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पातालकोट के आदिवासियों की 4 इम्युनिटी बूस्टर बूटियां नस-नस को देंगी ताकत, जानें नाम और काम - Patalkot herbs immunity booster

अपनी खूबसूरती के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध पातालकोट की जड़ी बूटियां किसी वरदान से कम नहीं हैं. आज हम जड़ी बूटियों की बात करेंगे जो इम्यूनिटी का बूस्तर हैं. जिनके इस्तेमाल से कैंसर, टीवी, मधुमेह, रक्तचाप, एचआईवी, खांसी और बुखार जैसी कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है.

Patalkot herbs immunity booster
सेहत के लिए वरदान पातालकोट की जड़ी बूटियां (Etv Bharat Graphics)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 6, 2024, 10:58 AM IST

Updated : Jun 6, 2024, 12:11 PM IST

छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश की खूबसूरत वादियों में बसा पातालकोट बेहद खूबसूरत होने के साथ-साथ दुनिया का सबसे अनोखा स्थान है. यहां की जड़ी बूटियां भी अपने आप में बेमिसाल हैं. थोड़ी सी मेहनत करने पर अगर आपके शरीर में थकान होती है या फिर इम्युनिटी कमजोर है, तो पातालकोट की जड़ी बूटियां शरीर में ताकत और स्फूर्ती भर देंगी. सर्दी, गर्मी हो या बरसात यहां की जड़ी बूटियां इम्यूनिटी बूस्टर का काम करती हैं. आईये जानते हैं उन जड़ी बूटियों के बारे में विस्तार से.

Suran benefits for health
सूरन खाने के गजब के हैं फायदे (Etv Bharat)

'सूरन' दर्द को करता है बाय-बाय

जमीन के अंदर पाया जाने वाला एक कन्द 'सूरन' आमतौर पर पातालकोट के जंगलों में पाया जाता है. दरअसल पातालकोट के आदिवासी दिनभर जंगलों में काम करते हैं और शाम को जाकर अपना देसी भोजन करने के बाद बड़े आराम से सो जाते हैं. न तो इन्हें किसी पेन किलर की जरूरत होती है और न ही नींद के लिए किसी दवाई की. क्योंकि उनकी सबसे खास दवा है सूरन. शाम को खाना खाने के बाद आदिवासी सूरन का चूर्ण पानी के साथ लेते हैं. सूरन शरीर की ताकत और इम्युनिटी बढ़ाने के लिए काम करता है. चौरई के सरकारी कॉलेज में वनस्पति शास्त्र के विशेषज्ञ डॉक्टर विकास शर्मा ने बताया कि ''इंटरनेशनल जनरल ऑफ़ फार्मेसी और फार्मास्यूटिकल साइंसेज में सन 2014 में प्रकाशित एनिमल स्टडी में बकायदा इस बात की पुष्टि होती है. इसके अलावा भी कई रिसर्च पेपर में सूरन के फायदे के बारे में बताया गया है. सूरन शरीर में ताकत बढ़ाने का काम करता है.''

kamala tree benefits for health
आदवासियों की जड़ी बूटी कामला (Etv Bharat)

'कामला' के फल ही नहीं पत्तियां भी चमत्कारी

'कामला' त्वचा में होने वाले रोगों के साथ-साथ लूज मोशन जैसी बीमारी से बचाता है. यह सबसे बड़ा एंटीबायोटिक है. 'कामला' के फलों के छिलकों पर एक पीले लाल रंग का पदार्थ होता है, इस पौधे के फलों के ऊपर के पाउडर को कुमकुम तैयार करने के लिए भी उपयोग किया जाता है. रिसर्च गेट के वर्ल्ड जनरल आफ फार्मास्यूटिकल रिसर्च के शोध पत्र के अनुसार इसका प्रयोग कैंसर, टीवी, मधुमेह, रक्तचाप, वात रोग, त्वचा रोग से लेकर एचआईवी के उपचार तक में किया जाता है. आज भी गांव देहातों में इसकी पत्तियों के पाउडर का प्रयोग भूख लगने वाली औषधि के तौर पर किया जाता है. जबकि फलों के छिलकों को भूनकर उसके पाउडर को शहद में मिलाकर सांस के रोग खांसी पाचन क्रिया को दुरुस्त करने के लिए किया जाता है.

