पटना: घर में छठ महापर्व मनाने के बाद दूसरे प्रदेशों में काम करने वाले बिहार के लोग वापस लौटने लगे हैं. इनमें कोई उच्च शिक्षा के लिए दूसरे प्रदेश जा रहा है तो कोई कमाने के लिए दूसरे प्रदेश जा रहा है. सभी का कहना था कि प्रदेश में यदि उच्च शिक्षा की स्थिति बेहतर रहती और रोजगार के अच्छे अवसर होते तो उन्हें दूसरे प्रदेश का रुख नहीं करना पड़ता. मजदूरों ने कहा कि जब परिवार में बच्चे का चेहरा देखते हैं और काम के लिए दूसरे प्रदेश जाना पड़ जाता है तो 56 इंच का मजबूत कलेजा फट जाता है.
टिकट कंफर्म नहीं, लेकिन जाना जरूरीः पटना जंक्शन पर नई दिल्ली के ट्रेन के लिए इंतजार कर रहे छात्र आशीष कुमार ने बताया कि दिल्ली में बी.टेक कर रहा है. कॉलेज में परीक्षा शुरू हो रही है, इसलिए सोमवार को दिल्ली पहुंचना जरूरी है. टिकट कंफर्म नहीं हुआ. अब वह दिल्ली जाने वाले किसी ट्रेन में चढ़ने की सोच रहा है. उसने कहा कि टीटीई से बात करेंगे और जितना पैसा में टिकट बनेगा देकर यात्रा करेंगे. स्पेशल ट्रेन चल रही है लेकिन कोई फायदा नहीं है क्योंकि स्पेशल ट्रेन समय पर नहीं चल रही है.
"बिहार में उच्च शिक्षा की स्थिति अच्छी होती और यहां के कॉलेजों में प्लेसमेंट के लिए बड़ी कंपनियां आती तो छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए दूसरे प्रदेश में नहीं जाना पड़ता."- आशीष, छात्र
काम के लिए दूसरे प्रदेश जाना मजबूरी: महाराष्ट्र के मनवार जा रहे अखिलेश मंडल ने बताया कि वह मजदूरी करने के लिए मनवार जा रहा है. बिहार में कंपनियां होती जहां उन्हें काम मिल जाता तो उन्हें महाराष्ट्र नहीं जाना पड़ता. उनके साथ उनके गांव के आधे दर्जन सदस्य हैं जो वहां मजदूरी करते हैं. वह सभी छठ मनाने बिहार आए हुए थे और छठ खत्म होने के बाद फिर से काम करने के लिए मनवार लौट रहे हैं. पूर्णिया से वह पटना ट्रेन पकड़ने के लिए आए हुए हैं और यहां पहुंचने के बाद पता चला कि आज यहां कोई महाराष्ट्र के लिए ट्रेन नहीं है.
"परिवार से दूर जाने में दर्द होता है, लेकिन परिवार चलाने के लिए पैसा जरूरी है और पैसा कमाने के लिए वह दूसरे प्रदेश में जा रहे हैं. बिहार में रोजगार रहता तो बाहर क्यों जाते."- अखिलेश मंडल, कामगार
परिवार से दूर जाने में फटता है कलेजाः मजदूरी के लिए तमिलनाडु जा रहे युवक रंजीत सिंह ने कहा कि छठ मनाने के लिए बिहार में अपने गांव आए हुए थे. छठ खत्म होने के बाद काम के लिए तमिलनाडु लौट रहे हैं. तमिलनाडु की फैक्ट्री में वह काम करते हैं. उसे इस बात का दर्द है कि बिहार में फैक्ट्री नहीं है. उसने बताया कि वह होली में गांव नहीं आ पाएगा. सिर्फ छठ के दौरान एक बार साल में अपने गांव आता है और परिवार के साथ समय बिताता है.
"परिवार के साथ रहना अच्छा लगता है, लेकिन जब लंबे समय के लिए परिवार से दूर जाना पड़ता है तो 56 इंच का मजबूत कलेजा फट जाता है. हमारे नेताओं को इस बारे में सोचना चाहिए. फैक्ट्री लगनी चाहिए."- रंजीत सिंह, मजदूर
बिहार में उद्योग की कमीः रंजीत ने कहा कि बिहार में सबसे अधिक भले ही सरकारी नौकरी दी गई हो लेकिन सरकारी नौकरी से ही काम नहीं चलता है, उद्योग धंधे भी होने चाहिए. आज तमिलनाडु आगे है क्योंकि वहां कई सारे उद्योग हैं और बिहार में यदि उद्योग होते तो उन्हें काम के लिए दूसरे प्रदेश में नहीं जाना पड़ता. उन्होंने कहा कि यहां नेताओं में औद्योगिक माहौल तैयार करने की इच्छा शक्ति की कमी है. यहां के नेता सिर्फ जात-पात की राजनीति करते हैं और जनता भी जात-पात के नाम पर वोट करती है.
पटना जंक्शन प्लेटफार्म टिकट फ्री: छठ पूजा के बाद काफी संख्या में लोग ट्रेन पकड़ने के लिए पटना जंक्शन पहुंच रहे हैं. पटना जंक्शन प्रबंधन ने 12 नवंबर तक के लिए प्लेटफॉर्म टिकट फ्री कर दिया है. यानी कोई अपने परिजन को ट्रेन पकड़ाने के लिए आया है तो उसे प्लेटफार्म टिकट लेने की जरूरत नहीं है. यात्रियों की सुविधा के लिए महावीर मंदिर छोर पर अस्थाई कैंप बनाए गए हैं. यात्रियों के रहने की समुचित सुविधा उपलब्ध कराई गई है.
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