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'नहा धोकर नंगे पांव खेत में प्रवेश, गुटखा का सेवन वर्जित' विदेशों तक में यहां के शुद्ध अरवा चावल की डिमांड

मिलिए बिहार के किसान से जो खेती भी आस्था से करते हैं. छठ के लिए धान की खेती शुद्धता और पवित्रता से की जाती है.

CHHATH PUJA 2024
गया में छठ के लिए अरवा चावल तैयार (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 21, 2024, 2:43 PM IST

Updated : Oct 21, 2024, 3:38 PM IST

गया: छठ में अरवा चावल का विशेष महत्व होता है. नहाय खाय के दिन व्रती अरवा चावल, चना दाल और कद्दू की सब्जी ग्रहण करते हैं. खरना के दिन गुड़ चावल का प्रसाद खाया जाता है. ऐसे में लोकआस्था के महापर्व 'छठ 'के लिए जिले के निवासी लालाजी का परिवार शुद्धता,पवित्रता के साथ धान की खेती करता है. शुद्धता इनकी पहचान है. लाला जी के परिवार का यही उद्देश्य है कि पूजा पाठ की कोई भी सामग्री अशुद्ध ढंग से नहीं बने.

शुद्धता और पवित्रता से धान की खेती: खेती करके भी धर्म की सेवा का उदाहरण लाला जी का परिवार दे रहा है. दरअसल जिले के आमस प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांव में एक महूआवां गांव है, क्षेत्र में यह गांव प्रसिद्ध है और इसकी प्रसिद्धि के पीछे किसान लाला सुदामा प्रसाद और उनके पुत्र राजीव कुमार श्रीवास्तव हैं.

शुद्ध अरवा चावल की डिमांड (ETV Bharat)

छठ के लिए होता है अरवा चावल तैयार: लाला सुदामा प्रसाद 15 से 20 बीघे अपनी भूमि पर छठ पर्व के लिए विशेष रूप से धान की खेती करते हैं. फिर उसको पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ शुद्धता का ख्याल रख कर अपनी ही जगह पर 'अरवा चावल ' तैयार कराते हैं, ताकि छठ पूजा में इसका प्रयोग बिना किसी संकोच के हो.

CHHATH PUJA 2024
शुद्धता और पवित्रता से धान की खेती (ETV Bharat)

8 साल से लाला जी का परिवार निभा रहा भागीदारी: छठ पूजा के अवसर पर अरवा चावल की खीर बनती है. विगत 8 वर्षों से लाला सुदामा प्रसाद और उनके पुत्र राजीव कुमार श्रीवास्तव छठ पूजा के लिए अलग से खेती कर रहे हैं. लाला जी के नाम से प्रसिद्ध पिता पुत्र किसानी करते हैं. किसानी का इनका यह काम पुश्तैनी है और शेरघाटी आमस क्षेत्र के बड़े और संपन्न किसानों में एक हैं. वैसे तो लाला जी का परिवार 1970 से दर्जनों बीघे में खेती कर रहा है. धान के अलावा गेहूं ,अरहर और दूसरी फसल की खेती करते हैं, लेकिन छठ पूजा के लिए धान की खेती करने के कारण ये प्रसिद्ध हैं.

जून में रोपनी, अक्टूबर में कटाई: जिले के पहले ऐसे ये किसान हैं जो सबसे पहले धान की खेती करते हैं. जून के महीने में खेतों में बिचड़ा गिरा देते हैं. जुलाई के पहले सप्ताह में रोपनी पूरी हो जाती है. अक्टूबर के पहले सप्ताह में धान फसल की कटाई शुरू हो जाती है. सिर्फ छठ पूजा के लिए पहले धान फसल लगाते हैं, जबकि बाकी खेतों में अपने समय पर धान फसल की रोपनी और कटाई होती है.

CHHATH PUJA 2024
15 से 20 बीघे में धान की खेती (ETV Bharat)

"हर वर्ष समय पर वर्षा हो या ना हो जून के महीने में खेतों में बीज डलवा देते हैं, ताकि दिवाली से पहले धान फसल तैयार हो जाए. क्योंकि अरवा चावल तैयार करने में एक सप्ताह समय लगता है, लगभग 15 बीघे में धान की कटाई हो चुकी है और अब वह सूखने के लिए रखा गया है. अगले एक हफ्ते में अरवा चावल बनाने की प्रक्रिया शुरू हो जाऐगी."- राजीव कुमार श्रीवास्तव, किसान

'पैसा अर्जित करना उद्देश्य नहीं': लाला सुदामा के पुत्र राजीव कुमार श्रीवास्तव ने इस संबंध में बताया कि खेती उनके यहां वर्षों से हो रही है. पहले दादाजी करते थे फिर पिताजी करने लगे, अब हम भी कर रहे हैं. विगत 7 वर्ष पहले हम लोग खेती आस्था के लिए करें, ताकि छठ जैसे पवित्र पर्व में शुद्ध चीज हम श्रद्धालुओं को प्रोवाइड कर सकें. क्योंकि पैसा कमाना हमारा उद्देश्य नहीं होता है.

