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हिमाचल में क्या कांग्रेस रोक पाएगी भाजपा का विजय रथ ? 2019 में 3 लाख से अधिक वोटों के अंतर से हारी थी सभी सीटें - Challenge for Congress in Himachal

Congress vs BJP in Himachal Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस सभी 4 संसदीय सीटों पर 3 लाख से अधिक की अतंर से चुनाव हारी थी. ऐसे में 2024 में क्या कांग्रेस भाजपा की विजय रथ रोक पाएगी. मोदी लहर और हिमाचल कांग्रेस में अंतर्कलह को देखते हुए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और पार्टी के लिए ये चुनावी जीतना किसी चुनौती से कम नहीं है. पढ़िए पूरी खबर....

हिमाचल में क्या कांग्रेस रोक पाएगी भाजपा का विजय रथ ?
हिमाचल में क्या कांग्रेस रोक पाएगी भाजपा का विजय रथ ? (File)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 14, 2024, 7:09 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश की चार लोकसभा सीटों पर सातवें चरण में 1 जून को लोकसभा चुनाव होना है. कांग्रेस और भाजपा ने केंद्र के इस 'रण' के लिए कमर कस ली है. दोनों दलों ने चारों सीटों पर अपने प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा है. पहाड़ी राज्य में सत्ताधारी दल कांग्रेस के पास लोकसभा चुनाव में भाजपा के विजय रथ को रोकने की चुनौती है.

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हुई थी चारों खाने चित

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में चारों सीटों पर कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था. आलम ये था कि चार लोकसभा सीटों के तहत आने वाली राज्य की सभी 68 विधानसभा सीटों में से एक पर भी कांग्रेस को लीड नहीं मिली थी. उस समय भाजपा ने प्रदेश की सत्ता में जयराम के 'राज' में वापसी की थी. वहीं, साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने भी सीएम सुक्खू की अगुवाई में प्रदेश में अपनी सरकार बनाई है. ऐसे में इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पास बीजेपी के विजय रथ को रोकना एवरेस्ट चढ़ने से कम नहीं है.

मोदी लहर ने कांग्रेस पर बरपाया था कहर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम की लहर से कांग्रेस के प्रत्याशी साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर 3 लाख से अधिक के मतों से चुनाव हारे थे. आलम ये था कि कांगड़ा लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी पवन काजल बीजेपी प्रत्याशी किशन कपूर से 4,77,623 मतों के अंतर से चुनाव हारे थे जो देश में कांग्रेस की सबसे बड़ी हार थी. वहीं मंडी संसदीय क्षेत्र में संचार क्रांति के मसीहा कहे जाने वाले सुखराम के पोते आश्रय शर्मा को भी 4,05,459 के मतों के अंतर से हार का स्वाद चखना पड़ा था. उन्हें बीजेपी के दिवंगत नेता रामस्वरूप शर्मा ने हराया था. हालांकि रामस्वरूप शर्मा की मौत के बाद इस सीट पर हुए उप-चुनाव में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष व वर्तमान में मंडी संसदीय क्षेत्र की सांसद प्रतिभा सिंह ने बीजेपी के ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर को करीब 7 हजार वोटों के मार्जिन से हराया था.

इसी तरह से 2019 में हमीरपुर लोकसभा सीट से भी कांग्रेस कहीं भी रेस में नजर नहीं आई. इस सीट पर कांग्रेस के पूर्व मंत्री रामलाल ठाकुर को सांसद अनुराग ठाकुर ने 3,99,572 मतों के अंतर से हराया था. कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाली शिमला सीट पर दो बार सांसद रहे और पूर्व में मंत्री रहे धनीराम शांडिल को 3,27,514 मतों के अंतर से सांसद सुरेश कश्यप ने चुनाव हराया था.

कुल मतों में 31 फीसदी से अधिक नहीं बढ़ पाई थी कांग्रेस

2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की इतनी करारी हार कभी नहीं हुई थी. आलम ये था कि उस दौरान कांग्रेस का कोई भी प्रत्याशी कुल मतों में 31 फीसदी से अधिक नहीं बढ़ पाया था. कांगड़ा सीट की बात की जाए तो यहां पवन काजल को कुल मतों के सिर्फ 24.53 फीसदी वोट पड़े. मंडी सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी आश्रय शर्मा को कुल मतों में से 25.65 फीसदी वोट पड़े. हमीरपुर सीट पर भी कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. कांग्रेस प्रत्याशी रामलाल ठाकुर को कुल मतों में से 28.54 फीसदी वोट पड़े. कांग्रेस के गढ़ शिमला में भी धनीराम शांडिल को कुल मतों के 30.45 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे.

