बीकानेर. प्रदेश में सरकारों के बदलने के साथ ही विचारधारा के आधार पर शिक्षा विभाग में भी बदलाव देखने को मिलता है. कई बार पाठ्यक्रम में नए विषय को जोड़ने और हटाने जैसा मामला सामने आते हैं. एक बार फिर प्रदेश में सरकार बदलने के साथ ही शिविरा पंचांग में जयंती हटाने और अपनी विचारधारा के अनुरूप कुछ बदलाव किए गए हैं.
अब नहीं मनेगी इंदिरा जयंती : प्रदेश की सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में हर साल 19 नवंबर को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती मनाई जाती रही है, लेकिन शिविरा पंचाग में जारी शैक्षणिक सत्र में इंदिरा गांधी की जयंती का कोई जिक्र नहीं है. शिक्षा विभाग के सत्र 2024-25 के शिविरा पंचांग में इंदिरा गांधी की जयंती शामिल नहीं की गई, लेकिन पुण्य तिथि को शामिल किया गया है.
कौमी एकता की जगह समरसता सप्ताह : शिविरा पंचांग में हर साल 19 नवंबर से इंदिरा गांधी की जयंती के साथ ही एक सप्ताह तक कौमी एकता सप्ताह मनाया जाता रहा है, लेकिन इस बार इसका नाम बदलकर समरसता सप्ताह कर दिया गया है. वहीं, पूरे मामले में केंद्र सरकार की ओर से हर साल 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाने का नोटिफिकेशन पिछले दिनों जारी किया गया था. इसको लेकर लोकसभा में भी पक्ष-विपक्ष में बहस हुई.
दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 को देश में आपातकाल की घोषणा की थी और इसी को लेकर केंद्र सरकार ने इस दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने की बात कही. ऐसे में अब राजस्थान में भाजपा की सरकार ने इंदिरा जयंती को शामिल नहीं करने को केंद्र के नक्शे कदम पर चलने से जोड़ा जा रहा है.
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5 अगस्त को स्वर्ण मुकुट मस्तक दिवस : शिविरा पंचांग में पहली बार स्वर्ण मुकुट मस्तक दिवस का जिक्र किया गया है, जो 5 अगस्त को मनाया जाएगा. जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के दिन को 5 अगस्त को स्वर्ण मुकुट मस्तक दिवस के रूप में शामिल किया गया है. वहीं, वीर सावरकर को लेकर कांग्रेस और भाजपा में हमेशा बयानबाजी देखने को मिलती है और अब प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के साथ ही वीर सावरकर की जयंती को उत्सव के रूप में मनाने का जिक्र शिविरा पंचांग में किया गया है. 28 मई को वीर सावरकर जयंती मनाने का जिक्र शिविरा पंचांग में किया गया है.