गौरेला पेंड्रा मरवाही : छत्तीसगढ़ सरकार किसानों का एक-एक दाना खरीदने का दावा तो कर रही है,लेकिन जमीनी हकीकत और दावों में काफी अंतर है.धान खरीदी केंद्रों में किसानों का शोषण किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ सरकार किसानों का धान खरीदने और उसकी व्यवस्था बनाने के लिए सहकारी समितियां को 11 रुपए प्रति क्विंटल की दर से भुगतान करती है.लेकिन धान खरीदी केंद्रों में धान लाने से लेकर,उसे तौलने,फिर सिलाई करके जमाने का काम किसानों से ही करवाया जा रहा है.
किसानों के मजदूरों से ही समिति का काम : जिले के धान खरीदी केंद्रों में सहकारी समितियां और उनके प्रबंधक शासन से मिलने वाली राशि को हजम कर जा रहे हैं. जब किसान अपना धान लेकर समिति में पहुंचता है तो किसानों के मजदूरों से ही खरीदी केंद्र प्रभारी धान की तुलाई से लेकर छल्ली लगाने तक का काम करवाते हैं. खरीदी केंद्र में पहुंचे किसानों का कहना हैं कि वो धान बेचने के लिए 8 से 12 मजदूर लेकर आते हैं. जिन्हें 200 रुपए प्रतिदिन की दर से भुगतान भी किसान ही करता है. यही मजदूर सारा काम करते हैं. समिति के मजदूर तो सिर्फ खाली बोरा देने का ही काम करते हैं.इस तरह प्रति किसान लगभग 2 से 3 हजार रुपए प्रतिदिन की दर से सिर्फ अपने मजदूरों का ही भुगतान करता है. जबकि इस काम का भुगतान समिति को करना है.
किसानों को झूठा ठहरा रहे हैं नोडल अधिकारी : खरीदी केंद्र प्रभारी ने सच स्वीकार किया पर कृषि विभाग के नोडल अधिकारी तो किसानों को ही झूठा ठहराने में लग गए उन्होंने कह दिया कि किसान पत्रकारों को देखकर झूठ बोलते हैं. यहां ऐसा कुछ नहीं हो रहा है. जब हमने उनसे पूछा कि समिति में धान तौलने वाले कितने पल्लेदार हैं तब उन्होंने बताया कि दो पल्लेदार हैं. जबकि धान खरीदी केंद्र में 10 से ज्यादा किसानों की धान की तौलाई हो रही थी.जिस पर नोडल अधिकारी ने चुप्पी साध ली.
शासन की मंशा पर सवालिया निशान : आपको बता दें कि जिले में धान खरीदी केंद्रों में निगरानी से लेकर कई व्यवस्था बनाने के लिए कई लेयर की व्यवस्था बनाई गई. जिसमें अलग-अलग विभागों के विभाग अध्यक्ष की लगातार निगरानी जांच और व्यवस्था बनाने का काम सौंपा गया. जिसमें विपणन संघ के अधिकारी राजस्व अधिकारी कृषि विभाग के अधिकारी पीडब्ल्यूडी के अधिकारी सहित कई विभाग के अधिकारी शामिल हैं. पर इन सभी अधिकारियों की नाक के नीचे जिस तरह से किसानों के साथ धान खरीदी के पूरे सीजन में ठगी हो रही है,वो शासन की मंशा पर सवाल खड़े कर रहा है.
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