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जंगली अदरक की एक कप चाय हमेशा रखेगी जवां

पातालकोट की सबसे ज्यादा चर्चित आयुर्वेदिक औषधि 'जंगली अदरक' है. जंगली अदरक को आम तौर पर सर्दी खांसी और बुखार के लिए प्रयुक्त किया जाता है. लेकिन इसका मर्दाना शक्ति के लिए भी उपयोग किया जाता है, जो शरीर में शक्ति और स्फूर्ति जगाता है. आयुर्वेद जानकारों का कहना है कि देसी अदरक की तरह ही इसका उपयोग किया जाता है. चाय में इसका उपयोग करने से इसके लाभ आसानी से मिलते हैं. डॉ विकास शर्मा का कहना है कि ''यह जड़ी बूटियां कई जगह और भी मिल जाती हैं, लेकिन पातालकोट प्राकृतिक गोद में समाया हुआ है, इसलिए यहां पर किसी भी प्रकार के रसायनों का उपयोग नहीं होता. जिसकी वजह से यहां की जड़ी बूटियां ज्यादा असरकारक होती है.

kyon kand eating tubers gives strength
क्योकन्द के पकोड़े खाने से मिलती है ताकत (Etv Bharat)

क्योकन्द के पकोड़े खाने से मिलती है ताकत

जमीन में 'क्योकन्द' के कन्द पाए जाते हैं. यह पौधा अदरक के परिवार का सदस्य है. इसके स्लाइस से पकोड़े बनाकर खाने से किडनी से संबंधित रोग अस्थमा, कृमि नाशक बीमारी में लाख मिलता है. साथ ही महिलाओं से संबंधित रोगों में भी इसका प्रयोग किया जाता है. क्योकन्द को शक्ति वर्धक औषधि माना जाता है. पालतू पशुओं में अगर कमजोरी आ जाती है तो इसकी पत्तियां घास या भूसा के साथ मिलकर खिलाई जाती हैं, जिससे जानवरों में भी ताकत आती है.

छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश की खूबसूरत वादियों में बसा पातालकोट बेहद खूबसूरत होने के साथ-साथ दुनिया का सबसे अनोखा स्थान है. यहां की जड़ी बूटियां भी अपने आप में बेमिसाल हैं. थोड़ी सी मेहनत करने पर अगर आपके शरीर में थकान होती है या फिर इम्युनिटी कमजोर है, तो पातालकोट की जड़ी बूटियां शरीर में ताकत और स्फूर्ती भर देंगी. सर्दी, गर्मी हो या बरसात यहां की जड़ी बूटियां इम्यूनिटी बूस्टर का काम करती हैं. आईये जानते हैं उन जड़ी बूटियों के बारे में विस्तार से.

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सूरन खाने के गजब के हैं फायदे (Etv Bharat)

