रांची: मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन अपने कैबिनेट का विस्तार करने वाले हैं. इसको लेकर सारी कवायद पूरी हो चुकी है. इसको चंद दिनों के भीतर अमलीजामा पहना दिया जाएगा. अब सवाल है कि किसका किसका पत्ता कटने वाला है. किसको किसको मंत्री बनाया जा सकता है. वर्तमान में चंपाई कैबिनेट में सीएम समेत कुल 10 मंत्री हैं. इनमें झामुमो कोटे से सीएम के अलावा पांच मंत्री हैं. जबकि कांग्रेस कोटे से तीन और राजद कोटा से एक मंत्री हैं. विधानसभा सदस्यों की संख्या के लिहाज से झारखंड में सीएम के अलावा कैबिनेट में 11 मंत्रियों की जगह होती है. लिहाजा, कांग्रेस विधायक आलमगीर आलम के इस्तीफे के बाद कांग्रेस कोटे से एक विधायक को मंत्री बनाया जाना है.
सूत्रों की माने तो अल्पसंख्यक वर्ग को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस कोटे से आलमगीर आलम की जगह जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी को जगह मिलना तय हो चुका है. हालांकि चर्चा यह भी है कि कांग्रेस अपने कोटे से एक से दो मंत्रियों को हटाकर नये विधायकों को जगह देने की तैयारी कर रही है. इसमें एक नाम पहले से ही चर्चा में है. वह है बादल पत्रलेख. लेकिन एक और चौंकाने वाला नाम सामने आ सकता है. अब सवाल है कि दो मंत्रियों को हटाकर किन दो विधायकों को जगह दी जा सकती है. इसमें दीपिका पांडेय सिंह के अलावा आदिवासी कोटे से भी एक विधायक का खाता खुल सकता है. सूत्रों के मुताबिक इस मसले पर हेमंत सोरेन और कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर के बीच 25 जून को बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में विस्तार से चर्चा हो चुकी है.
अब सवाल है कि क्या नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए झामुमो अपने कोटे से 12वां मंत्री दे सकता है. इस मसले पर झामुमो ने चुप्पी साध रखी है. वैसे चर्चा बैद्यनाथ राम को लेकर हो रही है. लेकिन उन्होंने ईटीवी भारत के साथ बातचीत के दौरान ऐसी किसी भी जानकारी से अनभिज्ञता जाहिर की. यहां गौर करने वाली बात यह है कि चंपाई सोरेन के नेतृत्व में जब सरकार बनी तो मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान लातेहार से झामुमो विधायक बैद्यनाथ राम को मंत्री बनाने के लिए सारी कवायद पूरी हो चुकी थी. उन्होंने मंत्री पद की शपथ लेने के लिए पूरी तैयारी भी कर ली थी. लेकिन आवास से राजभवन के लिए निकलने से पहले उन्हें फोन पर सूचित किया गया था कि अभी इंतजार करना है. तब ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बैद्यनाथ राम ने इसे अपमान बताते हुए कठोर कदम उठाने की बात की थी. हालांकि बाद में वह बैकफुट पर आ गये थे. अब देखना है कि झामुमो क्या स्टैंड लेता है.
2019 के विस चुनाव के बाद कब-कब बदला कैबिनेट का स्वरूप
2019 के चुनाव के बाद हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनने पर झामुमो कोटे से चंपाई सोरेन, जोबा मांझी, जगरनाथ महतो, हाजी हुसैन अंसारी और मिथिलेश ठाकुर को मंत्री बनाया गया था. लेकिन कोरोना काल में हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद उनके पुत्र हफीजुल हसन और लंग्स ट्रांसप्लांट के बाद निधन होने पर जगरनाथ महतो की जगह उनकी पत्नी बेबी देवी को मंत्री बनाया गया था. वहीं कांग्रेस कोटे से रामेश्वर उरांव, आलमगीर आलम, बन्ना गुप्ता और बादल पत्रलेख मंत्री बने. राजद कोटे से सत्यानंद भोक्ता मंत्री बने.
लेकिन 31 जनवरी 2024 को लैंड स्कैम मामले में गिरफ्तार होने पर हेमंत सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा. उनकी जगह चंपाई सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनी. तब झामुमो ने जोबा मांझी की जगह दीपक बिरुआ और हेमंत सोरेन की जगह बसंत सोरेन को मंत्री बना दिया. वर्तमान में चंपाई कैबिनेट में झामुमो कोटे से बसंत सोरेन, मिथिलेश ठाकुर, हफीजुल हसन, दीपक बिरुआ और बेबी देवी मंत्री हैं.
कांग्रेस कोटे के जिन दो मंत्रियों को बदलने की चर्चा है, उसके पीछे कई कारण हैं. उनके परफॉर्मेंस पर सवाल उठ चुके हैं. पार्टी के भीतर चर्चा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान बादल पत्रलेख की भूमिका संदेहास्पद रही है. उनके जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप यादव पिछड़ गये थे. बादल की जगह दीपिका पांडेय सिंह को लाया जा सकता है.
दीपिका ने महगामा विस क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी को बढ़त दिलायी थी. इनके जरिए आधी आबादी को साधा जा सकता है. खास बात है कि दीपिका पर आलाकमान को ज्यादा भरोसा है. यही वजह है कि उन्हें गोड्डा से प्रत्याशी तक घोषित कर दिया गया था. हालांकि प्रदीप यादव के समर्थकों के विरोध के चलते उनको अंतिम समय में टिकट से वंचित होना पड़ा. इसके बावजूद वह कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप यादव के लिए क्षेत्र में सक्रिय रहीं.
इरफान के साथ प्लस प्वाइंट यह है कि इस बार उनके पिता फुरकान अंसारी को गोड्डा से टिकट नहीं मिला था. दूसरा यह कि आलमगीर आलम के इस्तीफे के बाद इस सीट पर अल्पसंख्यक का दावा बनता है. कांग्रेस में आलमगीर आलम के बाद एक मात्र विधायक इरफान अंसारी है. उन्होंने लोकसभा चुनाव में दुमका के झामुमो प्रत्याशी नलीन सोरेन को जामताड़ा विस क्षेत्र अच्छी बढ़त दिलायी थी. इसका उन्हें इनाम मिल सकता है. रही बात 12वें मंत्री की तो इसको लेकर अभी किसी तरह की सुगबुगाहट नहीं दिख रही है. ऐसा लग रहा है कि पूर्वर्ती रघुवर सरकार की तरह चंपाई सरकार भी कैबिनेट में मंत्री का एक पद भरने के मूड में नहीं है.
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