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लोहरदगा का चुनावी रण: क्या खेल बिगाड़ेंगे चमरा लिंडा या बदलेगी सियासी तश्वीर - Lok Sabha Election 2024

Chamra Linda in Lohardaga. जेएमएम विधायक चमरा लिंडा लोहरदगा के रण में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में डटे हुए हैं. चमरा लिंडा चौथी बार इस सीट से किस्मत आजमा रहे हैं. यहां पर जेएमएम के बागी उम्मीदवार एनडीए या इंडिया किसका खेल बिगाड़ेंगे?

Chamra Linda in Lohardaga
Chamra Linda in Lohardaga
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 1, 2024, 10:07 PM IST

जेएमएम और बीजेपी नेताओं के बयान

रांची: लोहरदगा के चुनावी रण में सबकी नजर चमरा लिंडा पर है. पार्टी लाइन से बाहर निकलकर चुनाव मैदान में बतौर निर्दलीय उतरे जेएमएम विधायक चमरा लिंडा की भूमिका इस सीट पर अहम होने वाली है. रांची, गुमला और लोहरदगा जिला में स्थित इस संसदीय सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा क्षेत्र है. अनुसूचित जनजाति बहुल इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी टक्कर होती रही है.

इस बार बीजेपी ने लगातार तीन बार से इस सीट पर जीत दर्ज करने वाले सुदर्शन भगत के स्थान पर समीर उरांव को चुनाव मैदान में उतारा है. समीर उरांव बीजेपी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं ऐसे में बीजेपी को उम्मीद है कि इस बार भी कमल खिलाने में पार्टी जरूर सफल होगी. 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से बहुत कम मार्जिन से बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो बीजेपी के सुदर्शन भगत को 3,71,595 वोट मिले थे वहीं दूसरे नंबर पर कांग्रेस के सुखदेव भगत को 3,61,232 वोट मिले थे. इस तरह से जीत का अंतर महज 1.3% रहा था. इस चुनाव में हालांकि चमरा लिंडा दूर रहे थे.

Chamra Linda in Lohardaga
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लोकसभा चुनाव में कई बार किस्मत आजमा चूके हैं चमरा लिंडा

अपनी पार्टी के निर्देश को नजरअंदाज कर चुनाव मैदान में उतरे चमरा लिंडा 2019 को छोड़कर 2004 से 2014 तक लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमाने उतरे, मगर सफलता नहीं मिली. मगर वे वोटों के बिखराव करने में सफल रहे जिसका खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ा. 2019 में चमरा लिंडा चुनाव से दूर रहे मगर देव कुमार धान के चुनाव मैदान में आने से एक बार फिर कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा.

आंकड़ों पर नजर दौराएं तो 2014 के लोकसभा चुनाव में चमरा लिंडा तीसरे स्थान पर रहे थे. इस चुनाव में सुदर्शन भगत को 2,26,666, डॉ रामेश्वर उरांव को 2,20,177 और चमरा लिंडा को 1,18,355 वोट आया था. इसी तरह 2009 के लोकसभा चुनाव में चमरा लिंडा दूसरे नंबर पर रहे और कांग्रेस के डॉ रामेश्वर उरांव तीसरे नंबर पर चले गए. इस चुनाव में बीजेपी के सुदर्शन भगत जीतने में सफल रहे. लोकसभा चुनाव में भलें ही चमरा लिंडा अब तक सफल नहीं हुए हैं मगर विधानसभा चुनाव में विशुनपुर सीट से जीतने में जरूर सफल रहे हैं.

चमरा लिंडा पर जारी है राजनीति

लोहरदगा के चुनावी रण में जेएमएम विधायक चमरा लिंडा के नामांकन के बाद से ही राजनीति शुरू है. जेएमएम अपने विशुनपुर विधायक के बागी रुख पर कार्रवाई करने के बजाय औपचारिकता करने में जुटा है. नामांकन वापसी की समयसीमा समाप्त होने के बाद झामुमो ने लोहरदगा जिला कमिटी से रिपोर्ट तलब किया है. झामुमो के प्रदेश प्रवक्ता मनोज पांडे का मानना है कि पार्टी चमरा लिंडा को लेकर गंभीर है और इसपर जिला से रिपोर्ट आने के बाद निर्णय गुरुजी शिबू सोरेन लेंगे.

