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Delhi: नहाए-खाए के साथ शुरू हुआ छठ महापर्व, तैयारियों में जुटी महिलाएं

-नहाए-खाए के साथ शुरू हुआ लोक आस्था का महापर्व छठ -दिल्ली के तमाम छठ घाटों पर तैयारियां पूरी

नहाए-खाए के साथ शुरू हुआ छठ महापर्व
नहाए-खाए के साथ शुरू हुआ छठ महापर्व (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 2 hours ago

Updated : 2 hours ago

नई दिल्ली: बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में मनाया जाने वाले छठ पर्व की शुरुआत नहाए-खाए के साथ शुरू हो गई. दिल्ली के तमाम घाटों पर तैयारियां ज़ोरों पर हैं. मान्यता है कि नहाए-खाए के दिन महिलाएं नदी, तालाब, घाट पर स्नान के बाद इस पर्व की शुरुआत करती हैं. वहीं, दिल्ली एनसीआर में रहने वाली महिलाएं गंगा और यमुना नदी में स्नान के बाद पर्व की शुरुआत की. आज सुबह से ही महिलाएं छठ महापर्व की तैयारियों में जुट गई हैं.

दरअसल, लोक आस्था का महापर्व मंगलवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ. बुधवार को महिलाएं सूर्यास्त के बाद खरना की पूजा करेंगी. इसके बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा. वहीं, तीसरे दिन गुरुवार को गंगा घाटों, तालाबों पर डूबते हुए सूर्य भगवान को अर्घ्य दी जाएंगी. जबकि, चौथे दिन शुक्रवार को उगते हुए सूर्य भगवान को अर्घ्य प्रदान करने के साथ ही छठ पर्व का समापन हो जायेगा.

नहाए-खाए के साथ शुरू हुआ लोक आस्था का महापर्व छठ
नहाए-खाए के साथ शुरू हुआ लोक आस्था का महापर्व छठ (ETV GFX)

नहाय खाय का महत्व: जो श्रद्धालु इस व्रत को करते हैं इस दिन से पूरी शुद्धता का ख्याल रखते हैं. पहले दिन व्रती आम के दातुन से मुंह साफ करते हैं. उसके बाद गंगा स्नान कर गंगा की पूजा करते हैं या फिर उनके आसपास में जो नदी तालाब होता है, वहां स्नान कर पूजा अर्चना करते हैं.

नहाय खाय का प्रसाद: नहाय खाय के दिन कद्दू की सब्जी, लौकी चने का दाल और चावल खाया जाता है. नहाय खाय के दिन बनाया गया खाना सबसे पहले व्रत रखने वाली महिलाओं को दिया जाता है. इसके बाद ही परिवार के दूसरे लोग भोजन ग्रहण करते हैं.

व्रतियों ने छठ महापर्व को लेकर क्या बोलीं, जानिए?

पश्चिमी दिल्ली के ख्याला में रहे वाली गीता देवी ने बताया कि वह 25 वर्षों से छठ का उपवास रख रही हैं. आज नहाए-खाए है. इस बार उन्होंने उत्तर प्रदेश में स्थित गढ़ मुक्तेश्वर गंगा नदी में स्नान की. इसके बाद उन्होंने लौकी की सब्जी, चने की दाल और कच्चे चावल का भात खाया. इस तरह उनका नहाए-खाए संपन्न हुआ. यह सब करने के बाद वह तत्काल ही नज़दीकी घाट पर पहुंची और परसों घाट पर पूजा के लिए अपनी जगह सुनिश्चित की.

नहाए-खाए के साथ शुरू हुआ छठ महापर्व (ETV BHARAT)

व्रत में साफ सफाई का ध्यान जरूरी: गीता देवी ने छठ घाट पर एक कपड़ा बिछा दी, जहां वह पूजा की सामग्री के साथ सभी चीज़ें रखेंगी. वह आगे बताती हैं कि घाट पर काफी अच्छे इंतज़ाम किए गए हैं. इसलिए शाम तक ज्यादातर महिलाएं अपनी-अपनी जगह निश्चित कर लेती हैं, ताकि 7 तारीख को किसी को परशानी न हो. वहीं, इस व्रत में साफ सफाई का काफी ध्यान रखा जाता है. इसलिए आज से रसोई में प्याज, लहसुन वाला खाना नहीं बनेगा. साथ ही नॉनवेज वाले बर्तनों को भी अलग कर देते हैं.