हमीरपुर सीट पर अनुराग ठाकुर (बीजेपी) और सतपाल रायजादा (कांग्रेस) के बीच मुकाबला
हमीरपुर सीट पर अनुराग ठाकुर (बीजेपी) और सतपाल रायजादा (कांग्रेस) के बीच मुकाबला (social media)

2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने दी थी फाइट

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश में पूर्व सीएम वीरभद्र के नेतृत्व में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ एक ही सीट पर 1.50 लाख से अधिक के मतों के अंतर से हार झेलनी पड़ी थी. वहीं, तीन सीटों पर हार का अंतर एक लाख से कम था. कांगड़ा लोकसभा सीट पर भाजपा के दिग्गज नेता शांता कुमार ने पूर्व मंत्री चंद्रकुमार को 1,70,072 मतों के अंतर से चुनाव हराया था. मंडी की लोकसभा सीट पर भी मोदी की आंधी से बड़ा उलटफेर हुआ था. यहां हिमाचल के 6 बार मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को भाजपा के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ रहे राम स्वरूप शर्मा ने 39,856 मतों के अंतर से चुनाव में हराया था.

हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र राणा सांसद अनुराग ठाकुर से 98,403 मतों के अंतर से चुनाव हारे थे. ये वही राजेंद्र राणा हैं, जो 27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग कर कांग्रेस से बागी होकर भाजपा में शामिल हुए हैं. वहीं, कांग्रेस का पारंपरिक गढ़ रही शिमला सीट पर भी साल 2014 में मोहन लाल ब्राक्टा 84,187 मतों के अंतर से चुनाव हारे थे.

साल 2024 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए अग्नि परीक्षा

साल 2024 का लोकसभा चुनाव हिमाचल में कांग्रेस के लिए अग्नि परीक्षा से कम नहीं है. प्रदेश में सत्ता चलाते हुए कांग्रेस को करीब डेढ़ साल का समय हो चुका है. इस लोकसभा चुनाव में खुद को साबित करना और बैक टू बैक दो लोकसभा चुनावों में प्रदेश में कांग्रेस को मिली करारी हार की भरपाई करना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है. इन सब बातों का ख्याल रखते हुए कांग्रेस ने इस बार चुनावी मैदान में अपने प्रमुख चेहरों को उतारा है. मौजूदा समय में राज्य में कांग्रेस की सरकार है जिसका फायदा तो पार्टी उठा सकती है लेकिन इस बार चुनाव जीतने से पहले 2019 की मार्जिन को कम करना बड़ी चुनौती है.

मंडी सीट पर कंगना रनौत (बीजेपी) और विक्रमादित्य सिंह (कांग्रेस) के बीच मुकाबला
मंडी सीट पर कंगना रनौत (बीजेपी) और विक्रमादित्य सिंह (कांग्रेस) के बीच मुकाबला (social media)

मंडी सीट पर है कांटे की टक्कर

मंडी लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने वर्तमान में राज्य सरकार में लोकनिर्माण विभाग के मंत्री विक्रमादित्य को अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा है. कांग्रेस इस सीट पर लोकसभा उपचुनाव में मिली जीत को बरकरार रखना चाहती है. हालांकि मंडी जिले को भाजपा का गढ़ माना जाता है. ऐसे में इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प होने की बात है. वहीं, मंडी संसदीय क्षेत्र में शिमला जिले के तहत आने वाले रामपुर विधानसभा क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. वहीं, इस सीट पर महिला वोटर्स का वोट भी महत्वपूर्ण है. ऐसे में जो भी प्रत्याशी महिलाओं के वोट जुटाने में सफल रहता है वह निश्चित तौर पर इस सीट पर जीत हासिल करेगा.

कांगड़ा लोकसभा सीट पर भी हो सकता है उलटफेर

कांगड़ा लोकसभा सीट से कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता व पूर्व में राज्यसभा सांसद रहे आनंद शर्मा को बीजेपी प्रत्याशी राजीव भारद्वाज के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा है. कांग्रेस को साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर पूरे देश में रिकॉर्ड मतों से हार मिली थी. वहीं, भाजपा ने इस बार संसदीय क्षेत्र से मौजूदा सांसद किशन कपूर का टिकट भी काटा है. ऐसे में कांग्रेस के पास इस सीट पर मिली करारी हार को भुलाकर अपने वरिष्ठ नेता की फेस वेल्यू को लेकर सकारात्मक परिणाम की उम्मीद है.

