रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन प्रश्नकाल में सबसे पहले विघायक लखेश्वर बघेल ने आदिवासी आश्रमों और छात्रावासों में बच्चों की मौत का प्रश्न पूछा. विधायक ने पूछा कि पूरे छत्तीसगढ़ में आश्रम और हॉस्टल में सालभर में 25 से 30 बच्चों की मौत हुई है. लेकिन अधिकारी उन्हें गलत जानकारी दे रहे हैं. ऐसा गलत जानकारी देने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करेंगे क्या ?
आश्रम में बच्चों की मौत मामले में मंत्री का जवाब: विघायक लखेश्वर बघेल के प्रश्न का जवाब देते हुए आदिम जाति विकास मंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि आश्रमों और छात्रावासों से जुड़े मामलों में पिछली सरकार के अधिकारी अब भी पदस्थ है. छात्रावासों में बच्चों की मौत के संबंध में पूरी जानकारी लेकर विभाग और संबंधित जिले के कलेक्टर को हॉस्टल में विशेष रूप से रखरखाव पर ध्यान देने को कहा गया है. अधिकारियों को समय समय पर बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करने का भी निर्देश दिए गए हैं.. जांच रिपोर्ट में जो भी दोषी होगा उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
विधायक का आरोप, छात्रावास में सुरक्षित नहीं आदिवासी बच्चे: लखेश्वर ने अगला प्रश्न पूछा कि सिर्फ बीजापुर में ही आश्रम में 10 बच्चों की मौत अलग अलग कारणों से हुई है. लेकिन सिर्फ 3 बच्चों की जानकारी दी गई. अधिकारी गुमराह कर रहे हैं. आदिवासी बच्चे छात्रावास में सुरक्षित नहीं है. नक्सली आदिवासियों को खत्म कर रहे हैं, सरकारी तंत्र छात्रावासों में बच्चों को खत्म कर रहे हैं. आदिवासी सीएम के राज में आदिवासी सुरक्षित नहीं और सुशासन की बात करते हैं. इस मामले में गंभीरता जरूरी है. उन्होंने अगला सवाल पूछा कि छात्रावास में बच्चों का कितने बार मेडिकल चेकअप किया गया इसकी जानकारी मंत्री जी दें?
विधायक ने सदन में उठाया सुकमा में भूख से बच्ची की मौत का मामला: विधायक ने कहा "परिजन बच्चों की पढ़ाई और भविष्य के लिए छात्रावास भेजते हैं और हम उन्हें मार रहे हैं. 16 दिसंबर को सुकमा जिले में एक बच्ची भूख से मरी. उसे रातभर खाने को नहीं मिला."
विधायक के प्रश्न और आरोपों पर मंत्री रामविचार नेताम ने जवाब देते हुए कहा कि 14 बच्चों की सूची मिली है. 14 के अतिरिक्त और बच्चे हैं तो उनकी सूची दे दीजिए, हम जांच करा देंगे. मंत्री ने आगे कहा कि "कवासी लखमा ने स्वीकार किए कि आदिवासी क्षेत्रों में वन अधिकार पत्र की मांग तेजी से हो रही है कि क्योंकि बस्तर में शांति बहाल हुई है, विकास हो रहा है. बस्तर के आदिवासियों में विकास की ललक जगी है. आपने जो बिगाड़ा है इस एक साल में हमारी सरकार उसे बनाने का काम कर रही है."
पोटाकेबिन में 6 महीने में 10 बच्चों की मौत होने का आरोप: बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी ने बीच में टोकते हुए कहा कि "पोटा आश्रम में पिछले 6 महीने में 10 बच्चों की मौत हुई है. लगातार प्रशासन से इस मामले में कार्रवाई की मांग की लेकिन किसी भी दोषी अधिकारी के खिलाफ एक्शन नहीं लिया गया."
मंत्री ने कहा "इस तरह के जहां भी मामले आते हैं, ये काफी संवेदनशील मामला है. इस पर तुरंत कार्रवाई की गई है. "
मंत्री का जवाब, 14 बच्चों की मौत मामले में हुई कार्रवाई: मंडावी ने कहा कि क्या किसी अधिकारी को निलंबित किया गया. इस पर मंत्री नेताम ने कहा "जब वे तत्कालीन राज्यसभा में सदस्य थे उस समय बस्तर और दूसरे आदिवासी क्षेत्रों में बच्चों की जानकारी मांगी गई. तब इस बात का खुलासा हुआ कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार में 25 हजार बच्चों की मौत हुई. इसलिए आरोप प्रत्यारोप नहीं लगाइए. इस समय 14 बच्चों की मौत के मामले में कार्रवाई की गई."
