धनबाद: बाल उत्पीड़न या बच्चों को किसी तरह की समस्या होने पर बच्चे उसे किसी से शेयर नहीं कर पाते हैं. अपने माता-पिता को भी नहीं बता पाते हैं. ऐसे में वह अंदर ही अंदर कुंठित होकर अपना जीवन जीने को विवश होते रहते हैं. कभी-कभी बच्चे गलत कदम भी उठा लेते हैं. बच्चों को ऐसी समस्या से निजात दिलाने और उनके जीवन को संवारने के लिए बाल संरक्षण आयोग की टीम एक विशेष पहल करने जा रही है.
धनबाद में पांच स्थानों पर 'शिकायत और सुझाव' पेटी लगायी जाएगी, जिसमें कोई भी बच्चा या कोई व्यक्ति बाल से संबंधित शिकायत व सुझाव दे सकता है. यह व्यवस्था दस से पंद्रह दिनों के अंदर झारखंड के सभी शहरों में होगी. झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य उज्जवल तिवारी ने यह जानकारी ईटीवी भारत को दी है.
उन्होंने बताया कि 'सरकार आपके द्वार' कार्यक्रम चल रहा है, जिससे कि सरकार की योजनाएं जन-जन तक पहुंचे. ठीक इसी तरह बच्चों के लिए भी हमलोग ग्राउंड लेवल पर जाना चाहते हैं. उत्पीड़न के कई सारे मामले ऐसे हैं, जो एक से डेढ़ साल बाद सामने आते हैं. इसके लिए डायरेक्टर बी राजेश्वरी से बातचीत हुई है. उन्होंने कहा कि बच्चे को अगर कोई परेशान कर रहा है या फिर उसका कोई साथी नशा कर रहा है तो ऐसी स्थिति में वह शिकायत/सुझाव पेटी में लिखकर डाल सकता है. उसे अपनी जानकारी देने की जरूरत भी नहीं है.
डीसीपीओ और सीडब्ल्यूसी उनकी सूचनाओं पर चिन्हित करेंगे. जिस भी संबधित विभाग की शिकायत रहेगी, वह उन्हें भेजा जाएगा. जिसकी रिपोर्ट सात दिनों के अंदर झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग और झारखंड बाल कल्याण समिति को सौंपी जाएगी. महीने में एक बार डायरेक्टर और बाल संरक्षण आयोग खुद उन सभी रिपोर्ट की समीक्षा करेंगे. इसके अलावा अनाथ बच्चों को राशन देने की व्यवस्था है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने संबंधित विभागों से रिपोर्ट मांगी है. अगर नहीं है तो सीएम से मिलकर अनाथ बच्चों को राशन देने की व्यवस्था की जाएगी.
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