कांगड़ा सीट पर राजीव भारद्वाज (बीजेपी) और आनंद शर्मा (कांग्रेस) के बीच मुकाबला
कांगड़ा सीट पर राजीव भारद्वाज (बीजेपी) और आनंद शर्मा (कांग्रेस) के बीच मुकाबला (social media)

हमीरपुर है बीजेपी का अभेद्य किला

हमीरपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस की राह आसान नहीं है. इस सीट से अपने प्रत्याशी का चयन करने के लिए कांग्रेस ने काफी माथापच्ची की और अंत में जाकर पूर्व विधायक सतपाल रायजादा को सांसद अनुराग ठाकुर के खिलाफ लोकसभा चुनाव में उतारा. हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से मुख्यमंत्री सुक्खू, उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी आते हैं. कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल रायजादा के साथ इन तीनों बड़े कांग्रेसी नेताओं की साख इस सीट पर दांव पर है. ऐसे में कांग्रेस बीते लोकसभा चुनाव में मिली हार कि कितनी क्षतिपूर्ती इस सीट पर कर पाती है ये 4 जून को ही पता चल पाएगा. हमीरपुर से अनुराग ठाकुर लगाचार 4 बार से सांसद हैं और पांचवी बार जीत का दावा कर रहे हैं.

कभी कांग्रेस का गढ़ थी शिमला संसदीय सीट

शिमला संसदीय सीट को किसी समय कांग्रेस का गढ़ माना जाता था लेकिने बीते 15 साल से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है. कांग्रेस ने इस सीट पर कसौली से अपने विधायक विनोद सुल्तानपुरी को भाजपा के सुरेश कश्यप के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा है. कांग्रेस प्रत्याशी को राजनीति उनके पिता से विरासत में मिली है. उनके पिता केडी सुल्तानपुरी शिमला संसदीय सीट से 6 बार के सांसद रह चुके हैं. वहीं, शिमला हिमाचल प्रदेश की राजधानी है और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है. ऐसे में कांग्रेस इस सीट पर बीते लोकसभा चुनाव में मिली हार को भुलाकर सकारात्मक परिणाम की उम्मीद लगा रही है.

शिमला लोकसभा सीट पर सुरेश कश्यप (बीजेपी) और विनोद सुल्तानपुरी (कांग्रेस) के बीच मुकाबला
शिमला लोकसभा सीट पर सुरेश कश्यप (बीजेपी) और विनोद सुल्तानपुरी (कांग्रेस) के बीच मुकाबला (social media)

साल 2019 में करीब साढ़े 10 लाख वोटों पर सिमटी थी कांग्रेस

वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू लोगों के सिर चढ़ कर बोला था. उस दौरान हिमाचल की चारों लोकसभा सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत ही खराब था. सभी सीटों पर कांग्रेस को 10,51,113 वोट पड़े थे. वहीं, भाजपा चारों सीटों पर 26,61,281 वोट हासिल कर हिमाचल में अब तक हुए लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक मत लेने का रिकॉर्ड बनाया था. वहीं, वर्ष 2014 में चारों सीटों पर कांग्रेस को 12,60,477 मत प्राप्त हुए थे. भाजपा ने सभी सीटों पर 16,52,995 वोट हासिल किए थे. दोनों बार वोटों का मार्जिन बताता है कि कांग्रेस के लिए राह आसान नहीं होने वाली. इस बार प्रदेश की सत्ता पर कांग्रेस काबिज है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस आने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा को जीत की हैट्रिक लगाने से रोक पाएगी.

ये भी पढ़ें: अभी साढ़े 3 साल और चलेगी कांग्रेस सरकार, 2027 में आएगा पार्ट-2: सीएम सुक्खू

शिमला: हिमाचल प्रदेश की चार लोकसभा सीटों पर सातवें चरण में 1 जून को लोकसभा चुनाव होना है. कांग्रेस और भाजपा ने केंद्र के इस 'रण' के लिए कमर कस ली है. दोनों दलों ने चारों सीटों पर अपने प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा है. पहाड़ी राज्य में सत्ताधारी दल कांग्रेस के पास लोकसभा चुनाव में भाजपा के विजय रथ को रोकने की चुनौती है.

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हुई थी चारों खाने चित

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में चारों सीटों पर कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था. आलम ये था कि चार लोकसभा सीटों के तहत आने वाली राज्य की सभी 68 विधानसभा सीटों में से एक पर भी कांग्रेस को लीड नहीं मिली थी. उस समय भाजपा ने प्रदेश की सत्ता में जयराम के 'राज' में वापसी की थी. वहीं, साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने भी सीएम सुक्खू की अगुवाई में प्रदेश में अपनी सरकार बनाई है. ऐसे में इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पास बीजेपी के विजय रथ को रोकना एवरेस्ट चढ़ने से कम नहीं है.

