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भिवानी में त्रिवेणी जोहड़ी तालाब किनारे मना छठ पर्व, उगते सूर्य को व्रतियों ने दिया अर्घ्य - CHHATH PUJA 2024

भिवानी में त्रिवेणी जोहड़ी तालाब किनारे व्रतियों ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया.

CHHATH PUJA 2024
उगते सूर्य को व्रतियों ने दिया अर्घ्य (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 8, 2024, 11:45 AM IST

भिवानी: आज उषा अर्घ्य के साथ ही छठ महापर्व का समापन हो चुका है. इस बीच सुबह-सुबह हर एक घाट पर भीड़ देखने को मिली. भिवानी के बैंक कॉलोनी स्थित त्रिवेणी जोहड़ी तालाब पर पूर्वांचल सेवा समिति की ओर से छठ पर्व की पूरी व्यवस्था की गई थी. यहां धूमधाम से छठ महापर्व मनाया गया. यहां आर्टिफिशियल घाट की भी व्यवस्था की गई थी. यहां तालाब का पानी सूखने के बाद समाज के लोगों ने एक छोटे से नदी जैसा तैयार किया, जिसमें टैंकरों से पानी डाला गया. इसके बाद व्रतियों ने सूर्यदेव को अर्घ्य दिया. इस दौरान विधायक घनश्याम सर्राफ और उनकी धर्मपत्नी प्रेमलता सर्राफ भी मौजूद थी.

छठ गीतों से माहौल हुआ भक्तिमय: भिवानी के त्रिवेणी जोहड़ी तालाब के किनारे गुरुवार शाम और शुक्रवार सुबह व्रतियों ने विधि-विधान से सूर्य की उपासना की. इस दौरान पूरा माहौल छठ के गीतों से गूंज उठा. महिलाएं छठ के गीत गुनगुनाते नजर आई. वहीं, शुक्रवार सुबह उषा अर्घ्य के बाद पर्व का समापन हुआ. घाट पहुंचे विधायक घनश्याम सर्राफ ने कहा कि छठ पूजा प्राचीन काल से स्वच्छता का संदेश देती आ रही है. इस पर्व के दौरान व्रति महिलाएं शुद्धता से प्रसाद तैयार करती हैं. उस प्रसाद को सूर्य देवता को अर्पित किया जाता है.

36 घंटे तक महिलाएं रहती हैं निर्जल: विधायक ने यह भी कहा कि छठ पूजा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह लोक आस्था का पर्व है. इसमें पूरा समाज एकजुट होकर भाग लेता है. यह पर्व सामूहिकता का प्रतीक है, जो समाज में एकता और समरसता की भावना को बढ़ाता है. इस व्रत में महिलाएं 36 घंटे का कठोर निर्जल व्रत रखती हैं, जो उनके संकल्प और श्रद्धा का परिचायक है.

भिवानी: आज उषा अर्घ्य के साथ ही छठ महापर्व का समापन हो चुका है. इस बीच सुबह-सुबह हर एक घाट पर भीड़ देखने को मिली. भिवानी के बैंक कॉलोनी स्थित त्रिवेणी जोहड़ी तालाब पर पूर्वांचल सेवा समिति की ओर से छठ पर्व की पूरी व्यवस्था की गई थी. यहां धूमधाम से छठ महापर्व मनाया गया. यहां आर्टिफिशियल घाट की भी व्यवस्था की गई थी. यहां तालाब का पानी सूखने के बाद समाज के लोगों ने एक छोटे से नदी जैसा तैयार किया, जिसमें टैंकरों से पानी डाला गया. इसके बाद व्रतियों ने सूर्यदेव को अर्घ्य दिया. इस दौरान विधायक घनश्याम सर्राफ और उनकी धर्मपत्नी प्रेमलता सर्राफ भी मौजूद थी.

छठ गीतों से माहौल हुआ भक्तिमय: भिवानी के त्रिवेणी जोहड़ी तालाब के किनारे गुरुवार शाम और शुक्रवार सुबह व्रतियों ने विधि-विधान से सूर्य की उपासना की. इस दौरान पूरा माहौल छठ के गीतों से गूंज उठा. महिलाएं छठ के गीत गुनगुनाते नजर आई. वहीं, शुक्रवार सुबह उषा अर्घ्य के बाद पर्व का समापन हुआ. घाट पहुंचे विधायक घनश्याम सर्राफ ने कहा कि छठ पूजा प्राचीन काल से स्वच्छता का संदेश देती आ रही है. इस पर्व के दौरान व्रति महिलाएं शुद्धता से प्रसाद तैयार करती हैं. उस प्रसाद को सूर्य देवता को अर्पित किया जाता है.

36 घंटे तक महिलाएं रहती हैं निर्जल: विधायक ने यह भी कहा कि छठ पूजा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह लोक आस्था का पर्व है. इसमें पूरा समाज एकजुट होकर भाग लेता है. यह पर्व सामूहिकता का प्रतीक है, जो समाज में एकता और समरसता की भावना को बढ़ाता है. इस व्रत में महिलाएं 36 घंटे का कठोर निर्जल व्रत रखती हैं, जो उनके संकल्प और श्रद्धा का परिचायक है.

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