देहरादून: उत्तराखंड चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने और बदरीनाथ-केदारनाथ समेत अन्य मंदिरों को एक बोर्ड के अधीन लाने को लेकर तात्कालिक सीएम त्रिवेंद्र सरकार में देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया था, लेकिन तीर्थ पुरोहितों के विरोध के चलते धामी सरकार ने देवस्थामान बोर्ड को वापस ले लिया था. ऐसे में अब धामी सरकार चारधाम यात्रा के बेहतर प्रबंधन को लेकर यात्रा प्राधिकरण बनाने पर जोर दे रही है.
जोरों से चल रही चारधाम यात्रा: उत्तराखंड चारधाम की यात्रा जोरों- शोरों से चल रही है. चारधाम यात्रा में पिछले कुछ दिनों पहले जो जाम की दिक्कतें हुई थी, उसको दूर करते हुए व्यवस्थाओं को पहले से बेहतर किया गया है. हालांकि, अभी भी तमाम समस्याएं बरकरार हैं, जिसकी मुख्य वजह धामों में अचानक ज्यादा संख्या में श्रद्धालुओं का आना है. साथ ही धामों में अत्यधिक श्रद्धालु आने से सरकार की ओर से की गई व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं. जिससे सीएम ने अधिकारियों को सड़क मार्ग से जाकर व्यवस्थाओं का जायजा लेने और व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के निर्देश दिए.
व्यवस्थाएं दुरुस्त करने में जुटे सीएम धामी: बता दें कि हाल ही में चारधाम यात्रा की बैठक के दौरान सीएम धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि चारधाम यात्रा के बेहतर प्रबंधन के लिए यात्रा प्राधिकरण बनाने की दिशा में काम करें, ताकि चारधाम यात्रा संबंधित सभी व्यवस्थाओं को प्राधिकरण के अधीन किया जा सके. इससे चारधाम यात्रा की व्यवस्थाएं काफी बेहतर होंगी. वहीं, यात्रा प्राधिकरण बनाए जाने के सवाल पर सीएम धामी ने कहा कि चारधाम यात्रा के दौरान, जो तमाम दिक्कतें होती हैं, उन दिक्कतों को दूर करते हुए बेहतर व्यवस्था तैयार की जा सके, इसलिए सभी से बातचीत करके यात्रा प्राधिकरण को बनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि कोई भी व्यवस्था बनाने में लोकतंत्र के स्वरूप का पालन किया जाएगा.
पूर्व विधायक ने सीएम का किया समर्थन: यमुनोत्री विधानसभा सीट से पूर्व विधायक केदार सिंह रावत ने कहा कि देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड चारधाम के मंदिरों के लिए था, लेकिन यात्रा प्राधिकरण, चारधाम यात्रा की व्यवस्था के लिए होगा. यात्रा प्राधिकरण के व्यवस्थाओं का प्रबंधन हरिद्वार -ऋषिकेश से ही शुरू हो जाएगा. उन्होंने कहा कि देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड मुख्य रूप से बदरी-केदार मंदिर और उसके अधीन अन्य मंदिरों के लिए बनाया गया था. हालांकि उस दौरान गंगोत्री धाम के तीर्थ पुरोहितों ने भी देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लागू करने के लिए हामी भर दी थी, लेकिन विपरीत परिस्थितियों और जन भावनाओं के अनुरूप सरकार को देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को वापस लेना पड़ा था.
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