सुकमा पोटाकेबिन में भूख से बच्ची की मौत: विधायक कवासी लखमा ने एक बार फिर बीच में टोकते हुए कहा "छींदगढ़ में पोटाकेबिन की बच्ची प्रार्थना में खड़ी होती है. तीन दिन बच्ची को भूखा रखा गया और बच्ची की मौत हो गई. हॉस्टल में जब कांग्रेस के कार्यकर्ता पहुंचे तो वहां पहले से ही पुलिस मौजूद थी. पुलिस ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को अंदर घुसने नहीं दिया. क्या इस मामले में कार्रवाई की जाएगी?
कांकेर छात्रावास में अधिकारी पर बच्चों को थप्पड़ मारने का आरोप: इसी मामले में भानुप्रतापपुर विधायक सावित्री मंडावी ने भी सवाल पूछा. उन्होंने कहा "कांकेर के पीएमटी छात्रावास में 6 से 7 बच्चों को अधिकारी ने थप्पड़ मारा है. लेकिन उस अधिकारी पर अब तक कार्रवाई नहीं है. बच्चे इतने दहशत में आ गए कि एक बच्चा आत्महत्या करने की भी कोशिश करने लगा. जिसे हॉस्टल के दूसरे बच्चों ने समझाया."
आश्रम और छात्रावास में बच्चों की मौत मामले में नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने सदन में कहा "प्रश्न पूछने वाला आदिवासी है. उत्तर देना वाला भी आदिवासी है. और इन सबके संरक्षक भी आदिवासी है. ये मामला काफी संवेदनशील है. आए दिन छात्रावासों में बच्चों की मौत होने की खबरें आ रही है. बच्चों के साथ दुष्कर्म हो रहे हैं. ये हमारा आरोप नहीं है. परिस्थितियां ऐसे क्यों बन रही है, इसे गंभीरता से सोचना चाहिए."
चरणदास महंत की रामविचार नेताम को नसीहत: महंत ने मंत्री नेताम के उत्तर पर भी व्यंग्य कसा. उन्होंने कहा "मंत्री जी ने उत्तर दिया कि आपके जमाने के अधिकारी है. अधिकारी आपके जमाने के हो या हमारे जमाने के, अधिकारी शासन का होता है. पांच साल तक बघेल जी की सरकार थी. उससे पहले 15 साल आपकी सरकार थी. अब विष्णुदेव साय की सरकार का पहला साल है. पहले ही साल में इतने बच्चों की हत्याएं हो रही है. मंत्री जी को अपने राज्यसभा के कार्यकाल के बारे में सदन को बता रहे हैं लेकिन वे अब छत्तीसगढ़ सरकार में मंत्री है. यहां क्या हो रहा है इसे देख लीजिए. बच्चों की हत्याएं और दुष्कर्म क्यों हो रहे हैं. स्कूल के शिक्षक उद्दंड क्यों हो रहे हैं. पोटाकेबिन में मौत क्यों हो रही है इस बात की गंभीरता से जांच होनी चाहिए. "
मंत्री ने जांच का दिया आश्वासन: मंत्री रामविचार नेताम ने नेता प्रतिपक्ष के सुझावों को गंभीरता से लेने की बात कहते हुए तुरंत कार्रवाई की बात कही. उन्होंने कहा कि आश्रम और छात्रावास में बच्चे रहने वाले काफी जरूरतमंद है. ऐसे बच्चों को लिए हमारी सरकार पूरी तरह से गंभीर है."
मंत्री के जवाब के बीच कवासी लखमा ने फिर अपना सवाल दोहराया और पूछा कि "सुकमा में बच्ची भूख से मर रही है. इस पर अधिकारी पर कार्रवाई होनी चाहिए. मामले में गंभीरता दिखाने से नहीं चलेगा."
मंत्री ने कहा दादी आप लिखकर दीजिए, इस पर जांच रिपोर्ट के बाद कार्रवाई की जाएगी. इस पर चंद्राकर ने चुटकी लेते हुए कहा कि दादी लिखती नहीं है बल्कि लिखवाती है.
लखमा ने सदन में फिर सवाल किया "बीजापुर में 10 बच्चों की मौत हुई लेकिन इसका कोई जिक्र नहीं है. अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही. इस वजह से आदिवासी बच्चों के मौत के मामले बढ़ते जा रहे हैं. आदिवासी मुख्यमंत्री होने के बाद भी आदिवासी बच्चों की मौत हो रही है." लखमा ने एक बार फिर पूरे मामले की जांच की मांग की.
विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह ने मामले को संभालते हुए कहा कि मामला गंभीर है. आप जो भी लिखकर देंगे, मंत्री जी सारे विषयों की एक साथ जांच की जाएगी.