CHHATH PUJA 2024
गया के राजीव कुमार श्रीवास्तव (ETV Bharat)

"पैसा तो हम धान बेचकर भी अर्जित कर सकते हैं, लेकिन हमको लगा कि शुद्धता के साथ छठ में लोगों को चावल उपलब्ध कराएं तो यह हमारे लिए सौभाग्यशाली भी होगा और पुण्य का भी काम होगा. यह भी धर्म का काम है और पुण्य कमाने का एक बेहतरीन तरीका है. तभी से पिताजी और हम इस काम को कर रहे हैं."-राजीव कुमार श्रीवास्तव, किसान

'हमारा चावल पूजा में होता है उपयोग': राजीव ने कहा कि उद्देश्य यही है कि हम जो काम करें उसमें ही धर्म की सेवा हो. हमारी चीज पूजा पाठ में इस्तेमाल हो जाए तो यह हमारे लिए गर्व और बड़ी उपलब्धि है. राजीव कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि धान काटने के बाद सबसे पहले अपने राइस मिल में लगभग 50 क्विंटल अरवा चावल पवित्रता के साथ तैयार करवाते हैं.

खेत पर नहाकर जाते हैं किसान-मजदूर: खेत की देखभाल करने वाले एक मजदूर सरदार यादव ने बताया कि इस दौरान नशा करके या खैनी, गुटका आदि खाकर मिल में किसी को भी जाने पर पाबंदी होती है. लोगों को चप्पल जूते पहन कर जाने की भी इजाजत नहीं होती है. यहां तक की खेतों में भी जिस में छठ पर्व के लिए धान लगाया जाता है उस खेत में भी चप्पल जूते पहन कर वे खुद नहीं जाते हैं. उनके पिता लाला सुदामा प्रसाद और उनको देख कर मजदूर भी इसका पालन करते हैं.

"अरवा चावल को पूरी पवित्रता और शुद्धता के साथ तैयार किया जाता है. छठ के अवसर पर प्रत्येक वर्ष इसका खास ध्यान रखा जाता है, जो भी मजदूर अरवा चावल बनाने की प्रक्रिया में होते हैं, वह हर दिन नहा धोकर काम करते हैं."- सरदार यादव, मजदूर

देश विदेश में जाता है अरवा चावल: लाला जी के खेत का अरवा चावल छठ के अवसर पर देश-विदेश में जाता है. राजीव कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि गया, औरंगाबाद और झारखंड के विभिन्न गांवों शहरों में जाता है. विदेश में क्वांटिटी में सप्लाई नहीं है. जो दूसरे देशों में रह रहे हैं और वहां वह छठ कर रहे है, उनके परिजन छठ मनाने के लिए चावल लेकर जाते हैं. क्योंकि पूरे क्षेत्र में इतनी जल्दी कहीं चावल तैयार नहीं होती है.

कैसे किलो मिलता है चावल?: इस अरवा चावल को तैयारी करने के दौरान शुद्धता पवित्रता का ध्यान रखा जाता है. राजीव ने बताय कि पिछले वर्ष लगभग 50 क्विंटल अरवा चावल छठ के लिए तैयार कराया गया था. 50 रुपये प्रति किलो बेचा गया था. खास बात यह भी है कि वह क्षेत्र के वैसे लोग जो छठ पर्व के लिए बिना मूल्य दिए चावल मांगते हैं, उन्हें भी वह बिना पैसे के चावल दे देते हैं. लगभग 2-3 क्विंटल यह हर वर्ष ऐसे ही चावल दे देते हैं.

चावल के लिए लगती है श्रद्धालुओं की भीड़: लाला जी के यहां जैसे ही चावल बनने लगता है, हर दिन पर्व मनाने वालों की भीड़ लग जाती है. कभी तो ऐसा भी हुआ है कि चावल कम पड़ गए हैं और लोग झगड़ा करने लगते हैं कि उन्हें भी चावल दिया जाए.

कब है छठ: छठ महापर्व को बिहार, झारखंड, पूर्वी यूपी और पश्चिम बंगाल आदि स्थानों पर मनाया जाता है. षष्ठी तिथि सात नवंबर को सुबह 12:41 बजे पर शुरू होगी और 8 नवंबर को सुबह 12:34 बजे खत्म होगी. उदया तिथि के मुताबिक छठ पूजा 7 नवंबर 2024 गुरुवार को है. नहाय खाय 5 नवंबर को है. वहीं खरना 6 नवंबर को है. 7 नवंबर को संध्या अर्घ्य है और 8 नवंबर को उषा अर्घ्य है.

