाह्य सहायतित परियोजनाओं को लेकर समीक्षा बैठक आयोजित की. बैठक में सीएम ने सभी अधिकारियों को बाह्य सहायतित परियोजनाओं के कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही कार्यों की समीक्षा करने की भी बात कही है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 9, 2024, 7:53 PM IST

देहरादून: बाह्य सहायतित परियोजनाओं की समीक्षा को लेकर आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की. इस दौरान अधिकारियों को राज्य में संचालित बाह्य सहायतित परियोजनाओं को धरातल पर उतरने में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही वर्तमान में जो परियोजनाएं केन्द्र स्तर पर गतिमान हैं, उन परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए केन्द्र स्तर पर बेहतर ढंग से पैरवी हो सके, इसके लिए संबंधित विभाग, ऐसे प्रस्ताव को रेजिडेंट कमिश्नर को भेजने के भी निर्देश दिए गए हैं.

प्रस्ताव का किया जाए अध्ययन और परीक्षण: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि केन्द्रांश और राज्यांश की 90 और 10 फीसदी की अनुपात वाली योजनाओं को पहली प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाए. साथ ही केन्द्र सरकार के लिए जो भी प्रस्ताव बनाये जा रहे हैं, उनका अध्ययन और परीक्षण के साथ-साथ परियोजना के सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाए और फिर भेजा जाए. उन्होंने कहा कि विभाग अपनी परियोजनाओं को केन्द्र सरकार में जिस विभाग को भेज रहा है, उस विभाग से नियमित बातचीत करे और सभी विभागीय सचिव खुद जिम्मेदारी लें.

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सीएम धामी ने बाह्य सहायतित परियोजनाओं की समीक्षा

कार्य की स्थिति की समीक्षा करें अधिकारी: बाह्य सहायतित परियोजनाओं के तहत ऊर्जा, आपदा प्रबंधन, ग्राम्य विकास और वित्त विभाग में संचालित तमाम योजनाओं की समीक्षा के दौरान सीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि समीक्षा बैठक के दौरान जो भी निर्णय लिये जाते हैं, उससे संबंधित कार्यों में तेजी लाने के लिए विभागीय सचिव, उन निर्णयों को लागू करने के लिए विभागीय आदेश जारी करें. साथ ही कार्य की स्थिति का भी लगातार समीक्षा करते रहे.

सीएम बोले समय पर हो कार्य: सीएम धामी ने कहा कि केन्द्रीय जल आयोग की ओर से राज्य में मौजूद बांध और बैराजों की मजबूती के लिये वर्ल्ड बैंक की सहायता से 274 करोड़ रुपए की लागत से संचालित योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से बांधों एवं बैराजों के संचालन और प्रबंधन में सुधार के साथ-साथ नियंत्रण और निगरानी प्रणाली के आधुनिकीकरण और विद्युत उत्पादन में वृद्धि होगी. लिहाजा, इस परियोजना को जल्द से जल्द धरातल पर उतारने के लिये सभी संबंधित विभागों से समन्वय बनाते हुए तय समय पर कार्य पूरा करें.

राज्य की वित्तीय रिपोर्ट समय पर करें तैयार: मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड लोक वित्तीय प्रबंधन सुदृढ़ीकरण परियोजना की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य की वित्तीय रिपोर्ट समय पर तैयार करें, राज्य के आंतरिक लेखापरीक्षण प्रणाली को और अधिक बेहतर बनाने, बजट और क्रय संबंधी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही शहरी क्षेत्रों के सालाना वित्तीय विवरण तैयार करने और शहरी स्थानीय निकायों के संपति कर संग्रह की वृद्धि के लिए भी समेकित प्रयास करने के निर्देश दिए हैं.

सरलीकरण पर भी ध्यान दें अधिकारी: उत्तराखंड सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन सुदृढ़ीकरण परियोजना की कुल लागत 274.6 करोड़ रुपये है. जिसके तहत सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन के सुदृढ़ीकरण के अलावा राजस्व प्रबंधन प्रणाली के सुदृढ़ीकरण, शहरी स्थानीय निकायों और राजकीय उद्यम में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन को मजबूत बनाने, परियोजना प्रबंधन और निगरानी के साथ ही मूल्यांकन के कार्य किये जाने हैं. सीएम ने प्रोक्योरमेंट प्रोसेस और फंडिंग एजेंसी के स्तर पर मिलने वाली वित्तीय सहायता प्रक्रिया के सरलीकरण पर भी ध्यान देने को कहा है. जिससे योजनाओं के क्रियान्वयन में आसानी हो सके.

रीप योजना ग्रामीण परिवारों की आय को करेगी दोगुना: ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना (रीप) की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना ग्रामीण परिवारों की आय को दोगुना करने के साथ पलायन को रोकने में सहायक होगी. आजीविका से संबंधित गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए फार्म मशीनरी बैंकों में महिलाओं की भागीदारी के साथ-साथ किसानों को आधुनिक कृषिकरण से जोड़ने में काफी मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि जनहित से जुड़ी सभी योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए सभी संबंधित विभागों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी.

उत्तराखंड आपदा तैयारी से संबंधित परियोजनाओं की हुई समीक्षा: इसके अलावा मुख्यमंत्री ने राज्य में संचालित उत्तराखंड आपदा तैयारी से संबंधित परियोजनाओं की भी समीक्षा की. इसी बीच उन्होंने कहा कि 1640 करोड़ रुपए की लागत की 6 साल की इस योजना से राज्य में जलवायु परिवर्तन और आपदा के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी. साथ ही वनाग्नि को रोकने, आपदा प्रबंधन केन्द्रों के सुदृढीकरण के साथ-साथ इससे संबंधित अवस्थापना सुविधाओं के विकास में भी मदद मिलेगी.

