जोधपुर: जोधपुर के मेहरानगढ़ स्थित पांच सौ साल से अधिक पुराने चामुंडा माता मंदिर में शारदीय नवरात्र के पहले दिन गुरुवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. यहां दर्शनार्थियों के लिए सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए. सुबह से भक्तों की कतारें लग गई. जोधपुर के पूर्व नरेश गजसिंह ने भी परिवार के साथ मंदिर पहुंच कर पूजा अर्चना की और मारवाड़ में सुख शांति की कामना की.
पुजारी घनश्याम त्रिवेदी ने बताया कि मेहरानगढ़ की स्थापना 1459 में राव जोधा ने की थी. उस समय मां चामुंडा मंडोर के मंदिर में विराजित थी. उनको यहां मेहरानगढ़ में लाकर स्थापित किया गया. कहा जाता है कि चामुंडा माता जोधपुर की रक्षा करती है. यहां आने वाले भक्तों की मन्नत भी पूरी होती है. मंदिर में बारह महीने भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्र के नौ दिनों में दर्शन करने का अलग ही महत्व बताया गया है. नौ दिनों तक मेहरानगढ़ में सुबह 7 से शाम पांच बजे तक दर्शन की व्यवस्था की गई है.
पूरे मारवाड़ से आते हैं श्रद्धालु: त्रिवेदी ने बताया कि पूरे मारवाड़ से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं. नवरात्रों के दौरान मंदिर में व्यवस्थाओं का जिम्मा पूर्व राजपरिवार संभालता है. बताया जाता है कि यह परिहार वंश की कुलदेवी है. जिसे राव जोधा ने भी अपनी कुलदेवी माना. इसके बाद से पूरे जोधपुर में घर घर में पूजा होती है.
चील बनकर की थी जोधपुर की रक्षा: उन्होंने बताया कि वर्ष 1971 के भारत पाक युद्ध में जोधपुर पर भी बमबारी हुई थी, लेकिन बताया जाता है कि उस समय देवी ने चील बनकर जोधपुर की रक्षा की थी. जोधपुर के राजपरिवार के ध्वज पर भी चील का निशान अंकित है. मान्यता है कि देवी हमेशा अपने राज्य की रक्षा करती है.
मंदिर से जुड़ा है बड़ा हादसा: मंदिर में 2008 में नवरात्र के पहले दिन मंदिर में सुबह भक्तों की भारी भीड़ थी. इस दौरान मंदिर के सामने रैंप पार्ट पर भगदड़ हो गई. मंदिर दर्शन के लिए युवा एक जगह आकर फंस गए. इसके चलते 216 जनों की मौत हो गई. इस हादसे की जांच के लिए चौपड़ा आयोग ने की थी, लेकिन उसकी रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं हुई. मेहरानगढ़ दुखांतिका समिति की याचिका पर अभी हाईकोर्ट में निर्णय आना है.