शिमला: ऊना जिले के कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव बीजेपी और कांग्रेस के लिए चुनौतियों से भरा रहने वाला है. स्थानीय नेताओं के असंतोष के बीच कांग्रेस के बागी देवेंद्र भुट्टो बीजेपी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, कांग्रेस ने सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू के करीबी विवेक शर्मा को टिकट थमाया है. अब ये सीट सीएम सुक्खू की प्रतिष्ठा का भी सवाल बन गई है.
कुटलैहड़ सीट डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री के गृह जिले ऊना में आती है. ऐसे में डिप्टी सीएम और सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू दोनों इस सीट पर जीत का परचम लहराने का प्रयास करेंगे. कांग्रेस के बागी देवेंद्र भुट्टो ने 2022 के विधानसभा चुनाव में कुटलैहड़ विधानसभा सीट बीजेपी के पूर्व मंत्री वीरेंद्र कंवर को हराकर उलटफेर किया था. वीरेंद्र कंवर 2003 से लेकर 2017 तक यहां जीत का चौका लगा चुके थे, लेकिन 2022 में जीत का पंजा लगाने से चूक गए. देवेंद्र भुटटो इससे पूर्व में भी भाजपा के भी सदस्य थे. वीरेंद्र कंवर के साथ उनकी खासी नजदीकियां थी, लेकिन बाद में दोनों में मनमुटाव हो गया और भुटटो ने कांग्रेस का दामन थाम लिया, अब एक बार फिर भुट्टो ने घर वापसी की है. बगावत के बाद भुट्टो को प्रत्याशी बनाने पर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने नराजगी भी जाहिर की थी.
बीजेपी प्रत्याशी की राह में चुनौतियां: भुट्टो को टिकट दिए जाने के बाद कुटलैहड़ से पूर्व विधायक वीरेंद्र कंवर कोप भवन में चले गए थे. उन्होंने बीजेपी की बैठकों से एकदम से किनारा कर लिया था. चुनावी रणनीति से भी उनकी दूरी देखने को मिली थी. उन्होंने बीजेपी हाईकमान से दोबारा टिकट वितरण पर सोच विचार करने के लिए कहा था. राजीव बिंदल उन्हें मनाने उनके घर भी गए थे, लेकिन उनकी नाराजगी दूर नहीं कर पाए थे. पार्टी बैठकों की अनुपस्थिति पर देविंदर भुट्टो ने कहा था कि कंवर उनके घर के सदस्य हैं और उनके साथ बैठकर बातचीत की जाएगी. कंवर का कोप भवन में जाना भुट्टो के लिए मुश्किलें खड़ा कर सकता है. वहीं, कांग्रेस सीएम सुक्खू की अगुवाई में एकजुट नजर आ रही है. कांग्रेस की पहली प्राथमिकता जीत हासिल करने पर है, ताकि सरकार के ऊपर छाए संकट के बदलों से निकाला जाए.
सीएम सुक्खू हमलावर: बागी विधायकों और बीजेपी पर सीएम सुक्खू हमलावर रहे हैं. खुले मंच से मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि बागी विधायक 15-15 करोड़ रुपये में बिके हैं. ये जनबल की लड़ाई धनबल से है और इसका जवाब जनता 1 जून को देगी और बीजेपी के मंसूबों पर पानी फेर देगी. जयराम का सिलाया हुआ कोट रखा ही रह जाएगा. वहीं, बागी विधायक भी जनता के बीच इमोशनल कार्ड खेल रहे हैं और सीएम पर उनकी सुनवाई ना करने का आरोप लगा रहे हैं.
अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि कांग्रेस का दामन छोड़ बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवारों को जनता एक बार फिर सदन में पहुंचाएगी या नहीं. वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का कहना है कि छह सीटों पर उपचुनाव में न केवल सीएम व डिप्टी सीएम की साख दांव पर है, बल्कि भाजपा के भी उस दावे की परीक्षा है जिसमें वो सरकार गिरने की बात कह रही है. कांग्रेस के लिए हमीरपुर व ऊना की सीटों पर स्थिति सत्ता में होने के कारण मजबूत है, लेकिन उसकी लड़ाई नई परिस्थितियों में भाजपा के मजबूत कैडर और बागियों के पर्सनल समर्थकों की मिलीजुली ताकत से है.