चित्तौड़गढ़ : 15 साल पहले बेगूं कस्बे में आयोजित उर्स के जुलूस में देश विरोधी नारे लगाने वाले 6 लोगों को अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बेगूं ने कारावास और अर्थ दंड की सजा सुनाई है. अपने निर्णय में पीठासीन अधिकारी डॉ. पीयूष जैलिया ने विशेष टिप्पणी करते हुए कहा कि सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वालों में भय होना आवश्यक है.
सहायक अभियोजन अधिकारी सुनीता चावला ने बताया कि कोर्ट ने इस मामले में 6 आरोपियों को दोषी ठहराया, जिनमें बेगूं के बबलू शोएब उर्फ असलम, हैदर खान, शौकत खान, आबिद हुसैन, आरिफ अंसारी और मोइनुद्दीन उर्फ खाजू खान को 5 साल के कारावास से दंडित किया. वहीं, आरोपियों पर एक-एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. जुर्माना नहीं भरने पर उन्हें एक-एक महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा.
सुनिता चावला ने बताया कि वर्ष 2009 में शहर में उर्स के जुलूस के दौरान आरोपियों ने 'हिंदुस्तान मुर्दाबाद, पाकिस्तान जिंदाबाद' जैसे भड़काऊ नारे लगाकर सांप्रदायिक सौहार्द को बिगड़ने की कोशिश की थी. अभियोजन पक्ष द्वारा मामले से संबंधित सबूत पेश किए गए. उन्होंने बताया कि न्यायाधीश ने अपने फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा कि सांप्रदायिक स्वास्थ्य बिगाड़ने वाले लोगों में कानून का भय होना जरूरी है, ताकि समाज के असामाजिक तत्वों द्वारा फैलाई जाने वाली वैमनस्यता पर लगाम लगाई जा सके और आम जनता को सही संदेश मिले.