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Chhath Puja 2024: उगते सूर्य को अर्घ्य देकर हुआ छठ पूजा का समापन, लोगों ने की अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना - CHHATH PUJA 2024

उगते भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर छठव्रतियों ने अपना 36 घंटे का निर्जला उपवास समाप्त किया.

Chhath Puja 2024
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 8, 2024, 6:45 AM IST

Updated : Nov 8, 2024, 6:55 AM IST

कोडरमा: जिले में लोक आस्था के महापर्व छठ के चौथे और अंतिम दिन आज छठव्रतियों ने उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर इस महापर्व का समापन किया. बड़ी संख्या में छठव्रती उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए छठ घाटों पर पहुंचे और तालाबों और पोखरों के पानी में डुबकी लगाने के बाद भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया. सभी ने अपने और अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की.

छठ घाटों पर अर्घ्य देने के लिए छठव्रतियों के लिए छठ पूजा समिति की ओर से दूध का वितरण किया गया. साथ ही भगवान भास्कर को दूसरा अर्घ्य देकर घर लौट रहे छठव्रतियों के लिए शर्बत और पानी की व्यवस्था की गई.

जानकारी देते संवाददाता भोलाशंकर सिंह (ईटीवी भारत)

आपको बता दें कि बिहार-झारखंड में छठ पर्व का विशेष महत्व है. बिहार-झारखंड के लगभग हर घर में छठ पर्व पूरी आस्था और भक्ति के साथ मनाया जाता है. साथ ही छठ में शुद्धता का भी पूरा ख्याल रखा जाता है. चार दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है.

नहाय-खाय के दूसरे दिन चावल और गुड़ से बने प्रसाद को भगवान को अर्पित करने के बाद छठ व्रती उस प्रसाद को ग्रहण करती हैं. जिसके बाद छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है. पर्व के तीसरे दिन तालाबों, पोखरों और नदियों में खड़े होकर छठ व्रती अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद अपने घर लौटती हैं. पर्व के अंतिम दिन छठव्रती सुबह-सुबह छठ घाट पर पहुंचती हैं और उगते हुए भगवान भास्कर को दूसरा अर्घ्य देने के बाद अपना 36 घंटे का निर्जला व्रत समाप्त करती हैं.

यह भी पढ़ें:

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छठ की तैयारी पूरी-अब अर्घ्य की बारी, भक्ति में डूबे श्रद्धालु

कोडरमा: जिले में लोक आस्था के महापर्व छठ के चौथे और अंतिम दिन आज छठव्रतियों ने उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर इस महापर्व का समापन किया. बड़ी संख्या में छठव्रती उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए छठ घाटों पर पहुंचे और तालाबों और पोखरों के पानी में डुबकी लगाने के बाद भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया. सभी ने अपने और अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की.

छठ घाटों पर अर्घ्य देने के लिए छठव्रतियों के लिए छठ पूजा समिति की ओर से दूध का वितरण किया गया. साथ ही भगवान भास्कर को दूसरा अर्घ्य देकर घर लौट रहे छठव्रतियों के लिए शर्बत और पानी की व्यवस्था की गई.

जानकारी देते संवाददाता भोलाशंकर सिंह (ईटीवी भारत)

आपको बता दें कि बिहार-झारखंड में छठ पर्व का विशेष महत्व है. बिहार-झारखंड के लगभग हर घर में छठ पर्व पूरी आस्था और भक्ति के साथ मनाया जाता है. साथ ही छठ में शुद्धता का भी पूरा ख्याल रखा जाता है. चार दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है.

नहाय-खाय के दूसरे दिन चावल और गुड़ से बने प्रसाद को भगवान को अर्पित करने के बाद छठ व्रती उस प्रसाद को ग्रहण करती हैं. जिसके बाद छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है. पर्व के तीसरे दिन तालाबों, पोखरों और नदियों में खड़े होकर छठ व्रती अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद अपने घर लौटती हैं. पर्व के अंतिम दिन छठव्रती सुबह-सुबह छठ घाट पर पहुंचती हैं और उगते हुए भगवान भास्कर को दूसरा अर्घ्य देने के बाद अपना 36 घंटे का निर्जला व्रत समाप्त करती हैं.

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Last Updated : Nov 8, 2024, 6:55 AM IST
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