छिंदवाड़ा। सबसे महंगा बिकने वाला वनोपज चिरौंजी जिसे प्राकृतिक ड्राई फ्रूट्स भी कहा जाता है. चिरौंजी को सूखे मेवे की तरह इस्तेमाल किया जाता है. यह खाने के जायके को दुगुना कर देता है. इसका सेवन कई बीमारियों से भी बचाता है. बाजार में इसकी कीमत ₹2000 किलो तक है. लेकिन छिंदवाड़ा जिले में इसकी उपज करने वालों को महज 100 से 200 रुपए किलो ही दाम मिल पा रहे हैं. जानिये आखिर क्या वजह है.
![Chironji Most Expensive Dry Fruit](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/16-03-2024/20997787_chhindwara.jpg)
बिना पंजीयन के हो रहा व्यापार, ठगे जा रहे आदिवासी
छिंदवाड़ा जिले में वनोपज संग्रहण और खरीदी बिक्री के लिए व्यापारियों को पंजीयन कराना अनिवार्य होता है. लेकिन जिले में कुछ एक व्यापारियों ने पंजीयन कराया है, जबकि बहुत से व्यापारी बिना पंजीयन के व्यापार कर रहे हैं. या फिर ऐसा कहा जा सकता है कि वनोपज खरीदी करने के लिए पंजीयन कराकर व्यापार करने वाले व्यापारियों की संख्या कम है. जबकि बिचौलिए ही बड़ी मात्रा में वनोपज की खरीदी बिक्री का खेल कर दे रहे हैं. हर साल जिले में वनोपज के हजारों टन का व्यापार होता है लेकिन अब तक कुछ ही व्यापारियों ने पंजीयन कराया है या फिर पहले कराए हुए पंजीयन का रिन्यूअल कराया है. वहीं दूसरी ओर तीनों ही वनमंडल में पंजीयन कराने वाले व्यापारियों की संख्या कम है. बड़े पैमाने में विशेष तौर पर आदिवासी अंचलों में कम दाम में ही वनोपज की खरीदी हो जाती है.
व्यापार के लिए लेना होता है लाइसेंस
छिंदवाड़ा के तीनों ही वनमंडल में अब भी लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया लंबित चल रही है और सैकड़ों आवेदनों का निपटारा कई महिनों से नहीं हुआ है. दरअसल वनोपज संग्रहण एवं व्यापार करने वाले व्यापारियों को व्यापार करने के लिए मध्यप्रदेश राज्य जैवविविधता अधिनियम 2002, मध्यप्रदेश जैवविविधता अधिनियम 2004 के अंतर्गत वनोपज संग्रहण एवं व्यापार करने वाले व्यापारियों को व्यापार करने हेतु जिला बायोडायवर्सिटी में रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है. इसके बाद व्यापारियों तथा कंपनियों को खरीदी मूल्य की एक प्रतिश्चत राशि राज्य जैव विविधता बोर्ड को जमा करना होता है.
![chhindwara tribles not getting fair price of Chironji](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/16-03-2024/mp-chh-01-chironji-dry-spl-7204291_15032024225731_1503f_1710523651_848.jpg)
तीनों वनमंडलों में लाइसेंस के ऐसे हाल
पश्चिम वनमंडल- वनमंडल से मिले आंकड़ों के अनुसार, यहां पर कुल 134 व्यापारियों के लाइसेंस बनाए गए हैं, जिससे तकरीबन 12 लाख 25 हजार 942 रुपए लाभ प्रभाजन की राशि वसूल की गई है. हालांकि अब भी बहुत से व्यापारी जिन्होंने आवेदन तो दिया है लेकिन कार्रवाई करने नहीं पहुंच रहे हैं.
पूर्व वनमंडल- यहां पर नए वर्ष यानी वर्ष 2022-23 और 2023-24 के लिए कुल 111 व्यापारियों ने आवेदन दिया है, जिसमें से अब तक सिर्फ 55 लोगों के अनुबंध कर अनुमति जारी की गई है. यानी सिर्फ 55 लोगों को वनोपज व्यापार करने की अनुमति है जबकि शेष व्यापारी बिना अनुबंध के वनोपज का व्यापार कर रहे हैं.
दक्षिण वनमंडल- दक्षिण वनमंडल में पंजीयन प्रक्रिया के बाद से अब तक तकरीबन 50 व्यापारियों का पंजीयन है. दूसरी ओर ऐसे व्यापारियों की संख्या ज्यादा है जिन्होंने पंजीयन नहीं कराया है और वनोपज का व्यापार कर रहे हैं.
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अनुबंध कराने में रुचि नहीं दिखा रहे व्यापारी
इसके पहले तक साल 2020-21 और 2021-22 में जो अनुबंध जारी किए गए हैं वह पहले दो वर्ष के लिए होते थे. लेकिन इस वर्ष होने वाले अनुबंध के बाद व्यापारी पांच साल तक के लिए व्यापार कर सकेंगे. इसके बाद तीनों वनमंडलों में वनोपज के व्यापारी अनुबंध कराने से पीछे हट रहे हैं. यानी अधिकतर व्यापारियों ने अनुबंध ही नहीं कराया है. वहीं वह व्यापारी भी है जिनका अनुबंध का समय खत्म होने के बाद इन्हें रिन्यूअल कराना था.
बायोडायवर्सिटी में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य
पश्चिम वनमंडल के डीएफओ ईश्वर जरांडे ने बताया कि ''छिंदवाड़ा वनवृत्त के तीनों वनमंडलों में वन विभाग की ओर से किए गए आंकलन के अनुसार तकरीबन 2154.58 टन वनोपज का उत्पादन जिले में होता है. वनोपज का व्यापार करने वाले व्यापारियों को जिला बायोडायवर्सिटी में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है. पिछले एक साल में बहुत से व्यापारियों ने लायसेंस बनाया जबकि कुछ प्रक्रिया चल रही है.''