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सरगुजा में शिशु संरक्षण माह की शुरुआत, क्या है इसका उद्देश्य, जानिए - शिशु संरक्षण कार्यक्रम

Child Protection Month समाज में रहने वाला हर व्यक्ति स्वस्थ और सुपोषित होगा, तभी उसकी प्रगती संभव है. जब व्यक्ति प्रतिशील होगा, तभी देश भी सशक्त हो सकेगा. इसलिए देश भर में केंद्र और राज्य सरकार शिशु संरक्षण कार्यक्रम चलाती है. आज ईटीवी भारत बताने जा रहा है कि शिशु संरक्षण कार्यक्रम क्या हैं और छत्तीसगढ़ में इसे कैसे संचालित किया जा रहा है. इसके लिए हमने अलग अलग विभाग के अधिकारियों से खास बातचीत की है.

Child Protection Month
सरगुजा में शिशु संरक्षण माह
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 18, 2024, 11:18 AM IST

Updated : Feb 18, 2024, 5:06 PM IST

सरगुजा में शिशु संरक्षण माह की शुरुआत

सरगुजा: कुपोषण एक ऐसा दंश है, जो व्यक्ति की नींव कमजोर कर देता है. जब किसी बच्चे का जन्म होता है, उस वक्त उसे सही पोषण की जरूरत होती है. पहले 5 वर्ष तक बच्चे का सही पोषण होने से वह पूरे जीवन काल में स्वस्थ्य रहता है. हमारे देश के पिछड़े इलाकों में यह एक गंभीर समस्या बनी हुई है. हांलाकि सरकार इस दिशा में काम कर रही है. राज्य और केंद्र सरकार कई शिशु संरक्षण कार्यक्रम चला रहे हैं.

बच्चों का किया जा रहा टीकाकरण: महिला बाल विकास अधिकारी जेआर प्रधान बताते हैं, "शिशु संरक्षण कार्यक्रम, छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संयुक्त रूप से चलाया जाता है. इसमें मुख्य भूमिका स्वास्थ्य विभाग की होती है. ऐसे बच्चे जिनका टीकाकरण नहीं हो सका है, उनके टीकाकरण के लिये सप्ताह में विशेष दिन निर्धारित किया गया है. इस दिन स्वास्थ्य विभाग बच्चों का टीकाकरण करता है. हम लोग सिर्फ सहयोगी होते हैं."

शिशु संरक्षण के लिए विशेष अभियान: स्वास्थ्य विभाग के डीपीएम डॉ राम कहते हैं, "शिशु संरक्षण कार्यक्रम के लिये एक महीने का विशेष अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत कलेक्टर महोदय के निर्देश पर एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है. इस टीम के द्वारा 0 से 5 साल के सभी बच्चों को पोलियो की खुराक दी जा रही है. साथ ही चिन्हांकित 84011 बच्चों को विटामिन ए और 93360 बच्चों को आयरन की खुराक पिलाई जा रही है."

16 फरवरी से 22 मार्च तक महाभियान: सरगुजा में शिशु संरक्षण माह 16 फरवरी से 22 मार्च तक चलाया जायेगा. 3 मार्च को पल्स पोलियो टीकाकरण का महाभियान चलाया जायेगा. सभी शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं, आंगनबाडी केन्द्रों एवं टीकाकरण सत्र स्थल पर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (एएनएम), मितानिनों द्वारा बच्चो को ये दवा दी जायेगी.

शिशु संरक्षण कार्यक्रम कुपोषण होगा खत्म: माहिला एवं बाल विकास विभाग के बाल संरक्षण की विभिन्न इकाइयों की सदस्य मीरा शुक्ला से हमने इस विषय पर चर्चा की है. उनका मानना है कि देश में कुपोषण को खत्म करने की दिशा में शिशु संरक्षण कार्यक्रम बहुत कारगर साबित होगा. उन्होंने कहा, "सरगुजा जैसी जगहों में लोग अस्पताल नहीं जाते हैं और टीकाकरण नहीं कराते हैं. ऐसे में इस अभियान से सामाजिक संस्था, प्रबुद्ध नागरिक सभी जुड़ रहे हैं. ताकि बच्चों का टीकाकरण हो, आयरन और विटामिन ए की खुराक उन्हें दी जा सके.

खासकर सरगुजा में सिकलिंग और एनीमिया की समस्या देखी जाती है, जो कुपोषण का एक प्रकार है. इस शिशु संरक्षण कार्यक्रम से कुपोषण दूर होगा और सिकलिंग व एनीमिया से लड़ने में मदद मिलेगी. - मीरा शुक्ला, सदस्य, बाल संरक्षण इकाई

कुपोषण दूर करने में मिलेगी मदद: मीरा शुक्ला कहती हैं "ऐसे कार्यक्रम इसलिए जरूरी हैं, क्योंकि 6 माह तक तो बच्चा स्तनपान करता है और तब तक वो सुपोषित रहता है. लेकिन जैसे जैसे बच्चा बड़ा होने लगता है, गांव में उसकी केयर नहीं हो पाती है. मां उसे अपने साथ लेकर खेत में काम करने चली जाती है और वो भूखा रह जाता है. इस वजह से बच्चा धीरे धीरे कुपोषण का शिकार हो जाता है. ऐसे कार्यक्रमों से बच्चों में कुपोषण नहीं होगा और वो स्वस्थ रहेंगे."

