जयपुर. दान-पुण्य और पतंगबाजी का पर्व मकर संक्रांति मंगलवार को श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है . सुबह कोहरे के बीच छोटी काशी जयपुर के गलता तीर्थ में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. वहीं, मंदिरों में आराध्य के दर्शन के बाद दान-पुण्य का दौर शुरू हुआ. मंदिरों में पतंगों की झांकी सजाई गई. वहीं कोहरे को चीरती हुई जैसे ही सूर्य की किरणें धरती पर पड़ी शहरवासी छतों पर जा चढ़ें और जमकर पतंगबाजी का लुत्फ उठाया.
मंगलवार की सुबह 8:55 बजे सूर्य ने धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश किया. इसके साथ ही मलमास खत्म होने के साथ अब मांगलिक कार्यों की भी शुरुआत हो गई. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति देवताओं का प्रभात काल माना गया है. इसलिए इस दिन स्नान, दान, अनुष्ठान आदि का महत्व बढ़ जाता है. ज्योतिषाचार्य योगेश पारीक के अनुसार मकर संक्रांति पर देवता धरती पर अवतरित होते हैं. तुलसीदास ने भगवान श्री राम के बाल्यकाल का जिक्र करते हुए रामचरितमानस में लिखा है कि 'राम इक दिन चंग उड़ाई, इंद्रलोक में पहुंची जाई' ये श्लोक इसी दिन भगवान राम की ओर से उड़ाई गई पतंग का वर्णन करते हुए लिखा गया था की प्रभु ने अपने भाइयों के साथ मकर संक्रांति पर सूर्य के उत्तरायण होने पर अयोध्या में पतंग उड़ाई थी. बताया जाता है कि इसी दिन भगवान राम और भगवान हनुमान की मित्रता भी हुई थी.
वहीं, मकर संक्रांति पर सुबह से दान पुण्य का द्वार भी शुरू हुआ . गौशालाओं में गौ सेवा करते हुए हरा चारा, गुड़ खिलाया. साथ ही बंदरों को भी केले और मूंगफली खिलाई. इसके साथ ही भक्त गलता तीर्थ पहुंचे, जहां आस्था की डुबकी लगाई. वहीं मंदिरों में पतंग-डोर की झांकी सजाई गई. जयपुर के आराध्य गोविंददेव जी मंदिर में ठाकुरजी ने राधा-रानी के साथ रियासतकालीन सोने की पतंग उड़ाई. उनकी चांदी की चरखी राधाजी और सखियों ने थामी.
ठाकुर जी कि इस विशेष झांकी के दर्शन के लिए श्रद्धालु मंदिर में उमड़े और इस विहंगम झांकी को अपने मोबाइल कैमरा में भी कैद किया. साथ ही मंदिर परिसर से ही लोगों ने दान-पुण्य की भी शुरुआत की. आज के दिन 14 वस्तुओं का दान (कलपने) का विशेष महत्व है. ऐसे में सुहागिन महिलाओं ने सूर्य को अर्घ्य देकर अपनी सास-ससुर को कपड़े पहनाने, स्टील-प्लास्टिक का सामना, पूजन सामग्री और सुहाग का सामान गरीबों और सुहागिन महिलाओं को कलपने की परंपरा का निर्वहन किया. कुछ लोगों ने अपनी राशि के अनुसार भी दान पुण्य किया.
वहीं सुबह कोहरे की चादर छटने के बाद जैसे ही धूप खिली शहरवासी छतों पर जा चढ़े और पतंगबाजी का दौर शुरू हुआ. शहर 'वो काटा, वो मारा' के शोर से गूंज उठा. वहीं लोगों ने घरों की छत पर डीजे साउंड भी चलाया जिसमें फिल्मी सॉन्ग के साथ-साथ भगवान राम के भजन भी चलाए गए.