बस्तर: छत्तीसगढ़ के बस्तर में पहले ही मानसून ने दस्तक दे दिया था, लेकिन बारिश रुक रुककर हो रही थी. इस कारण किसान अपने खेतों में पानी नहीं होने से नाराज थे. किसान भारी बारिश के लिए पूजा-पाठ भी कर रहे थे. इस बीच पिछले सप्ताह से लगातार बस्तर में मूसलाधार बारिश हो रही है. इस बारिश के कारण नदी-नाले उफान पर हैं. नदी-नालों में बाढ़ का पानी भरने से बस्तर के प्रमुख जलप्रपातों की भी खूबसूरती बढ़ गई है. इसके अलावा बारिश का पानी किसानों के खेत खलिहान में भर गया है. बारिश और पानी से किसानों के चेहरे भी खिल उठे हैं. उन्होंने अपने खेतों में रोपा लगाना शुरू कर दिया है.
बारिश के कारण धान की रोपाई जारी: इस बारे में बस्तर के किसान हीरालाल नाग ने कहा, "बीते साल मानसून के बाद शुरुआती दिनों में बारिश अच्छी नहीं हुई थी. बारिश समय पर नहीं हुई थी, जिससे किसान परेशान थे. इस साल भी शुरुआती दिनों में बारिश नहीं होने से किसान परेशान थे, हालांकि बीते दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश से खेत खलिहान भरे हुए है. इस बीच धान की रोपाई जारी है."
लगातार हो रही बारिश से धान किसान खुश: दरअसल, छत्तीसगढ़ के उत्तर में स्थित सरगुजा संभाग और दक्षिण में स्थित बस्तर संभाग को छोड़कर बीच के क्षेत्र में धान की सबसे अधिक उत्पादन होती है, जिसके कारण छत्तीसगढ़ को "धान का कटोरा" कहा जाता है. वहीं, बस्तर में रियासतकाल के दौरान बस्तर के आदिवासी कोदो, कुटकी, रागी जैसे अन्य फसल का उत्पादन करते थे. लेकिन अब काफी समय से बस्तर में भी धान का उत्पादन किया जा रहा है. बस्तर के अधिकतर किसान केवल बारिश के मौसम में मिलने वाले पानी से ही धान की फसल लगाते हैं, इसीलिए अब बारिश से किसानों में खुशी देखने को मिल रही है. वे खेतों में धान का फसल लगा रहे हैं. खेत-खलिहान भर जाने से धान रोपाई के कामों में तेजी आई है. रिमझिम बारिश के बीच छत्ते और रेनकोट की मदद से किसान खेतों में धान की रोपाई कर रहे हैं.