रायपुर: शहरों में सार्वजनिक परिवहन के ढांचे को दुरुस्त करने केंद्र सरकार ने पीएम ई-बस सेवा योजना शुरू की है. इस योजना के तहत राज्यों के शहरों की जनसंख्या के आधार पर बसों की संख्या निर्धारित की गई है. जिसके अनुसार रायपुर को 100, दुर्ग-भिलाई को 50, बिलासपुर को 50 तथा कोरबा को 40, इस प्रकार कुल 240 ई-बसों की स्वीकृति दी गई है.
रायपुर, दुर्ग-भिलाई, बिलासपुर और कोरबा को ई-बस: भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ के चार प्रमुख शहरों रायपुर, दुर्ग-भिलाई, बिलासपुर और कोरबा को पीएम ई-बस सेवा योजना के तहत इलेक्ट्रिक बसों के संचालन की मंजूरी दी है. यह घोषणा न केवल छत्तीसगढ़ के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण है, बल्कि पूरे देश के लिए एक मील का पत्थर भी है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ और हरित भारत के सपने को साकार करने में एक महत्वपूर्ण कदम है.
इलेक्ट्रिक बसों से शहरी परिवहन में आइगी क्रांति: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा, "राज्य में इलेक्ट्रिक बसों की शुरुआत से शहरी परिवहन में क्रांति आएगी. यह पहल हमें पर्यावरणीय संरक्षण के साथ-साथ नागरिकों को बेहतर परिवहन सुविधा प्रदान करने की दिशा में एक कदम आगे ले जाती है." उन्होंने नगरीय प्रशासन विभाग के अधिकारियों को इस चैलेंज में सफल होने पर बधाई दी. साथ ही भविष्य में और शहरों को भी इस योजना में शामिल करने के प्रयास करने निर्देश दिए.
"यह योजना हमारे नागरिकों के लिए उपहार": उप मुख्यमंत्री तथा नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव ने कहा, "डबल इंजन की सरकार के कारण हम नवाचार और स्थिरता की नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं. यह योजना हमारे नागरिकों के लिए एक उपहार है, जो न केवल पर्यावरण को बचाएगी, बल्कि हमारे जीवन को भी सुगम बनाएगी."
ई-बसों का आगमन छत्तीसगढ़ के नागरिकों के लिए एक नई और स्वच्छ परिवहन सेवा का द्वार खोलेगी. इन बसों के शुरू होने से पर्यावरणीय प्रदूषण में कमी आएगी और शहरों की वायु गुणवत्ता में सुधार होगा। साथ ही ऊर्जा की बचत भी होगी. - अरुण साव, डिप्टी सीएम, छत्तीसगढ़
योजना में रखी जाएगी पूरी पारदर्शिता: इस योजना में केंद्र सरकार द्वारा शहरों को बसों की खरीद तथा उनके संचालन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी जिसमें एक बड़ा हिस्सा शहरों में बस डिपो जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए भी खर्च किया जाएगा। योजना की सामान्य शर्तों में यह भी शामिल है कि प्रोजेक्ट के तहत दिए जाने वाले पैसे का थर्ड पार्टी ऑडिट अनिवार्य होगा, ताकि पूरी पारदर्शिता रहे. शहरों को हर तीन महीने में बसों के संचालन का हिसाब-किताब देना होगा. योजना के तहत तीन तरह की बसें स्टैंडर्ड, मीडियम और मिनी चलाई जाएंगी.
दरअसल, भारत सरकार की यह योजना राज्यों को मिलने वाली केंद्रीय मदद को पारदर्शिता और उनके प्रदर्शन से जोड़ने की केंद्र की कोशिश का हिस्सा है. केंद्र सरकार चाहती है कि यह योजना शहरों में मेट्रो के विकल्प या उसके सहयोगी साधन के रूप में विकसित हो. ताकि लोगों को किफायती, भरोसेमंद और सुगम परिवहन की सुविधा मिले. भारत सरकार आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय की केंद्रीय स्वीकृति तथा संचालन कमेटी (CSSC) की बैठक हुई. इसकी छठवीं बैठक में 01 मार्च को रायपुर तथा 14 मार्च को सातवीं बैठक में छत्तीसगढ़ के 3 शहरों के प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की गई है.