नैनीताल: हाईकोर्ट की एक बेंच आईडीपीएल ऋषिकेश में स्थापित करने हेतु जगह का परीक्षण कर रिपोर्ट देने के सम्बन्ध में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ द्वारा बुधवार की सुबह सरकार को मौखिक आदेश देने से असंतुष्ट बार एसोसिएशन ने तत्काल इस सम्बंध में बार की आम बैठक बुलाई. बड़ी संख्या में अधिवक्ता बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डीसीएस रावत के नेतृत्व में मुख्य न्यायधीश की कोर्ट में पहुंचे. उन्होंने हाईकोर्ट की बेंच ऋषिकेश स्थानान्तरित करने को अव्यवहारिक बताते हुए इस आदेश को वापस लेने का आग्रह किया. इस पर मुख्य न्यायाधीश रितू बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने दोपहर बाद अधिवक्ताओं का पक्ष सुना.
इस मामले की सुनवाई के समय मुख्य न्यायाधीश कोर्ट, अधिवक्ताओं से खचाखच भरा हुआ था. वहां भारी गहमा गहमी का माहौल रहा. सुरक्षा की दृष्टि से मुख्य न्यायाधीश कोर्ट के बाहर एसएसपी नैनीताल के नेतृत्व में भारी पुलिस बल तैनात किया गया था. जिस पर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने घोर आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि उत्तराखंड हाईकोर्ट के इतिहास में पहली बार अधिवक्ताओं के खिलाफ फोर्स तैनात किया गया है.
इस दौरान मुख्य न्यायाधीश रितू बाहरी ने कहा कि नैनीताल से हाईकोर्ट शिफ्टिंग का प्रस्ताव अधिवक्ताओं की तरफ से ही कई साल पहले आया था. अब तक जगह चिन्हित नहीं हो सकी है. गौलापार में जो स्थान चिन्हित किया गया, वह स्थान वन विभाग का है और वहां बड़ी संख्या में पेड़ काटने पड़ेंगे. जबकि वे स्वयं और सुप्रीम कोर्ट पेड़ काटे जाने के खिलाफ हैं. दूसरी ओर आईडीपीएल ऋषिकेश में जगह उपलब्ध है और गढ़वाल क्षेत्र के अधिवक्ताओं व वादकारियों के लिये ऋषिकेश उचित स्थान है. यह दीर्घकालिक योजना के लिये भी उचित है. न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल ने कहा कि नैनीताल में कई तरह की असुविधाएं हैं. हाईकोर्ट के विस्तार के लिये जगह नहीं है और न ही आस पास जगह मिल पा रही है.
दूसरी ओर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डीसीएस रावत ने कहा कि बार, हाईकोर्ट की अलग से बेंच खोलने के खिलाफ है. जहां भी हाईकोर्ट शिफ्ट हो, एक ही जगह हो. उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में हाईकोर्ट की बेंच स्थापित करना अव्यावहारिक है. इस मामले में कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने भी अपनी राय देते हुए अलग से बेंच स्थापित करने की मंशा को गलत बताया. कहा कि वर्तमान में हाईब्रिड सिस्टम से अदालती कामकाज चल रहा है और किसी भी जगह से अधिवक्ता, वादकारी व अन्य लोग ऑनलाइन कोर्ट से जुड़ रहे हैं.
इन सभी तथ्यों के बाद मुख्य न्यायाधीश ने बार एसोसिएशन से कहा कि वे हाईकोर्ट के लिये ऐसा उचित स्थान बताएं, जहां 50 साल बाद भी विस्तार की गुंजाइश हो और नई पीढ़ी के अधिवक्ताओं के साथ साथ वादकारियों, न्यायिक अधिकारियों, कर्मचारियों व अन्य पक्षों को सुविधा बनी रहे. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने इस मामले में अधिवक्ताओं की आम सभा बुलाकर आम राय बनाने को कहा है.
उल्लेखनीय है कि आईडीपीएल ऋषिकेश के कर्मचारियों के आवास खाली करने के शासन के आदेश पर हाईकोर्ट ने पूर्व में रोक लगाई थी. जिसके खिलाफ सरकार की विशेष अपील पर बुधवार सुबह मुख्य न्यायधीश की खंडपीठ ने सुनवाई की. मामले की सुनवाई के समय मुख्य सचिव राधा रतूड़ी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश हुई थीं. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने हाईकोर्ट की एक बेंच ऋषिकेश के आईडीपीएल में शिफ्ट करने पर विचार कर रिपोर्ट देने को कहा.
मुख्य न्यायाधीश ने हाईकोर्ट को गौलापार शिफ्ट करने को गलत कदम बताते हुए कहा कि इसके लिए उचित स्थल ऋषिकेश में आईडीपीएल की 850 एकड़ भूमि है. इस भूमि में से 130 एकड़ भूमि में पूर्व कर्मचारी रहते हैं.
इस मौके पर हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष डीसीएस रावत, सचिव सौरभ अधिकारी, विजय भट्ट, प्रभाकर जोशी, सय्यद नदीम 'मून', विकास गुगलानी, पुष्पा जोशी, रमन साह, ललित बेलवाल, दीप प्रकाश भट्ट, कुर्बान अली, कैलाश तिवारी, सौरभ पाण्डे, दीप जोशी, हरेंद्र बेलवाल, भुवन रावत, दुष्यंत मैनाली, डी एस.मेहता, एम.सी.कांडपाल, अजय बिष्ट, लता नेगी, सुहैल अहमद सिद्दीकी आदित्य साह आदि सैकड़ों अधिवक्ता मौजूद रहे.
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