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गया: छठ में अरवा चावल का विशेष महत्व होता है. नहाय खाय के दिन व्रती अरवा चावल, चना दाल और कद्दू की सब्जी ग्रहण करते हैं. खरना के दिन गुड़ चावल का प्रसाद खाया जाता है. ऐसे में लोकआस्था के महापर्व 'छठ 'के लिए जिले के निवासी लालाजी का परिवार शुद्धता,पवित्रता के साथ धान की खेती करता है. शुद्धता इनकी पहचान है. लाला जी के परिवार का यही उद्देश्य है कि पूजा पाठ की कोई भी सामग्री अशुद्ध ढंग से नहीं बने.

शुद्धता और पवित्रता से धान की खेती: खेती करके भी धर्म की सेवा का उदाहरण लाला जी का परिवार दे रहा है. दरअसल जिले के आमस प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांव में एक महूआवां गांव है, क्षेत्र में यह गांव प्रसिद्ध है और इसकी प्रसिद्धि के पीछे किसान लाला सुदामा प्रसाद और उनके पुत्र राजीव कुमार श्रीवास्तव हैं.

शुद्ध अरवा चावल की डिमांड (ETV Bharat)

छठ के लिए होता है अरवा चावल तैयार: लाला सुदामा प्रसाद 15 से 20 बीघे अपनी भूमि पर छठ पर्व के लिए विशेष रूप से धान की खेती करते हैं. फिर उसको पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ शुद्धता का ख्याल रख कर अपनी ही जगह पर 'अरवा चावल ' तैयार कराते हैं, ताकि छठ पूजा में इसका प्रयोग बिना किसी संकोच के हो.

CHHATH PUJA 2024
शुद्धता और पवित्रता से धान की खेती (ETV Bharat)

8 साल से लाला जी का परिवार निभा रहा भागीदारी: छठ पूजा के अवसर पर अरवा चावल की खीर बनती है. विगत 8 वर्षों से लाला सुदामा प्रसाद और उनके पुत्र राजीव कुमार श्रीवास्तव छठ पूजा के लिए अलग से खेती कर रहे हैं. लाला जी के नाम से प्रसिद्ध पिता पुत्र किसानी करते हैं. किसानी का इनका यह काम पुश्तैनी है और शेरघाटी आमस क्षेत्र के बड़े और संपन्न किसानों में एक हैं. वैसे तो लाला जी का परिवार 1970 से दर्जनों बीघे में खेती कर रहा है. धान के अलावा गेहूं ,अरहर और दूसरी फसल की खेती करते हैं, लेकिन छठ पूजा के लिए धान की खेती करने के कारण ये प्रसिद्ध हैं.

जून में रोपनी, अक्टूबर में कटाई: जिले के पहले ऐसे ये किसान हैं जो सबसे पहले धान की खेती करते हैं. जून के महीने में खेतों में बिचड़ा गिरा देते हैं. जुलाई के पहले सप्ताह में रोपनी पूरी हो जाती है. अक्टूबर के पहले सप्ताह में धान फसल की कटाई शुरू हो जाती है. सिर्फ छठ पूजा के लिए पहले धान फसल लगाते हैं, जबकि बाकी खेतों में अपने समय पर धान फसल की रोपनी और कटाई होती है.

CHHATH PUJA 2024
15 से 20 बीघे में धान की खेती (ETV Bharat)

"हर वर्ष समय पर वर्षा हो या ना हो जून के महीने में खेतों में बीज डलवा देते हैं, ताकि दिवाली से पहले धान फसल तैयार हो जाए. क्योंकि अरवा चावल तैयार करने में एक सप्ताह समय लगता है, लगभग 15 बीघे में धान की कटाई हो चुकी है और अब वह सूखने के लिए रखा गया है. अगले एक हफ्ते में अरवा चावल बनाने की प्रक्रिया शुरू हो जाऐगी."- राजीव कुमार श्रीवास्तव, किसान

'पैसा अर्जित करना उद्देश्य नहीं': लाला सुदामा के पुत्र राजीव कुमार श्रीवास्तव ने इस संबंध में बताया कि खेती उनके यहां वर्षों से हो रही है. पहले दादाजी करते थे फिर पिताजी करने लगे, अब हम भी कर रहे हैं. विगत 7 वर्ष पहले हम लोग खेती आस्था के लिए करें, ताकि छठ जैसे पवित्र पर्व में शुद्ध चीज हम श्रद्धालुओं को प्रोवाइड कर सकें. क्योंकि पैसा कमाना हमारा उद्देश्य नहीं होता है.