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इधर बीजेपी ने जेएमएम पर तंज कसते हुए कहा है कि इससे प्रमाणित होता है कि इंडिया गठबंधन में ऑल इज वेल नहीं है. बीजेपी नेता प्रदीप सिन्हा ने जेएमएम के रुख पर तंज कसते हुए कहा है कि चमरा लिंडा जेएमएम के विधायक हैं और उसपर झामुमो के द्वारा टालमटोल किया जाना यह दर्शाता है कि किस तरह से गठबंधन के अंदर इनकी दूरी बनी हुई है. बहरहाल चमरा लिंडा को चुनाव मैदान में उतरने के बाद से ही सियासी चर्चा जोरों पर है कि आखिरकार चमरा लिंडा के पीछे कौन हैं.

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इस बार बीजेपी ने लगातार तीन बार से इस सीट पर जीत दर्ज करने वाले सुदर्शन भगत के स्थान पर समीर उरांव को चुनाव मैदान में उतारा है. समीर उरांव बीजेपी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं ऐसे में बीजेपी को उम्मीद है कि इस बार भी कमल खिलाने में पार्टी जरूर सफल होगी. 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से बहुत कम मार्जिन से बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो बीजेपी के सुदर्शन भगत को 3,71,595 वोट मिले थे वहीं दूसरे नंबर पर कांग्रेस के सुखदेव भगत को 3,61,232 वोट मिले थे. इस तरह से जीत का अंतर महज 1.3% रहा था. इस चुनाव में हालांकि चमरा लिंडा दूर रहे थे.

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अपनी पार्टी के निर्देश को नजरअंदाज कर चुनाव मैदान में उतरे चमरा लिंडा 2019 को छोड़कर 2004 से 2014 तक लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमाने उतरे, मगर सफलता नहीं मिली. मगर वे वोटों के बिखराव करने में सफल रहे जिसका खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ा. 2019 में चमरा लिंडा चुनाव से दूर रहे मगर देव कुमार धान के चुनाव मैदान में आने से एक बार फिर कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा.

आंकड़ों पर नजर दौराएं तो 2014 के लोकसभा चुनाव में चमरा लिंडा तीसरे स्थान पर रहे थे. इस चुनाव में सुदर्शन भगत को 2,26,666, डॉ रामेश्वर उरांव को 2,20,177 और चमरा लिंडा को 1,18,355 वोट आया था. इसी तरह 2009 के लोकसभा चुनाव में चमरा लिंडा दूसरे नंबर पर रहे और कांग्रेस के डॉ रामेश्वर उरांव तीसरे नंबर पर चले गए. इस चुनाव में बीजेपी के सुदर्शन भगत जीतने में सफल रहे. लोकसभा चुनाव में भलें ही चमरा लिंडा अब तक सफल नहीं हुए हैं मगर विधानसभा चुनाव में विशुनपुर सीट से जीतने में जरूर सफल रहे हैं.

चमरा लिंडा पर जारी है राजनीति

लोहरदगा के चुनावी रण में जेएमएम विधायक चमरा लिंडा के नामांकन के बाद से ही राजनीति शुरू है. जेएमएम अपने विशुनपुर विधायक के बागी रुख पर कार्रवाई करने के बजाय औपचारिकता करने में जुटा है. नामांकन वापसी की समयसीमा समाप्त होने के बाद झामुमो ने लोहरदगा जिला कमिटी से रिपोर्ट तलब किया है. झामुमो के प्रदेश प्रवक्ता मनोज पांडे का मानना है कि पार्टी चमरा लिंडा को लेकर गंभीर है और इसपर जिला से रिपोर्ट आने के बाद निर्णय गुरुजी शिबू सोरेन लेंगे.

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इधर बीजेपी ने जेएमएम पर तंज कसते हुए कहा है कि इससे प्रमाणित होता है कि इंडिया गठबंधन में ऑल इज वेल नहीं है. बीजेपी नेता प्रदीप सिन्हा ने जेएमएम के रुख पर तंज कसते हुए कहा है कि चमरा लिंडा जेएमएम के विधायक हैं और उसपर झामुमो के द्वारा टालमटोल किया जाना यह दर्शाता है कि किस तरह से गठबंधन के अंदर इनकी दूरी बनी हुई है. बहरहाल चमरा लिंडा को चुनाव मैदान में उतरने के बाद से ही सियासी चर्चा जोरों पर है कि आखिरकार चमरा लिंडा के पीछे कौन हैं.

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