रांची: 2 फरवरी से झारखंड की कमान चंपई सोरेन के हाथों में चली गई है. हेमंत सोरेन अब पूर्व मुख्यमंत्री हो गये हैं. लैंड स्कैम मामले में न्यायिक हिरासत में हैं. इसके बावजूद झारखंड सरकार में हेमंत फोबिया नजर आ रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि अभी भी ज्यादातर दफ्तरों में उनकी तस्वीरें लगी हुई हैं. हद तो ये कि सीएम चंपई सोरेन के अलावा मंत्रियों के दफ्तरों से भी उनकी तस्वीरें नहीं हटाई गई हैं. जबकि सीएम को बदले 18 दिन गुजर चुके हैं. इस मसले को लेकर विपक्ष ने चंपई सरकार और ब्यूरोक्रेसी को आड़े हाथों लिया है.
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि शपथ लेते ही सीएम चंपई सोरेन ने खुद कहा था कि यह हेमंत पार्ट-2 सरकार है. अब सवाल है कि क्या उन्होंने कैबिनेट से संशोधन करा दिया कि सरकारी दफ्तरों में हेमंत सोरेन की ही तस्वीर लगेगी. यह दिखा रहा है कि न्यायिक हिरासत में रहते हुए भी हेमंत सोरेन इनपर निगाह रखे हुए हैं. ऐसा कर प्रतिकात्मक रुप से भी गलत संदेश दिया जा रहा है. अगर नियम में संशोधन हुआ है तो दूसरे पूर्व मुख्यमंत्रियों की तस्वीरें क्यों नहीं लगीं हैं. नियम से राजकाज चलता है. यह सरासर मनमानी है.
आजसू प्रवक्ता देवशरण भगत के कहा कि झामुमो के शासनकाल में कार्यपालिका क्या अपनी कार्यप्रणाली भूल गई है. किसकी तस्वीर लगनी चाहिए. किसकी हटनी चाहिए. यह तो देखना कार्यपालिका का काम है. ऐसे अधिकारियों के कारण ही सरकार की फजीहत होती है. इसके लिए अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए.
इस बारे में झामुमो के नेताओं से पक्ष लेने के कोशिश की गई. लेकिन किसी से बात नहीं हो पाई. जबकि कैबिनेट सचिवालय के पदाधिकारियों ने इस मसले पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. सचिवालय से यह कहा गया कि विभागीय सचिव ही इसपर बयान दे सकते हैं.
सरकारी दफ्तरों में पूर्व सीएम हेमंत की तस्वीरें
अव्वल तो ये कि सीएम पद की शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने वित्त विभाग के राजस्व प्राप्ति और व्यय को लेकर 7 फरवरी को अलग-अलग विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव और सचिवों के साथ प्रोजेक्ट भवन में हाई लेबल बैठक की थी. उस वक्त उसी हॉल में पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की दो-दो तस्वीरें नजर आईं. खास बात है कि बैठक में राज्य के मुख्य सचिव एल खियांग्ते भी मौजूद थे. मीटिंग के दौरान राजस्व बढ़ाने को लेकर घंटों मंथन चलता रहा. लेकिन किसी ने भी यह बताने की जहमत नहीं उठाई कि पूर्व सीएम की तस्वीर को हटा दिया जाना चाहिए.
यही नहीं 5 फरवरी को विशेष सत्र के दिन विधानसभा स्थित सीएम चंपई सोरेन के चैंबर में भी ठीक राष्ट्रपिता बापू की तस्वीर के बगल में हेमंत सोरेन की तस्वीर नजर आई. 17 फरवरी को गृह रक्षा वाहिनी-सह-अग्निशमन सेवा के महानिदेशक अनिल पालटा शिष्टाचार भेंट करने सीएम आवास गये थे. उस दौरान भी दीवार पर हेमंत सोरेन की तस्वीर लगी हुई थी.
19 फरवरी को जब मिथिलेश ठाकुर पदभार ग्रहण करने नेपाल हाऊस स्थित अपने दफ्तर में गये, तब भी हेमंत सोरेन की ही तस्वीर नजर आई. 2 फरवरी को चंपई सोरेन द्वारा सीएम का पदभार संभालने के दौरान ग्रामीण विकास विभाग के दफ्तर में झारखंड राज्य बाल संरक्षण संस्था की निदेशक सह सदस्य राजेश्वरी बी. बैठक कर रहीं थी. तब भी पूर्व सीएम हेमंत की ही तस्वीरें लगी हुई थी. 8 फरवरी को ग्रामीण विकास विभाग के सचिव चंद्रशेखर की अध्यक्षता में स्टेट प्लांटेशन एडवाइजरी की बैठक हुई थी. उस दौरान उसी हॉल की दीवार पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और राज्यपाल के अलावा पूर्व सीएम की तस्वीर लगी हुई थी.
प्रोटोकॉल का खुला उल्लंघन!
दरअसल, कैबिनेट यह प्रोटोकॉल तय करता है कि राज्य सरकार के विभागाध्यक्षों के दफ्तर में किसकी तस्वीर लगी होनी चाहिए. झारखंड में सीएम की तस्वीर लगाने का प्रोटोकॉल है. इसके अलावा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और राज्यपाल की भी तस्वीरें भी लगाई जा सकती हैं. लेकिन इस व्यवस्था का खुला उल्लंघन हो रहा है. एक दो दिन की बात होती तो उसे नजरअंदाज किया जा सकता था. वर्तमान सीएम चंपई सोरेन की तस्वीर लगाने के लिए फोटो फ्रेम तैयार कराने में वक्त का हवाला दिया जा सकता था. लेकिन इससे पहले पूर्व सीएम की तस्वीरें तो हटाई ही जा सकती थी.
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