'सूरन' दर्द को करता है बाय-बाय

जमीन के अंदर पाया जाने वाला एक कन्द 'सूरन' आमतौर पर पातालकोट के जंगलों में पाया जाता है. दरअसल पातालकोट के आदिवासी दिनभर जंगलों में काम करते हैं और शाम को जाकर अपना देसी भोजन करने के बाद बड़े आराम से सो जाते हैं. न तो इन्हें किसी पेन किलर की जरूरत होती है और न ही नींद के लिए किसी दवाई की. क्योंकि उनकी सबसे खास दवा है सूरन. शाम को खाना खाने के बाद आदिवासी सूरन का चूर्ण पानी के साथ लेते हैं. सूरन शरीर की ताकत और इम्युनिटी बढ़ाने के लिए काम करता है. चौरई के सरकारी कॉलेज में वनस्पति शास्त्र के विशेषज्ञ डॉक्टर विकास शर्मा ने बताया कि ''इंटरनेशनल जनरल ऑफ़ फार्मेसी और फार्मास्यूटिकल साइंसेज में सन 2014 में प्रकाशित एनिमल स्टडी में बकायदा इस बात की पुष्टि होती है. इसके अलावा भी कई रिसर्च पेपर में सूरन के फायदे के बारे में बताया गया है. सूरन शरीर में ताकत बढ़ाने का काम करता है.''

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आदवासियों की जड़ी बूटी कामला (Etv Bharat)

'कामला' के फल ही नहीं पत्तियां भी चमत्कारी

'कामला' त्वचा में होने वाले रोगों के साथ-साथ लूज मोशन जैसी बीमारी से बचाता है. यह सबसे बड़ा एंटीबायोटिक है. 'कामला' के फलों के छिलकों पर एक पीले लाल रंग का पदार्थ होता है, इस पौधे के फलों के ऊपर के पाउडर को कुमकुम तैयार करने के लिए भी उपयोग किया जाता है. रिसर्च गेट के वर्ल्ड जनरल आफ फार्मास्यूटिकल रिसर्च के शोध पत्र के अनुसार इसका प्रयोग कैंसर, टीवी, मधुमेह, रक्तचाप, वात रोग, त्वचा रोग से लेकर एचआईवी के उपचार तक में किया जाता है. आज भी गांव देहातों में इसकी पत्तियों के पाउडर का प्रयोग भूख लगने वाली औषधि के तौर पर किया जाता है. जबकि फलों के छिलकों को भूनकर उसके पाउडर को शहद में मिलाकर सांस के रोग खांसी पाचन क्रिया को दुरुस्त करने के लिए किया जाता है.

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पातालकोट की सबसे ज्यादा चर्चित आयुर्वेदिक औषधि 'जंगली अदरक' है. जंगली अदरक को आम तौर पर सर्दी खांसी और बुखार के लिए प्रयुक्त किया जाता है. लेकिन इसका मर्दाना शक्ति के लिए भी उपयोग किया जाता है, जो शरीर में शक्ति और स्फूर्ति जगाता है. आयुर्वेद जानकारों का कहना है कि देसी अदरक की तरह ही इसका उपयोग किया जाता है. चाय में इसका उपयोग करने से इसके लाभ आसानी से मिलते हैं. डॉ विकास शर्मा का कहना है कि ''यह जड़ी बूटियां कई जगह और भी मिल जाती हैं, लेकिन पातालकोट प्राकृतिक गोद में समाया हुआ है, इसलिए यहां पर किसी भी प्रकार के रसायनों का उपयोग नहीं होता. जिसकी वजह से यहां की जड़ी बूटियां ज्यादा असरकारक होती है.

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क्योकन्द के पकोड़े खाने से मिलती है ताकत (Etv Bharat)

क्योकन्द के पकोड़े खाने से मिलती है ताकत

जमीन में 'क्योकन्द' के कन्द पाए जाते हैं. यह पौधा अदरक के परिवार का सदस्य है. इसके स्लाइस से पकोड़े बनाकर खाने से किडनी से संबंधित रोग अस्थमा, कृमि नाशक बीमारी में लाख मिलता है. साथ ही महिलाओं से संबंधित रोगों में भी इसका प्रयोग किया जाता है. क्योकन्द को शक्ति वर्धक औषधि माना जाता है. पालतू पशुओं में अगर कमजोरी आ जाती है तो इसकी पत्तियां घास या भूसा के साथ मिलकर खिलाई जाती हैं, जिससे जानवरों में भी ताकत आती है.

Last Updated : Jun 6, 2024, 12:11 PM IST
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