पाकुड़: ग्रामीण इलाकों के 3 से 6 वर्ष की आयु के आंगनबाड़ी केंद्रों में नामांकित बच्चों का समग्र विकास सुनिश्चित करने के साथ- साथ उन्हें स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक पोषण प्रदान करने के लिए जिला समाज कल्याण विभाग ने कवायद तेज कर दी है. पोषण भी पढ़ाई भी, प्रशिक्षण के जरिये आंगनबाड़ी सेविकाओं को सभी आवश्यक जानकारियां दी जा रही हैं ताकि वे इसका उपयोग अपने-अपने आंगनबाड़ी केंद्रों में करते हुए नामांकित बच्चों का ठहराव सुनिश्चित करने के साथ-साथ उन्हें बेहतर शिक्षा प्रदान कर सकें. जिससे कि इन बच्चों को सरकारी स्कूलों में एडमिशन वक्त किसी तरह की परेशानी न हो.
जिला समाज कल्याण विभाग की इस पहल से खिचड़ी परोस केंद्र के रूप में आंगनबाड़ी केंद्रों की पूर्व से मिली पहचान खत्म होगी. बल्कि अब गांव के बच्चों का बौद्धिक, शैक्षणिक और शारीरिक विकास भी आगे चलकर बेहतर होगा. इसी पहल के तहत जिले के 1167 आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविकाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि खेल-खेल में बच्चों को गुणवत्ता आधारित शिक्षा मुहैया कराने एवं उन्हें पौष्टिक आहार देने का काम किया जा सके. इन बच्चों का सरकारी स्कूलों में नामांकन के समय किसी तरह की दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़े.
जिले के 1167 आंगनबाड़ी केंद्रों में नामांकित बच्चों के पोषण और प्रांरभिक शिक्षा में सुधार को लेकर पोषण भी पढ़ाई भी कार्यक्रम की सफलता को लेकर जिले के 6 प्रखंडों की सेविकाओं को प्रशिक्षण देने का काम किया जा रहा है. प्रशिक्षण का मकसद उच्च गुणवत्ता वाला प्री स्कूल नेटवर्क तैयार करना है. इस कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण ले रही आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविकाएं, केंद्रों में भावी पीढ़ी की नीव मजबूत करने के लिए कम से कम दो घंटे की अच्छी गुणवत्ता की प्री स्कूल शिक्षा देने के साथ साथ कुपोषण को खत्म करने में उनके अभिभावकों को जागरूक और प्रेरित करने का भी काम करेंगी.
प्रशिक्षण लेने वाली सेविकाएं अपने-अपने आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की प्रारंभिक बाल्यावस्था की देखभाल के साथ-साथ खेल-खेल में शिक्षा मुहैया कराने का काम करेंगी ताकि प्रारंभिक शिक्षा के बाद जब ये नौनिहाल स्कूलों में दाखिला लें, उसके पहले इनकी बौद्धिक और शारीरिक क्षमता इतनी मजबूत हो जाय कि उन्हें विद्यालयों में कठिनाईयों का सामना न करना पड़े.
जिला समाज कल्याण पदाधिकारी बसंती ग्लाडिस बाड़ा ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों को खिचड़ी परोस स्कूल समझ लिया गया है और इस धारणा को बदलने के लिए पोषण भी पढ़ाई भी कार्यक्रम की शुरूआत की गयी है. इस कार्यक्रम के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों का शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास किया जाना है.
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