12 वर्षों से छठी मईया का उपवास रखने वाली मंजू ने बताया कि पहले उनकी सास इस व्रत को रखती थी. उम्र ज्यादा होने के कारण उनको काफी तकलीफ हो रही. इसलिए उन्होंने इस उपवास को रखना शुरू किया. जब पहली बार उपवास रखा था. तब काफी डर था मन में, कहीं कोई गलती न हो जाए. लेकिन तब से अभी तक सब ठीक है. हर बार पूरी श्रद्धा के साथ उपवास रखती है. आज नहाए-खाए के साथ पूजा को शुरू किया है.

यमुना का पानी साफ नहीं: मंजू बोलीं, ''दिल्ली से गंगा नदी काफी दूर है और यमुना नदी का पानी साफ नहीं है. इसलिए घर में रखे गंगा जल को पानी में मिला कर स्नान किया. फिर खाने खाने के लिए भोग बनाया. इसमें सभी शुद्ध और नई चीज़ों का इस्तेमाल किया जाता है.'' वह आगे बताती हैं कि इस व्रत को कोई भी रख सकता है. उनके परिवार का भी पूरा सहयोग रहता हैं. बच्चों से लेकर पति और सास भी छठी मईया का भोग बनने में मदद करती हैं.

छठ घाट अपनी जगह सुनिश्चित करने आई विमला देवी ने बताया कि वह 25 वर्षों से उपवास रख रही है. आज नहाए-खाए के दिन उन्होंने घर में गंगा जल से स्नान किये. अब कल से प्रसाद का सामान लेने बाजार जाएँगी. वहीं, परसों विशेष पूजा की सामग्री तैयार करेंगी. इसमें सुबह के समय ठेकुआ बनाया जाता है. इसके बाद 7 तारीख को सभी लोग अपने परिवार के साथ घाट पर जायेंगे और पूजा करेंगे. 8 नवम्बर को सुबह उगते हुए सूरज को अर्ग देते हुए व्रत को पूरा करेंगे.

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नई दिल्ली: बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में मनाया जाने वाले छठ पर्व की शुरुआत नहाए-खाए के साथ शुरू हो गई. दिल्ली के तमाम घाटों पर तैयारियां ज़ोरों पर हैं. मान्यता है कि नहाए-खाए के दिन महिलाएं नदी, तालाब, घाट पर स्नान के बाद इस पर्व की शुरुआत करती हैं. वहीं, दिल्ली एनसीआर में रहने वाली महिलाएं गंगा और यमुना नदी में स्नान के बाद पर्व की शुरुआत की. आज सुबह से ही महिलाएं छठ महापर्व की तैयारियों में जुट गई हैं.

दरअसल, लोक आस्था का महापर्व मंगलवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ. बुधवार को महिलाएं सूर्यास्त के बाद खरना की पूजा करेंगी. इसके बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा. वहीं, तीसरे दिन गुरुवार को गंगा घाटों, तालाबों पर डूबते हुए सूर्य भगवान को अर्घ्य दी जाएंगी. जबकि, चौथे दिन शुक्रवार को उगते हुए सूर्य भगवान को अर्घ्य प्रदान करने के साथ ही छठ पर्व का समापन हो जायेगा.

नहाए-खाए के साथ शुरू हुआ लोक आस्था का महापर्व छठ
नहाए-खाए के साथ शुरू हुआ लोक आस्था का महापर्व छठ (ETV GFX)

नहाय खाय का महत्व: जो श्रद्धालु इस व्रत को करते हैं इस दिन से पूरी शुद्धता का ख्याल रखते हैं. पहले दिन व्रती आम के दातुन से मुंह साफ करते हैं. उसके बाद गंगा स्नान कर गंगा की पूजा करते हैं या फिर उनके आसपास में जो नदी तालाब होता है, वहां स्नान कर पूजा अर्चना करते हैं.

