छतरपुर: बुंदेलखंड का खजुराहो अपनी संस्कृति, कला, मंदिरों, वेशभूषा और अपने खान-पान के लिए प्रसिद्ध है. यहां की संस्कृति से रूबरू होने के लिए देश ही नहीं विदेशों से भी लोग आते हैं, घूमते हैं और आनंद उठाते है. पर्यटकों को लुभाने के लिए मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग द्वारा स्थापित 'आदिवर्त' में प्रत्येक शनिवार और रविवार को देशज कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. यह सांस्कृतिक समारोह नृत्य, नाट्य, गायन व वादन पर केन्द्रित रहता है. इस बार बुंदेली गीत और बुंदेली दिवारी ने पर्यटकों के मन को खूब मोहा.
बुंदेली संस्कार गीतों ने दर्शकों का मन मोहा
जनजातीय लोककला राज्य संग्रहालय खजुराहो 'आदिवर्त' में शनिवार की शाम को रेखा बाई पटेल और उनके साथियों ने बुंदेली संस्कार गीतों की प्रस्तुति दी. इसके बाद अगली प्रस्तुति के रूप में शरद विश्वकर्मा और साथियों ने बुंदेली संस्कार गीतों पर अपने शानदार प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया. कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति के रूप में रामावतार मिश्रा की टीम ने अपनी कला से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन करके कलाकारों के स्वागत से हुई.
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रविवार को भी होंगी कई प्रस्तुतियां
समारोह में रविवार को परशुराम अवस्थी और उनके साथियों द्वारा बुन्देली लोकगीत, राजेश कुमार रैकवार और साथियों द्वारा दीवारी नृत्य, कैलाश यादव व उनकी टीम द्वारा बुन्देली लोकगीत की प्रस्तुति दी जाएगी. बुंदेली गीत गायक परशुराम अवस्थी बताते हैं "हम लोगों का यह सौभाग्य है कि इतने बड़े मचं पर हमें अपनी कला, गीत, बुंदेली संगीत दिखाने ओर गाने का मौका मिल रहा है. खजुराहो में देश-दुनिया भर से लोग आते हैं और हमारी बुंदेली सस्कृति का आनंद लेते हैं."