चंडीगढ़: छठ महापर्व का आज तीसरा दिन है. आज व्रती संध्या अर्घ्य देंगी. महिलाएं घाट पर जाकर फल और पकवान से भरा सूप लेकर छठ मैया को अर्पित करेंगी. सुबह उषा अर्ध्य के बाद व्रती व्रत का पारण करेंगी. संध्या अर्घ्य को लेकर आज सभी घाटों की सफाई के साथ ही छठ पूजा को लेकर सुरक्षा की भी तैयारियां की गई है. ताकि व्रती को कोई परेशानी न हो. आइए जानते हैं संध्या अर्घ्य का शुभ मुहूर्त और महत्व.
सुबह से तैयार होता है ठेकुआ और पकवान: संध्या अर्घ्य के एक दिन पहले खरना होता है. खरना के बाद से ही व्रती अन्न जल ग्रहण नहीं करती हैं. संध्या अर्घ्य के दिन सुबह उठकर व्रती मिट्टी के चूल्हे पर ठेकुआ, पुआ, पुड़ी, गुजिया सहित अन्य पकवान तैयार करती हैं. इसके बाद बांस की बहंगी में बांस का सूप फिर पीतल के सूप लेकर उसमें फल और पकवानों को सजा कर संध्या अर्घ्य के लिए घाट जाती हैं.छठ पूजा में मौसमी फलों के साथ ही नींबू, नारियल, केला, ठेकुआ, गन्ना, सुथनी, सुपारी, सिंघाड़ा जरूर चढ़ाया जाता है.
संध्या अर्घ्य का शुभ मुहूर्त: छठ पूजा के तीसरे दिन भगवान सूर्य की उपासना की जाती है. आज छठ पर्व का तीसरा दिन है. आज शाम सूर्य देव को अर्घ्य व्रती अर्घ्य देंगी. भारत में छठ पूजा के संध्या अर्घ्य का समय सूर्यास्त के समय 5 बजकर 31 मिनट पर है. इस समय सूर्य अस्त होंगे. इस लिए ये समय संध्या अर्घ्य के लिए बेहद शुभ है.
ऐसे देते हैं सूर्य देव को अर्घ्य : छठ पूजा में संध्या के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की विशेष मान्यता है. अर्घ्य देते समय फलों और प्रसाद की टोकरियों को सूर्य की किरणों के सामने रखा जाता है. सूर्यास्त होने से पहले ही व्रती तालाब या नदी में कमर से ऊपर पानी में जाकर खड़ी हो जाती हैं. इसके बाद लोटे में साफ जल भरकर उसमें कुछ बूंदे कच्चे दूध की, लाल चंदन, अक्षत, कुश और फूल डाला जाता है. इस पानी से ही भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है. इस दौरान सूर्य मंत्र का पाठ किया जाता है. इसके पहले महिलाएं छठ की कथा भी सुनती हैं. इसके बाद सुबह का अर्घ्य देकर व्रती पारण करती हैं.
नोट: यहां दी गई सारी जानकारी मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ईटीवी भारत इसकी पुष्टि नहीं करता.
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