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देहरादून: बाह्य सहायतित परियोजनाओं की समीक्षा को लेकर आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की. इस दौरान अधिकारियों को राज्य में संचालित बाह्य सहायतित परियोजनाओं को धरातल पर उतरने में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही वर्तमान में जो परियोजनाएं केन्द्र स्तर पर गतिमान हैं, उन परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए केन्द्र स्तर पर बेहतर ढंग से पैरवी हो सके, इसके लिए संबंधित विभाग, ऐसे प्रस्ताव को रेजिडेंट कमिश्नर को भेजने के भी निर्देश दिए गए हैं.

प्रस्ताव का किया जाए अध्ययन और परीक्षण: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि केन्द्रांश और राज्यांश की 90 और 10 फीसदी की अनुपात वाली योजनाओं को पहली प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाए. साथ ही केन्द्र सरकार के लिए जो भी प्रस्ताव बनाये जा रहे हैं, उनका अध्ययन और परीक्षण के साथ-साथ परियोजना के सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाए और फिर भेजा जाए. उन्होंने कहा कि विभाग अपनी परियोजनाओं को केन्द्र सरकार में जिस विभाग को भेज रहा है, उस विभाग से नियमित बातचीत करे और सभी विभागीय सचिव खुद जिम्मेदारी लें.

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सीएम धामी ने बाह्य सहायतित परियोजनाओं की समीक्षा

कार्य की स्थिति की समीक्षा करें अधिकारी: बाह्य सहायतित परियोजनाओं के तहत ऊर्जा, आपदा प्रबंधन, ग्राम्य विकास और वित्त विभाग में संचालित तमाम योजनाओं की समीक्षा के दौरान सीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि समीक्षा बैठक के दौरान जो भी निर्णय लिये जाते हैं, उससे संबंधित कार्यों में तेजी लाने के लिए विभागीय सचिव, उन निर्णयों को लागू करने के लिए विभागीय आदेश जारी करें. साथ ही कार्य की स्थिति का भी लगातार समीक्षा करते रहे.

सीएम बोले समय पर हो कार्य: सीएम धामी ने कहा कि केन्द्रीय जल आयोग की ओर से राज्य में मौजूद बांध और बैराजों की मजबूती के लिये वर्ल्ड बैंक की सहायता से 274 करोड़ रुपए की लागत से संचालित योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से बांधों एवं बैराजों के संचालन और प्रबंधन में सुधार के साथ-साथ नियंत्रण और निगरानी प्रणाली के आधुनिकीकरण और विद्युत उत्पादन में वृद्धि होगी. लिहाजा, इस परियोजना को जल्द से जल्द धरातल पर उतारने के लिये सभी संबंधित विभागों से समन्वय बनाते हुए तय समय पर कार्य पूरा करें.

राज्य की वित्तीय रिपोर्ट समय पर करें तैयार: मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड लोक वित्तीय प्रबंधन सुदृढ़ीकरण परियोजना की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य की वित्तीय रिपोर्ट समय पर तैयार करें, राज्य के आंतरिक लेखापरीक्षण प्रणाली को और अधिक बेहतर बनाने, बजट और क्रय संबंधी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही शहरी क्षेत्रों के सालाना वित्तीय विवरण तैयार करने और शहरी स्थानीय निकायों के संपति कर संग्रह की वृद्धि के लिए भी समेकित प्रयास करने के निर्देश दिए हैं.

सरलीकरण पर भी ध्यान दें अधिकारी: उत्तराखंड सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन सुदृढ़ीकरण परियोजना की कुल लागत 274.6 करोड़ रुपये है. जिसके तहत सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन के सुदृढ़ीकरण के अलावा राजस्व प्रबंधन प्रणाली के सुदृढ़ीकरण, शहरी स्थानीय निकायों और राजकीय उद्यम में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन को मजबूत बनाने, परियोजना प्रबंधन और निगरानी के साथ ही मूल्यांकन के कार्य किये जाने हैं. सीएम ने प्रोक्योरमेंट प्रोसेस और फंडिंग एजेंसी के स्तर पर मिलने वाली वित्तीय सहायता प्रक्रिया के सरलीकरण पर भी ध्यान देने को कहा है. जिससे योजनाओं के क्रियान्वयन में आसानी हो सके.

रीप योजना ग्रामीण परिवारों की आय को करेगी दोगुना: ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना (रीप) की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना ग्रामीण परिवारों की आय को दोगुना करने के साथ पलायन को रोकने में सहायक होगी. आजीविका से संबंधित गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए फार्म मशीनरी बैंकों में महिलाओं की भागीदारी के साथ-साथ किसानों को आधुनिक कृषिकरण से जोड़ने में काफी मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि जनहित से जुड़ी सभी योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए सभी संबंधित विभागों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी.

उत्तराखंड आपदा तैयारी से संबंधित परियोजनाओं की हुई समीक्षा: इसके अलावा मुख्यमंत्री ने राज्य में संचालित उत्तराखंड आपदा तैयारी से संबंधित परियोजनाओं की भी समीक्षा की. इसी बीच उन्होंने कहा कि 1640 करोड़ रुपए की लागत की 6 साल की इस योजना से राज्य में जलवायु परिवर्तन और आपदा के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी. साथ ही वनाग्नि को रोकने, आपदा प्रबंधन केन्द्रों के सुदृढीकरण के साथ-साथ इससे संबंधित अवस्थापना सुविधाओं के विकास में भी मदद मिलेगी.

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