सूरजपुर: इन दिनों शादी का सीजन चल रहा है. इस बीच सूरजपुर में बाल संरक्षण विभाग लगातार बाल विवाह रुकवा रही है. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे बाल विवाह की जानकारी के बाद विभाग मौके पर पहुंचकर न सिर्फ बाल विवाह रुकवा रही है बल्कि नाबालिगों के घरवालों को समझाइश दे रही है कि बाल विवाह के क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं. इस दौरान विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों के साथ पुलिसकर्मी भी मौजूद थे. ये लोग लोगों को समझाने का काम भी कर रहे हैं.
जिले में 12 जगहों पर रोका गया बाल विवाह: बाल संरक्षण विभाग की मानें तो लगातार शादी सीजन में गांव-गांव पहुंच कर लोगों को समझाइश दे रहे हैं. अगर उन्हें कहीं बाल विवाह होने की सूचना मिलती है, तो वो उस जगह पर पहुंचकर बाल विवाह होने से रोकते हैं. टीम की ओर से अब तक 12 जगहों पर दबिश दी गई है. साथ ही बाल विवाह होने से रोका गया है.
लगातार टीम की ओर से दी जा रही समझाइश: इस बारे में जिला महिला बाल विकास अधिकारी रमेश साहू ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि, "शादी सीजन शुरू होते ही सूरजपुर जिले में कई जगहों पर नाबालिग लड़के और लड़कियों के लिए मण्डप बना कर तैयार कर दिया गया था. इन बच्चों की उम्र अभी कानूनी तौर पर शादी के लिए हुई नहीं थी. ऐसी जगहों की जानकारी मिलते ही हमारी संयुक्त टीम मौके पर पहुंच कर बाल विवाह रोक रही है. अब तक टीम ने 12 जगहों पर दबिश देकर बाल विवाह रुकवाया है. साथ ही लोगों को निर्धारित उम्र में ही शादी करने की सलाह दी है."
कम उम्र में वैवाहिक जीवन में बंधने से लड़के और लड़की की मानसिक स्थिति में जहां प्रभाव पड़ता ही है. वहीं, लड़की के स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है. कई दफा यह परिवार वालों की छोटी सी भूल की सजा उस मासूम को अपनी जान गंवा कर चुकानी पड़ती है. -डॉ गरिमा सिंह, स्त्री रोग विशेषज्ञ
बाल विवाह पर लगनी चाहिए रोक: इस बारे में सूरजपुर जिले के समाजसेवी मोहम्मद इस्तियाक ने कहा कि, "बाल विवाह एक कुरीति है. शासन प्रशासन की ओर से जागरूकता लाने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं, समाज में भी लोग अपनी कोशिश से इस कुरीति को खत्म करने में लगे हैं. हाल ही में मुस्लिम समाज ने एक निर्णय भी लिया गया है, जिसमें अब निकाह से पहले दूल्हा और दुल्हन को आधार कार्ड जमा कराना होगा, ताकि किसी भी नाबालिग का निकाह होने से रोका जा सके. हर समाज में ऐसे नियम होने चाहिए और बाल विवाह पर रोक लगनी चाहिए."
बता दें कि कानूनन विवाह लिए लड़की की उम्र 18 वर्ष और लड़के की उम्र 21 वर्ष निर्धारित है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में शादियों के सीजन में कुछ ऐसे भी लड़के-लड़कियां है, जो कि अभी बालिग नहीं है, पर उनकी शादी की जा रही है. कईयों को तो शादी का अर्थ भी नहीं पता होता. ऐसे में समाजसेवी और महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी लोगों के पास जाकर उनको समझाइश दे रहे हैं. ताकि बाल विवाह की कुरीतियों को खत्म किया जा सके.