नहाय खाय का प्रसाद: नहाय खाय के दिन कद्दू की सब्जी, लौकी चने का दाल और चावल खाया जाता है. नहाय खाय के दिन बनाया गया खाना सबसे पहले व्रत रखने वाली महिलाओं को दिया जाता है. इसके बाद ही परिवार के दूसरे लोग भोजन ग्रहण करते हैं.

व्रतियों ने छठ महापर्व को लेकर क्या बोलीं, जानिए?

पश्चिमी दिल्ली के ख्याला में रहे वाली गीता देवी ने बताया कि वह 25 वर्षों से छठ का उपवास रख रही हैं. आज नहाए-खाए है. इस बार उन्होंने उत्तर प्रदेश में स्थित गढ़ मुक्तेश्वर गंगा नदी में स्नान की. इसके बाद उन्होंने लौकी की सब्जी, चने की दाल और कच्चे चावल का भात खाया. इस तरह उनका नहाए-खाए संपन्न हुआ. यह सब करने के बाद वह तत्काल ही नज़दीकी घाट पर पहुंची और परसों घाट पर पूजा के लिए अपनी जगह सुनिश्चित की.

नहाए-खाए के साथ शुरू हुआ छठ महापर्व (ETV BHARAT)

व्रत में साफ सफाई का ध्यान जरूरी: गीता देवी ने छठ घाट पर एक कपड़ा बिछा दी, जहां वह पूजा की सामग्री के साथ सभी चीज़ें रखेंगी. वह आगे बताती हैं कि घाट पर काफी अच्छे इंतज़ाम किए गए हैं. इसलिए शाम तक ज्यादातर महिलाएं अपनी-अपनी जगह निश्चित कर लेती हैं, ताकि 7 तारीख को किसी को परशानी न हो. वहीं, इस व्रत में साफ सफाई का काफी ध्यान रखा जाता है. इसलिए आज से रसोई में प्याज, लहसुन वाला खाना नहीं बनेगा. साथ ही नॉनवेज वाले बर्तनों को भी अलग कर देते हैं.

12 वर्षों से छठी मईया का उपवास रखने वाली मंजू ने बताया कि पहले उनकी सास इस व्रत को रखती थी. उम्र ज्यादा होने के कारण उनको काफी तकलीफ हो रही. इसलिए उन्होंने इस उपवास को रखना शुरू किया. जब पहली बार उपवास रखा था. तब काफी डर था मन में, कहीं कोई गलती न हो जाए. लेकिन तब से अभी तक सब ठीक है. हर बार पूरी श्रद्धा के साथ उपवास रखती है. आज नहाए-खाए के साथ पूजा को शुरू किया है.

यमुना का पानी साफ नहीं: मंजू बोलीं, ''दिल्ली से गंगा नदी काफी दूर है और यमुना नदी का पानी साफ नहीं है. इसलिए घर में रखे गंगा जल को पानी में मिला कर स्नान किया. फिर खाने खाने के लिए भोग बनाया. इसमें सभी शुद्ध और नई चीज़ों का इस्तेमाल किया जाता है.'' वह आगे बताती हैं कि इस व्रत को कोई भी रख सकता है. उनके परिवार का भी पूरा सहयोग रहता हैं. बच्चों से लेकर पति और सास भी छठी मईया का भोग बनने में मदद करती हैं.

छठ घाट अपनी जगह सुनिश्चित करने आई विमला देवी ने बताया कि वह 25 वर्षों से उपवास रख रही है. आज नहाए-खाए के दिन उन्होंने घर में गंगा जल से स्नान किये. अब कल से प्रसाद का सामान लेने बाजार जाएँगी. वहीं, परसों विशेष पूजा की सामग्री तैयार करेंगी. इसमें सुबह के समय ठेकुआ बनाया जाता है. इसके बाद 7 तारीख को सभी लोग अपने परिवार के साथ घाट पर जायेंगे और पूजा करेंगे. 8 नवम्बर को सुबह उगते हुए सूरज को अर्ग देते हुए व्रत को पूरा करेंगे.

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