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धर्मशाला में सुक्खू सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे मजदूर, केंद्र सरकार के खिलाफ भी की जोरदार नारेबाजी

Joint Trade Union Committee Dharamshala, citu rally dharamshala: आज धर्मशाला में हिमाचल प्रदेश संयुक्त ट्रेड यूनियन संघर्ष समिति के बैनर तले मजदूरों ने हिमाचल सरकार और केंद्र सरकार के खिलाफ रोष रैली निकाली. पढ़ें पूरी खबर...

citu rally dharamshala
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 7, 2024, 7:04 PM IST

धर्मशाला: बुधवार को धर्मशाला में सैकड़ों मजदूरों ने प्रदेश और केंद्र सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया. मजदूरों ने कोतवाली बस अड्डा से कचहरी अड्डा तक केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार के खिलाफ रोष रैली निकाली और नारेबाजी की. बुधवार को हिमाचल प्रदेश संयुक्त ट्रेड यूनियन संघर्ष समिति के बैनर तले ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष प्रेमचंद चौधरी, राज्य महासचिव रविंद्र सिंह रवि, इंटक के जिलाध्यक्ष संजय सैनी, सीटू के जिलाध्यक्ष रविंद्र कुमार के नेतृत्व में धर्मशाला में रोष मार्च निकाला.

'1 लाख 31 हजार क्लेम बोर्ड के पास लंबित': इस दौरान उन्होंने जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन भेजा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 50 दिन काम करने वाले मनरेगा मजदूरों का निर्माण, कामगार एवं कल्याण बोर्ड में बतौर लाभार्थी पंजीकरण बंद कर दिया, लेकिन प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने आते ही सभी निर्माण मजदूरों का ही पंजीकरण बंद कर दिया. पांच लाख मजदूर पंजीकृत हैं और उनकी योजना का लाभ बंद कर दिया. 1 लाख 31 हजार क्लेम बोर्ड के पास तीन वर्ष से लंबित हैं और उन्हें नष्ट किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यूनियन की कानूनी तस्दीक बंद कर दी. गरीब मजदूरों को उनके कानूनी अधिकार नहीं दिए जा रहे हैं. भवन या अन्य निर्माण कामगार कानून का उल्लंघन हो रहा है. बोर्ड के सचिव और अन्य अधिकारियों को कानून की कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि 23 दिसंबर 2023 को सभी जिलाधीशों के माध्यम से मुख्यमंत्री और श्रममंत्री को ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन आज तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है.

कांगड़ा के सीटू महासचिव अशोक कटोच ने ज्यादा जानकारी देते हुए बताया कि भवन व अन्य निर्माण कामगार कानून का उल्लंघन हो रहा है. बोर्ड के सचिव और अन्य अधिकारियों को कानून की कोई जानकारी नहीं है. लॉ डिपार्टमेंट की सलाह नहीं मानी जा रही. सुप्रीम कोर्ट तक के आदेशों का उल्लंघन हो रहा है. बोर्ड में पड़ा मजदूरों का धन पिछली सरकार ने अपने निजी हितों पर खर्च किया. अब ये सरकार भी श्रमिक फंड को अपनी एडवर्टाइजमेंट पर खर्च कर रही है. अधिकारी बोर्ड की गाड़ियों में घूम रहे हैं. बोर्ड के अधिकारी मौज मस्ती में लगे हुए हैं, लेकिन कानूनून जो 95 प्रतिशत फंड निर्माण कामगारों पर खर्च होना था वो फिजूलखर्च हो रहा है. इस रोष मार्च के बाद मुख्यमंत्री को डीसी के माध्यम से ज्ञापन सौंपा गया है.

ये भी पढ़ें- हिमाचल में कांग्रेस की टिकट चाहिए तो 10,000 रुपये के साथ करें आवेदन, 15 फरवरी लास्ट डेट

धर्मशाला: बुधवार को धर्मशाला में सैकड़ों मजदूरों ने प्रदेश और केंद्र सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया. मजदूरों ने कोतवाली बस अड्डा से कचहरी अड्डा तक केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार के खिलाफ रोष रैली निकाली और नारेबाजी की. बुधवार को हिमाचल प्रदेश संयुक्त ट्रेड यूनियन संघर्ष समिति के बैनर तले ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष प्रेमचंद चौधरी, राज्य महासचिव रविंद्र सिंह रवि, इंटक के जिलाध्यक्ष संजय सैनी, सीटू के जिलाध्यक्ष रविंद्र कुमार के नेतृत्व में धर्मशाला में रोष मार्च निकाला.

'1 लाख 31 हजार क्लेम बोर्ड के पास लंबित': इस दौरान उन्होंने जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन भेजा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 50 दिन काम करने वाले मनरेगा मजदूरों का निर्माण, कामगार एवं कल्याण बोर्ड में बतौर लाभार्थी पंजीकरण बंद कर दिया, लेकिन प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने आते ही सभी निर्माण मजदूरों का ही पंजीकरण बंद कर दिया. पांच लाख मजदूर पंजीकृत हैं और उनकी योजना का लाभ बंद कर दिया. 1 लाख 31 हजार क्लेम बोर्ड के पास तीन वर्ष से लंबित हैं और उन्हें नष्ट किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यूनियन की कानूनी तस्दीक बंद कर दी. गरीब मजदूरों को उनके कानूनी अधिकार नहीं दिए जा रहे हैं. भवन या अन्य निर्माण कामगार कानून का उल्लंघन हो रहा है. बोर्ड के सचिव और अन्य अधिकारियों को कानून की कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि 23 दिसंबर 2023 को सभी जिलाधीशों के माध्यम से मुख्यमंत्री और श्रममंत्री को ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन आज तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है.

कांगड़ा के सीटू महासचिव अशोक कटोच ने ज्यादा जानकारी देते हुए बताया कि भवन व अन्य निर्माण कामगार कानून का उल्लंघन हो रहा है. बोर्ड के सचिव और अन्य अधिकारियों को कानून की कोई जानकारी नहीं है. लॉ डिपार्टमेंट की सलाह नहीं मानी जा रही. सुप्रीम कोर्ट तक के आदेशों का उल्लंघन हो रहा है. बोर्ड में पड़ा मजदूरों का धन पिछली सरकार ने अपने निजी हितों पर खर्च किया. अब ये सरकार भी श्रमिक फंड को अपनी एडवर्टाइजमेंट पर खर्च कर रही है. अधिकारी बोर्ड की गाड़ियों में घूम रहे हैं. बोर्ड के अधिकारी मौज मस्ती में लगे हुए हैं, लेकिन कानूनून जो 95 प्रतिशत फंड निर्माण कामगारों पर खर्च होना था वो फिजूलखर्च हो रहा है. इस रोष मार्च के बाद मुख्यमंत्री को डीसी के माध्यम से ज्ञापन सौंपा गया है.

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