CHHATH PUJA 2024
गया के राजीव कुमार श्रीवास्तव (ETV Bharat)

"पैसा तो हम धान बेचकर भी अर्जित कर सकते हैं, लेकिन हमको लगा कि शुद्धता के साथ छठ में लोगों को चावल उपलब्ध कराएं तो यह हमारे लिए सौभाग्यशाली भी होगा और पुण्य का भी काम होगा. यह भी धर्म का काम है और पुण्य कमाने का एक बेहतरीन तरीका है. तभी से पिताजी और हम इस काम को कर रहे हैं."-राजीव कुमार श्रीवास्तव, किसान

'हमारा चावल पूजा में होता है उपयोग': राजीव ने कहा कि उद्देश्य यही है कि हम जो काम करें उसमें ही धर्म की सेवा हो. हमारी चीज पूजा पाठ में इस्तेमाल हो जाए तो यह हमारे लिए गर्व और बड़ी उपलब्धि है. राजीव कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि धान काटने के बाद सबसे पहले अपने राइस मिल में लगभग 50 क्विंटल अरवा चावल पवित्रता के साथ तैयार करवाते हैं.

खेत पर नहाकर जाते हैं किसान-मजदूर: खेत की देखभाल करने वाले एक मजदूर सरदार यादव ने बताया कि इस दौरान नशा करके या खैनी, गुटका आदि खाकर मिल में किसी को भी जाने पर पाबंदी होती है. लोगों को चप्पल जूते पहन कर जाने की भी इजाजत नहीं होती है. यहां तक की खेतों में भी जिस में छठ पर्व के लिए धान लगाया जाता है उस खेत में भी चप्पल जूते पहन कर वे खुद नहीं जाते हैं. उनके पिता लाला सुदामा प्रसाद और उनको देख कर मजदूर भी इसका पालन करते हैं.

"अरवा चावल को पूरी पवित्रता और शुद्धता के साथ तैयार किया जाता है. छठ के अवसर पर प्रत्येक वर्ष इसका खास ध्यान रखा जाता है, जो भी मजदूर अरवा चावल बनाने की प्रक्रिया में होते हैं, वह हर दिन नहा धोकर काम करते हैं."- सरदार यादव, मजदूर

देश विदेश में जाता है अरवा चावल: लाला जी के खेत का अरवा चावल छठ के अवसर पर देश-विदेश में जाता है. राजीव कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि गया, औरंगाबाद और झारखंड के विभिन्न गांवों शहरों में जाता है. विदेश में क्वांटिटी में सप्लाई नहीं है. जो दूसरे देशों में रह रहे हैं और वहां वह छठ कर रहे है, उनके परिजन छठ मनाने के लिए चावल लेकर जाते हैं. क्योंकि पूरे क्षेत्र में इतनी जल्दी कहीं चावल तैयार नहीं होती है.

कैसे किलो मिलता है चावल?: इस अरवा चावल को तैयारी करने के दौरान शुद्धता पवित्रता का ध्यान रखा जाता है. राजीव ने बताय कि पिछले वर्ष लगभग 50 क्विंटल अरवा चावल छठ के लिए तैयार कराया गया था. 50 रुपये प्रति किलो बेचा गया था. खास बात यह भी है कि वह क्षेत्र के वैसे लोग जो छठ पर्व के लिए बिना मूल्य दिए चावल मांगते हैं, उन्हें भी वह बिना पैसे के चावल दे देते हैं. लगभग 2-3 क्विंटल यह हर वर्ष ऐसे ही चावल दे देते हैं.

चावल के लिए लगती है श्रद्धालुओं की भीड़: लाला जी के यहां जैसे ही चावल बनने लगता है, हर दिन पर्व मनाने वालों की भीड़ लग जाती है. कभी तो ऐसा भी हुआ है कि चावल कम पड़ गए हैं और लोग झगड़ा करने लगते हैं कि उन्हें भी चावल दिया जाए.

कब है छठ: छठ महापर्व को बिहार, झारखंड, पूर्वी यूपी और पश्चिम बंगाल आदि स्थानों पर मनाया जाता है. षष्ठी तिथि सात नवंबर को सुबह 12:41 बजे पर शुरू होगी और 8 नवंबर को सुबह 12:34 बजे खत्म होगी. उदया तिथि के मुताबिक छठ पूजा 7 नवंबर 2024 गुरुवार को है. नहाय खाय 5 नवंबर को है. वहीं खरना 6 नवंबर को है. 7 नवंबर को संध्या अर्घ्य है और 8 नवंबर को उषा अर्घ्य है.

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Last Updated : Oct 21, 2024, 3:38 PM IST
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