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सूरज की पहली किरण के साथ दूसरा अर्घ्य देकर पूरा किया छठ का व्रत

दुर्ग भिलाई में नदी और तालाब के किनारे छठ पूजा धूमधाम से मनाई गई.

CHHATH PUJA IN BHILAI
भिलाई छठ पूजा (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 8, 2024, 11:23 AM IST

भिलाई: उठऊ सूरज देव भईले बिहान..ये गीत शुक्रवार की सुबह दुर्ग जिले के सभी छठ तालाबों में व्रतियों की जुबां पर रहा. छठ महापर्व के आखिरी दिन सुबह 4 बजे से छठ व्रती और हजारों श्रद्धालु भिलाई और दुर्ग के अलग अलग तालाबों में पहुंचे. सूर्य देव के उगने से पहले उदीयमान सूर्य का इंतजार सभी श्रद्धालु कर रहे थे. जैसे ही सूर्य देव का उदय हुआ. छठ व्रतियों ने भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर पूजा अर्चना की.

भिलाई में छठ पूजा का समापन: सुबह करीब 6.15 बजे छठ व्रतियों ने कमर तक पानी में उतरकर सूर्य नारायण को अर्घ्य दिया. छठ घाटों पर छठी मइया के भजन, गीत गूंजते रहे. व्रती महिला व पुरुषों ने सूर्यदेव को अर्घ्य समर्पित करते हुए परिवार की सुरक्षा, उन्नति और बच्चों की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना की. पूजा के बाद 36 घंटे का व्रत पूरा किया. इसी के साथ ही चार दिन तक चले महापर्व का समापन हो गया.

भिलाई में छठ पूजा का उत्साह (ETV Bharat Chhattisgarh)

छठी मैया की महिमा अपरमपार: छठ व्रती साधना सिंह ने बताया कि यह व्रत घर परिवार की सुख शांति का पर्व है. यह आस्था का पर्व है. इस पर्व की महिमा अपरमपार है. इसके बारे में कुछ शब्दों में नहीं कहा जा सकता. एक बार छठी मैया का व्रत करता है वह उसे जीवन भर नहीं छोड़ना चाहता. यह व्रत घर में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी की परंपरा के रूप में चला आ रहा है.

Chhath puja in bhilai
सूर्य को अर्घ्य देकर छठ महापर्व का समापन (ETV Bharat Chhattisgarh)

उगते और डूबते सूर्य की पूजा का पर्व: जनप्रतिनिधि वशिष्ठ नारायण मिश्रा ने कहा कि छठ का महत्व अभूतपूर्व है. इस पर्व में उगते सूर्य से लेकर डूबते सूर्य की पूजा होती है. महापर्व छठ हमें सीख देता हैं कि जो अस्त होता हैं वह उदय भी होता हैं. अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाले महापर्व छठ इस बात का साक्षी हैं. भिलाई के लोगों ने काफी हर्षोउल्लास के साथ छठ महापर्व मनाया.

Chhath puja in Baikunthpur
भिलाई में छठ महापर्व (ETV Bharat Chhattisgarh)
उगते सूर्य को अर्घ्य देकर संपन्न हुआ लोकआस्था का महापर्व छठ, हसदेव नदी के तट पर भक्तों का मेला
रामानुजगंज में छठ महापर्व, कन्हर नदी घाट पर छठ मनाने अंबिकापुर से पहुंचे छठ व्रती

भिलाई: उठऊ सूरज देव भईले बिहान..ये गीत शुक्रवार की सुबह दुर्ग जिले के सभी छठ तालाबों में व्रतियों की जुबां पर रहा. छठ महापर्व के आखिरी दिन सुबह 4 बजे से छठ व्रती और हजारों श्रद्धालु भिलाई और दुर्ग के अलग अलग तालाबों में पहुंचे. सूर्य देव के उगने से पहले उदीयमान सूर्य का इंतजार सभी श्रद्धालु कर रहे थे. जैसे ही सूर्य देव का उदय हुआ. छठ व्रतियों ने भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर पूजा अर्चना की.

भिलाई में छठ पूजा का समापन: सुबह करीब 6.15 बजे छठ व्रतियों ने कमर तक पानी में उतरकर सूर्य नारायण को अर्घ्य दिया. छठ घाटों पर छठी मइया के भजन, गीत गूंजते रहे. व्रती महिला व पुरुषों ने सूर्यदेव को अर्घ्य समर्पित करते हुए परिवार की सुरक्षा, उन्नति और बच्चों की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना की. पूजा के बाद 36 घंटे का व्रत पूरा किया. इसी के साथ ही चार दिन तक चले महापर्व का समापन हो गया.

भिलाई में छठ पूजा का उत्साह (ETV Bharat Chhattisgarh)

छठी मैया की महिमा अपरमपार: छठ व्रती साधना सिंह ने बताया कि यह व्रत घर परिवार की सुख शांति का पर्व है. यह आस्था का पर्व है. इस पर्व की महिमा अपरमपार है. इसके बारे में कुछ शब्दों में नहीं कहा जा सकता. एक बार छठी मैया का व्रत करता है वह उसे जीवन भर नहीं छोड़ना चाहता. यह व्रत घर में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी की परंपरा के रूप में चला आ रहा है.

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उगते और डूबते सूर्य की पूजा का पर्व: जनप्रतिनिधि वशिष्ठ नारायण मिश्रा ने कहा कि छठ का महत्व अभूतपूर्व है. इस पर्व में उगते सूर्य से लेकर डूबते सूर्य की पूजा होती है. महापर्व छठ हमें सीख देता हैं कि जो अस्त होता हैं वह उदय भी होता हैं. अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाले महापर्व छठ इस बात का साक्षी हैं. भिलाई के लोगों ने काफी हर्षोउल्लास के साथ छठ महापर्व मनाया.

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उगते सूर्य को अर्घ्य देकर संपन्न हुआ लोकआस्था का महापर्व छठ, हसदेव नदी के तट पर भक्तों का मेला
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