छतरपुर। संतों की तपोभूमि बागेश्वर धाम पहुंचे पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने बुधवार शाम धर्म सभा में उपस्थित विशाल जन समूह को अपनी वाणी से लाभान्वित किया. उन्होंने कहा कि ''आधुनिक तकनीक के विकास में सनातन सिद्धांत का महत्वपूर्ण स्थान है. मोबाइल से लेकर रॉकेट तक के निर्माण में सनातन सिद्धांत का बड़ा योगदान है.'' स्वामी जी ने कहा कि ''ईश्वर वही है जो जगत बनाता है और स्वयं जगत बनता है.''उन्होंने धर्म के गूढ़ रहस्यों को भी समझाया.
शब्द में असीम शक्ति निहित
बागेश्वर धाम में धर्म चर्चा के माध्यम से अपनी वाणी का लाभ प्रदान कर रहे शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि ''विकास के नाम पर वेद वेदांत की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए. हम सब परमात्म परिवार के सदस्य हैं. जब तक भगवान के हृदय में मचल उत्पन्न नहीं होती तब तक जीव का उद्धार नहीं होता. जीव के कर्मों से ही भगवान के हृदय में मचल उत्पन्न होती है.'' उन्होंने शब्द विन्यास को समझाया. निश्चलानंद सरस्वती ने बताया कि शब्द में असीम शक्ति निहित है.
हमारा जीवन एक प्रयोगशाला
उन्होंने जीभ में तीन इंद्रियों त्वग इन्द्रिय, सर इन्द्रिय और वाक इन्द्रिय के समावेश होने की बात कही. उपनिषदों में कहा गया है कि वाणी से देखना पश्यन्ति कहलाता है. योगी पुरुष वाणी से देखते हैं. स्वामी जी ने वाणी के भी प्रकारों का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि हमारा जीवन एक प्रयोगशाला के रूप में है. उन्होंने नाम जप की महिमा बताते हुए कहा कि अनुसंधान के साथ भगवत नाम का संकीर्तन करने वाला भव सिंधु के पार पहुंच जाता है.
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वाणी को जुबान से जीवन तक उतारे: धीरेंद्र शास्त्री
पूज्य शंकराचार्य महाराज की धर्म सभा के दौरान प्रवचन देने के पहले बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने पूजन किया. अपने आशीर्वचन में उन्होंने कहा कि ''हम सब का परम सौभाग्य है कि हमें धर्म के शिरोमणि शंकराचार्य के दर्शन लाभ हुए.'' उन्होंने कहा कि ''शंकराचार्य ने गौ हत्या बंद करने के लिए वैभव, सुख, छत्र आदि का त्याग किया है. इन्हीं के प्रताप से उनके द्वारा भारत हिंदू राष्ट्र का संकल्प लिया गया. यह संकल्प तब पूरा होगा जब इसके लिए जनमानस खड़ा होगा.'' उन्होंने कहा कि जो वाणी में है उसे जुबान से जीवन तक उतारने में लग जाएं तभी कार्य सिद्ध होते हैं.