छिंदवाड़ा। अमरवाड़ा विधानसभा के उपचुनाव परिणाम बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए भविष्य की राजनीति के लिहाज से अहम माने जा रहे हैं. लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस इस सीट से बीजेपी के शासन में होने के बाद भी अगर चुनाव जीतती है तो पार्टी और कार्यकर्ताओं के लिए संजीवनी साबित होगी. इसके लिए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने पूरी ताकत झोंक दी है तो वहीं भाजपा के लिए भी ये सीट जीतना किसी चुनौती से कम नहीं है. अब तक यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. प्रदेश में सरकार होने के बाद भी अगर यह सीट बीजेपी अपने कब्जे में नहीं ले पाई तो एक बड़ा सवाल खड़ा होगा.
2013 से कांग्रेस के कब्जे में है अमरवाड़ा विधानसभा
अमरवाड़ा विधानसभा के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो 2003 के विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी की लहर थी उस दौरान भी यहां से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के मनमोहन शाह बट्टी चुनाव जीत गए थे. इसके बाद 2008 के चुनाव में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए प्रेम नारायण ठाकुर चुनाव जीते थे लेकिन 2013 से लगातार कांग्रेस की टिकट पर कमलेश प्रताप शाह चुनाव जीत रहे हैं अब वहीं कमलेश प्रताप शाह बीजेपी में शामिल हो गए हैं और कांग्रेस को चुनौती दे रहे हैं.
ग्रामीण आबादी तय करती है चुनाव परिणाम
अमरवाड़ा विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. 2 लाख 55 हजार वोटरों में से करीब 1 लाख 40 हजार वोटर तो अनुसूचित जनजाति के हैं. इसके बाद अनुसूचित जाति के वोटर हैं जिनकी संख्या करीब 21 हजार है. यहां 6 हजार से ज्यादा मुस्लिम मतदाता भी हैं. ग्रामीण और शहरी वोटरों का अनुपात देखें तो कुल वोटरों का करीब 93% वोटर ग्रामीण क्षेत्रों के हैं यानि इस विधानसभा सीट पर जीत का फैसला ग्रामीण आबादी ही करती है.
कमलेश शाह का घराने से तो धीरनशा का धार्मिक परिवार से नाता
कांग्रेस की टिकट पर लगातार 3 बार अमरवाड़ा से विधानसभा का चुनाव जीते कमलेश प्रताप शाह हर्रई राजघराने से ताल्लुक रखते हैं. वे राजघराने के वारिस भी हैं लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था. इसी वजह से यहां पर उपचुनाव हो रहे हैं. बीजेपी ने कमलेश प्रताप शाह को ही अब अपना उम्मीदवार बनाया है और अब वे चौथी बार चुनावी मैदान में हैं. इधर, कांग्रेस ने आदिवासियों के आस्था का सबसे प्रमुख केंद्र आंचल कुंड के सेवादार बाबा सुखराम दास के बेटे धीरनशा इनवाती को मैदान में उतारकर मामला रोचक बना दिया है. आंचल कुंड दादा धूनी वाले दरबार की आस्था आदिवासी परिवारों में इतनी अधिक है कि अगर घर में कोई बीमार पड़ जाए तो लोग डॉक्टर के पास ना जाकर इस दरबार में हाजिरी लगाते हैं. इसका नतीजा यह है कि जब कांग्रेस के प्रत्याशी धीरनशा लोगों से वोट मांगने निकलते हैं तो लोग उनके सामने नतमस्तक हो जाते हैं.
बीजेपी के 35 स्टार प्रचारकों को जिम्मेदारी
अमरवाड़ा विधानसभा उपचुनाव के लिए बीजेपी के 35 स्टार प्रचारक जिनमें विष्णु दत्त शर्मा, डॉ मोहन यादव, शिवप्रकाश, जगदीश देवड़ा, राजेंद्र शुक्ल, शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, वीरेंद्र कुमार खटीक, दुर्गादास उइके, श्रीमती सावित्री ठाकुर, फग्गन सिंह कुलस्ते, स्मृति ईरानी, देवेन्द्र फडणवीस, अर्जुन मुंडा, हिमंत बिस्वा सरमा, विष्णु देव साई, हितानंद, प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, जयभान सिंह पवैया, राकेश सिंह, लाल सिंह आर्य, नारायण कुशवाह तुलसी सिलावट, निर्मला भूरिया, गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा, सुरेश पचोरी, सुश्री कविता पाटीदार, गौरीशंकर बिसेन, कुंवर विजय शाह, नागर सिंह चौहान, श्रीमती सम्पतिया उइके, ओमप्रकाश धुर्वे, राव उदय प्रताप सिंह को जिम्मेदारी दी गई है.
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कांग्रेस के 40 स्टार प्रचारकों को जिम्मेदारी
कांग्रेस के 40 स्टार प्रचारक जिनमें जितेन्द्र सिंह,जीतू पटवारी,कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, उमंग सिंघार,कांतिलाल भूरिया,अरुण यादव,अजय सिंह,नकुल नाथ,विवेक तनखा,अशोक सिंह,डॉ. गोविंद सिंह,सज्जन सिंह वर्मा, एनपी प्रजापति,संजय कपूर ,हेमंत कटारे,तरुण भनोट,सुखदेव पानसे,जयवर्धन सिंह,आरिफ मसूद,लखन घनघोरिया,मीनाक्षी नटराजन,बाला बच्चन, रजनीश सिंह, हिना कांवरे,संजय शर्मा,सुनील उइके,चौधरी सुजीत सिंह, विजय रेवनाथ चौरे,सोहन लाल वाल्मीकि,नीलेश उइके,रामश्री भारती,सुनील जायसवाल,गंगा तिवारी,कुणाल चौधरी,विभा पटेल,योगेश यादव,मितेंद्र दर्शन सिंह,आशुतोष चौकसे, मुकेश नायक को जिम्मेदारी दी गई है.