दरअसल, शिशु संरक्षण माह के दौरान शिशु स्वास्थ्य संवर्धन से संबंधित राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों की गतिविधियों का सफल संचालन किया जायेगा. अभियान के दौरान गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हे पोषण पुनर्वास केन्द्र भेजा जाएगा. बच्चों को पोषक आहार देकर स्वास्थ्य में सुधार के प्रयास सहित संक्रमण के उपचार भी किया जायेगा. इस अभियान के तहत गर्भवती माताओं की जांच एवं बच्चों का टीकाकरण भी नियमित रूप से किया जायेगा, ताकि जच्चा और बच्चा दोनो स्वस्थ रहें. शिशु संरक्षण माह कार्यक्रम के दौरान स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा समस्त स्वास्थ्य सेवायें निःशुल्क दी जायेगी.

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सरगुजा: कुपोषण एक ऐसा दंश है, जो व्यक्ति की नींव कमजोर कर देता है. जब किसी बच्चे का जन्म होता है, उस वक्त उसे सही पोषण की जरूरत होती है. पहले 5 वर्ष तक बच्चे का सही पोषण होने से वह पूरे जीवन काल में स्वस्थ्य रहता है. हमारे देश के पिछड़े इलाकों में यह एक गंभीर समस्या बनी हुई है. हांलाकि सरकार इस दिशा में काम कर रही है. राज्य और केंद्र सरकार कई शिशु संरक्षण कार्यक्रम चला रहे हैं.

बच्चों का किया जा रहा टीकाकरण: महिला बाल विकास अधिकारी जेआर प्रधान बताते हैं, "शिशु संरक्षण कार्यक्रम, छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संयुक्त रूप से चलाया जाता है. इसमें मुख्य भूमिका स्वास्थ्य विभाग की होती है. ऐसे बच्चे जिनका टीकाकरण नहीं हो सका है, उनके टीकाकरण के लिये सप्ताह में विशेष दिन निर्धारित किया गया है. इस दिन स्वास्थ्य विभाग बच्चों का टीकाकरण करता है. हम लोग सिर्फ सहयोगी होते हैं."

शिशु संरक्षण के लिए विशेष अभियान: स्वास्थ्य विभाग के डीपीएम डॉ राम कहते हैं, "शिशु संरक्षण कार्यक्रम के लिये एक महीने का विशेष अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत कलेक्टर महोदय के निर्देश पर एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है. इस टीम के द्वारा 0 से 5 साल के सभी बच्चों को पोलियो की खुराक दी जा रही है. साथ ही चिन्हांकित 84011 बच्चों को विटामिन ए और 93360 बच्चों को आयरन की खुराक पिलाई जा रही है."

16 फरवरी से 22 मार्च तक महाभियान: सरगुजा में शिशु संरक्षण माह 16 फरवरी से 22 मार्च तक चलाया जायेगा. 3 मार्च को पल्स पोलियो टीकाकरण का महाभियान चलाया जायेगा. सभी शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं, आंगनबाडी केन्द्रों एवं टीकाकरण सत्र स्थल पर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (एएनएम), मितानिनों द्वारा बच्चो को ये दवा दी जायेगी.

शिशु संरक्षण कार्यक्रम कुपोषण होगा खत्म: माहिला एवं बाल विकास विभाग के बाल संरक्षण की विभिन्न इकाइयों की सदस्य मीरा शुक्ला से हमने इस विषय पर चर्चा की है. उनका मानना है कि देश में कुपोषण को खत्म करने की दिशा में शिशु संरक्षण कार्यक्रम बहुत कारगर साबित होगा. उन्होंने कहा, "सरगुजा जैसी जगहों में लोग अस्पताल नहीं जाते हैं और टीकाकरण नहीं कराते हैं. ऐसे में इस अभियान से सामाजिक संस्था, प्रबुद्ध नागरिक सभी जुड़ रहे हैं. ताकि बच्चों का टीकाकरण हो, आयरन और विटामिन ए की खुराक उन्हें दी जा सके.

खासकर सरगुजा में सिकलिंग और एनीमिया की समस्या देखी जाती है, जो कुपोषण का एक प्रकार है. इस शिशु संरक्षण कार्यक्रम से कुपोषण दूर होगा और सिकलिंग व एनीमिया से लड़ने में मदद मिलेगी. - मीरा शुक्ला, सदस्य, बाल संरक्षण इकाई

कुपोषण दूर करने में मिलेगी मदद: मीरा शुक्ला कहती हैं "ऐसे कार्यक्रम इसलिए जरूरी हैं, क्योंकि 6 माह तक तो बच्चा स्तनपान करता है और तब तक वो सुपोषित रहता है. लेकिन जैसे जैसे बच्चा बड़ा होने लगता है, गांव में उसकी केयर नहीं हो पाती है. मां उसे अपने साथ लेकर खेत में काम करने चली जाती है और वो भूखा रह जाता है. इस वजह से बच्चा धीरे धीरे कुपोषण का शिकार हो जाता है. ऐसे कार्यक्रमों से बच्चों में कुपोषण नहीं होगा और वो स्वस्थ रहेंगे."

दरअसल, शिशु संरक्षण माह के दौरान शिशु स्वास्थ्य संवर्धन से संबंधित राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों की गतिविधियों का सफल संचालन किया जायेगा. अभियान के दौरान गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हे पोषण पुनर्वास केन्द्र भेजा जाएगा. बच्चों को पोषक आहार देकर स्वास्थ्य में सुधार के प्रयास सहित संक्रमण के उपचार भी किया जायेगा. इस अभियान के तहत गर्भवती माताओं की जांच एवं बच्चों का टीकाकरण भी नियमित रूप से किया जायेगा, ताकि जच्चा और बच्चा दोनो स्वस्थ रहें. शिशु संरक्षण माह कार्यक्रम के दौरान स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा समस्त स्वास्थ्य सेवायें निःशुल्क दी जायेगी.

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Last Updated : Feb 18, 2024, 5:06 PM IST
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