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छत्तीसगढ़ का पहला लीगेसी वेस्ट मैनेजमेंट,डंपिंग यार्ड को बनाया स्वर्ग - legacy waste management

Legacy waste management स्वच्छ भारत मिशन के तहत अंबिकापुर नगर निगम ने प्रदेश में सबसे पहले अपना डंपिंग यार्ड को खत्म किया था. इतना ही नहीं वर्षो पुराने इस लीगेसी वेस्ट की 16 एकड़ जमीन को दोबारा उपजाऊ भी बना दिया. अब इस जगह पर दुर्गन्ध और कचरा नही बल्कि खूबसूरत गार्डन है. जहां लोग घूमने आते हैं. अपना जन्मदिन सेलिब्रेट करते हैं. साल 2016 में अम्बिकापुर नगर निगम ने लीगेसी वेस्ट प्रबंधन के जरिए इस कचरा डंपिंग वाले जमीन की तस्वीर बदल दी है. Dumping yard turned into heaven

Legacy waste management
छत्तीसगढ़ का पहला लीगेसी वेस्ट मैनेजमेंट (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 2, 2024, 5:42 PM IST

सरगुजा : स्वच्छ भारत मिशन के तहत जब देश भर में काम शुरू हुए तो अम्बिकापुर नगर निगम में कचरा प्रबंधन का ऐसा मॉडल शुरू हुआ. जो पहले पूरे प्रदेश में लागू हुआ. फिर देखते-देखते पूरे देश मे इसी मॉडल की तर्ज पर प्रबंधन किया जा रहा है. तत्कालीन सरगुजा कलेक्टर आईएएस ऋतु सेन ने एक नवाचार किया. इस काम को महिलाओं के सेल्फ हेल्प ग्रुप के माध्यम से शुरू किया. डोर टू डोर कचरा प्रबंधन, गीला सूखा कचरा अलग कर उसे बेचने या रीयूज का काम शुरू किया गया. उसी दौरान सबसे पहले डंपिंग यार्ड को खत्म कर उस लैंड फील्ड को ट्रीट किया गया.


लोग जन्मदिन मनाते हैं : गार्डन का आनंद ले रहे युवक ने बताया कि हम लोग यहां घूमने आते हैं. बहुत सुंदर है ये पहले सुनते थे कि यहां कचरे का पहाड़ हुआ करता था.बहुत दुर्गन्ध आती थी. लेकिन अब ऐसा नहीं है. लोग यहां अपना जन्मदिन भी मानते हैं ये जगह बहुत सुंदर है. अंबिकापुर शहर और आसपास के लोग खाली समय मे यहां घूमने आते हैं.


बॉयो रेमिडीएशन के तहत हुआ कायाकल्प : स्वच्छ भारत मिशन अर्बन के नोडल अधिकारी रितेश सैनी बताते हैं कि " वर्ष 2015 में जब अम्बिकापुर में डोर टू डोर कचरा प्रबंधन की व्यवस्था नही थी तब शहर का कचरा एक जगह पर फेंका जाता था. जिसको डंपिंग ग्राउंड बोला जाता है. अंबिकापुर के बिलासपुर रोड में एक 16 एकड़ का डंपिंग ग्राउंड था,अम्बिकापुर में डोर टू डोर कचरा प्रबंधन का काम शुरू हो गया. लीगेसी वेस्ट मैनेजमेंट के तहत पहले कुम्भकोणम नामक शहर में बायोमाईनिंग पद्धति से बॉयो रेमिडीएशन का काम 2015 में किया गया था.

छत्तीसगढ़ का पहला लीगेसी वेस्ट मैनेजमेंट (ETV Bharat Chhattisgarh)

''श्री निवासन जी अम्बिकापुर के कंसल्टेंट थे. उन्होंने 2016 में यहां बायोमाइनिंग पद्धति से बॉयो रेमिडीएशन का कार्य कराया. इसके बाद प्लास्टिक अलग किया गया. जूट कैंपिंग के बाद उसमें रागी के सीड्स लगाया गया.आज वहां स्वच्छता पार्क स्थापित है, ये छत्तीसगढ़ का पहला बायो रेमिडीएशन का कार्य है."- रितेश सैनी,नोडल अधिकारी, स्वच्छता मिशन

आपको बता दें कि अंबिकापुर में कचरे का पहाड़ था. सड़क से गुजरने वाले लोग दुर्गन्ध से परेशान होते थे. आज उसी स्थान पर लोग बर्थडे पार्टी करते हैं. जहरीली हो चुकी जमीन अब उपजाऊ है. घास के साथ कई तरह के फूल पौधे वहां लगे हुए हैं. कभी गंदगी का पर्याय रही जगह आज लोगों के आनंद का विषय बन चुकी है.

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लोग जन्मदिन मनाते हैं : गार्डन का आनंद ले रहे युवक ने बताया कि हम लोग यहां घूमने आते हैं. बहुत सुंदर है ये पहले सुनते थे कि यहां कचरे का पहाड़ हुआ करता था.बहुत दुर्गन्ध आती थी. लेकिन अब ऐसा नहीं है. लोग यहां अपना जन्मदिन भी मानते हैं ये जगह बहुत सुंदर है. अंबिकापुर शहर और आसपास के लोग खाली समय मे यहां घूमने आते हैं.


बॉयो रेमिडीएशन के तहत हुआ कायाकल्प : स्वच्छ भारत मिशन अर्बन के नोडल अधिकारी रितेश सैनी बताते हैं कि " वर्ष 2015 में जब अम्बिकापुर में डोर टू डोर कचरा प्रबंधन की व्यवस्था नही थी तब शहर का कचरा एक जगह पर फेंका जाता था. जिसको डंपिंग ग्राउंड बोला जाता है. अंबिकापुर के बिलासपुर रोड में एक 16 एकड़ का डंपिंग ग्राउंड था,अम्बिकापुर में डोर टू डोर कचरा प्रबंधन का काम शुरू हो गया. लीगेसी वेस्ट मैनेजमेंट के तहत पहले कुम्भकोणम नामक शहर में बायोमाईनिंग पद्धति से बॉयो रेमिडीएशन का काम 2015 में किया गया था.

छत्तीसगढ़ का पहला लीगेसी वेस्ट मैनेजमेंट (ETV Bharat Chhattisgarh)

''श्री निवासन जी अम्बिकापुर के कंसल्टेंट थे. उन्होंने 2016 में यहां बायोमाइनिंग पद्धति से बॉयो रेमिडीएशन का कार्य कराया. इसके बाद प्लास्टिक अलग किया गया. जूट कैंपिंग के बाद उसमें रागी के सीड्स लगाया गया.आज वहां स्वच्छता पार्क स्थापित है, ये छत्तीसगढ़ का पहला बायो रेमिडीएशन का कार्य है."- रितेश सैनी,नोडल अधिकारी, स्वच्छता मिशन

आपको बता दें कि अंबिकापुर में कचरे का पहाड़ था. सड़क से गुजरने वाले लोग दुर्गन्ध से परेशान होते थे. आज उसी स्थान पर लोग बर्थडे पार्टी करते हैं. जहरीली हो चुकी जमीन अब उपजाऊ है. घास के साथ कई तरह के फूल पौधे वहां लगे हुए हैं. कभी गंदगी का पर्याय रही जगह आज लोगों के आनंद का विषय बन चुकी है.

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