छिंदवाड़ा। कुछ दिनों से मध्य प्रदेश की सियासत में उथल-पुथल मची हुई है. वजह है पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनके बेटे सांसद नकुलनाथ के भाजपा में शामिल होने की अटकलें. माना जा रहा है कि जल्द ही कमलनाथ भाजपा की सदस्यता ले लेंगे. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के भाजपा में शामिल होने की अटकलों के बीज अब छिंदवाड़ा के बड़े कांग्रेसी नेताओं की भी भाजपा में जाने की खबरें आ रही है. हालांकि आधिकारिक घोषणा न होने के कारण ज्यादातर नेता अभी खुलकर कुछ बोलने को तैयार नहीं है. फिर भी दबे स्वरों में अपने इरादे जाहिर कर रहे हैं.
पूर्व कैबिनेट मंत्री बोले-कमलनाथ की हो रही उपेक्षा
कमलनाथ के सबसे नजदीकी और पूर्व कैबिनेट मंत्री दीपक सक्सेना ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि ''विधानसभा चुनाव में सिर्फ मध्य प्रदेश में कांग्रेस की हार नहीं हुई, छत्तीसगढ़ की किसी को उम्मीद नहीं थी वहां पर भी कांग्रेस हार गई. तीन राज्यों में कांग्रेस की हार हुई. लेकिन सिर्फ आरोप कमलनाथ पर लगाए जा रहे हैं. इतना ही नहीं उन्हें राज्यसभा में भी नहीं भेजा गया. कांग्रेस पार्टी में उनकी उपेक्षा की जा रही है.''
छिंदवाड़ा के 6 विधायक और सांसद जाएंगे भाजपा में
छिंदवाड़ा जिले में सातों विधानसभा सीट कांग्रेस के पास हैं. जिसमें से एक सीट से कमलनाथ खुद विधायक हैं, बाकी 6 विधायक, विजय चोरे, निलेश उइके, सोहन वाल्मीकि, सुनील उईके, कमलेश शाह, सुजीत चौधरी भी कमलनाथ के साथ जाने के लिए तैयार बैठे हैं. परंतु शायद वे इस बात का इंतजार कर रहे हैं की विधानसभा में कांग्रेस की कुल सदस्य संख्या के एक तिहाई विधायकों की संख्या पूरी हो जाए ताकि उन्हें दोबारा चुनाव लड़ने की आवश्यकता ना पड़े. दबी जुबान में सारे 6 विधायक अपनी मंशा जाहिर कर चुके हैं, अब सिर्फ घोषणा का इंतजार है.
यह भी हो सकते हैं भाजपा में शामिल
पूर्व कैबिनेट मंत्री दीपक सक्सेना, पूर्व कांग्रेस जिला अध्यक्ष एवं कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष गंगा प्रसाद तिवारी, कांग्रेस जिला अध्यक्ष विश्वनाथ ओकटे, जिला पंचायत अध्यक्ष संजय पुनहार, महापौर विक्रम आहके, जिला पंचायत उपाध्यक्ष अमित सक्सेना, पूर्व विधायक गंभीर सिंह चौधरी, सुरेश झलके सहित सभी जनपद अध्यक्ष एवं कांग्रेस के पदाधिकारी कमलनाथ के साथ भाजपा में जाने की मंशा जाहिर कर चुके हैं.
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उपचुनाव से बचने के लिए एक तिहाई बहुमत जरूरी
छिंदवाड़ा के एक विधायक ने बताया कि दलबदल कानून से बचने के लिए कुल पार्टी के विधायकों की संख्या के एक तिहाई विधायक पार्टी बदलते हैं तो कानून के दायरे में नहीं आएंगे. इसलिए कमलनाथ की चर्चा 23 विधायकों से चल रही है. वहीं कांग्रेस के बड़े नेताओं ने भी छिंदवाड़ा के विधायकों को मनाने का प्रयास किया है.