मोदी लहर ने कांग्रेस पर बरपाया था कहर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम की लहर से कांग्रेस के प्रत्याशी साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर 3 लाख से अधिक के मतों से चुनाव हारे थे. आलम ये था कि कांगड़ा लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी पवन काजल बीजेपी प्रत्याशी किशन कपूर से 4,77,623 मतों के अंतर से चुनाव हारे थे जो देश में कांग्रेस की सबसे बड़ी हार थी. वहीं मंडी संसदीय क्षेत्र में संचार क्रांति के मसीहा कहे जाने वाले सुखराम के पोते आश्रय शर्मा को भी 4,05,459 के मतों के अंतर से हार का स्वाद चखना पड़ा था. उन्हें बीजेपी के दिवंगत नेता रामस्वरूप शर्मा ने हराया था. हालांकि रामस्वरूप शर्मा की मौत के बाद इस सीट पर हुए उप-चुनाव में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष व वर्तमान में मंडी संसदीय क्षेत्र की सांसद प्रतिभा सिंह ने बीजेपी के ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर को करीब 7 हजार वोटों के मार्जिन से हराया था.

इसी तरह से 2019 में हमीरपुर लोकसभा सीट से भी कांग्रेस कहीं भी रेस में नजर नहीं आई. इस सीट पर कांग्रेस के पूर्व मंत्री रामलाल ठाकुर को सांसद अनुराग ठाकुर ने 3,99,572 मतों के अंतर से हराया था. कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाली शिमला सीट पर दो बार सांसद रहे और पूर्व में मंत्री रहे धनीराम शांडिल को 3,27,514 मतों के अंतर से सांसद सुरेश कश्यप ने चुनाव हराया था.

कुल मतों में 31 फीसदी से अधिक नहीं बढ़ पाई थी कांग्रेस

2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की इतनी करारी हार कभी नहीं हुई थी. आलम ये था कि उस दौरान कांग्रेस का कोई भी प्रत्याशी कुल मतों में 31 फीसदी से अधिक नहीं बढ़ पाया था. कांगड़ा सीट की बात की जाए तो यहां पवन काजल को कुल मतों के सिर्फ 24.53 फीसदी वोट पड़े. मंडी सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी आश्रय शर्मा को कुल मतों में से 25.65 फीसदी वोट पड़े. हमीरपुर सीट पर भी कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. कांग्रेस प्रत्याशी रामलाल ठाकुर को कुल मतों में से 28.54 फीसदी वोट पड़े. कांग्रेस के गढ़ शिमला में भी धनीराम शांडिल को कुल मतों के 30.45 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे.

हमीरपुर सीट पर अनुराग ठाकुर (बीजेपी) और सतपाल रायजादा (कांग्रेस) के बीच मुकाबला
हमीरपुर सीट पर अनुराग ठाकुर (बीजेपी) और सतपाल रायजादा (कांग्रेस) के बीच मुकाबला (social media)

2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने दी थी फाइट

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश में पूर्व सीएम वीरभद्र के नेतृत्व में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ एक ही सीट पर 1.50 लाख से अधिक के मतों के अंतर से हार झेलनी पड़ी थी. वहीं, तीन सीटों पर हार का अंतर एक लाख से कम था. कांगड़ा लोकसभा सीट पर भाजपा के दिग्गज नेता शांता कुमार ने पूर्व मंत्री चंद्रकुमार को 1,70,072 मतों के अंतर से चुनाव हराया था. मंडी की लोकसभा सीट पर भी मोदी की आंधी से बड़ा उलटफेर हुआ था. यहां हिमाचल के 6 बार मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को भाजपा के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ रहे राम स्वरूप शर्मा ने 39,856 मतों के अंतर से चुनाव में हराया था.

हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र राणा सांसद अनुराग ठाकुर से 98,403 मतों के अंतर से चुनाव हारे थे. ये वही राजेंद्र राणा हैं, जो 27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग कर कांग्रेस से बागी होकर भाजपा में शामिल हुए हैं. वहीं, कांग्रेस का पारंपरिक गढ़ रही शिमला सीट पर भी साल 2014 में मोहन लाल ब्राक्टा 84,187 मतों के अंतर से चुनाव हारे थे.

साल 2024 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए अग्नि परीक्षा

साल 2024 का लोकसभा चुनाव हिमाचल में कांग्रेस के लिए अग्नि परीक्षा से कम नहीं है. प्रदेश में सत्ता चलाते हुए कांग्रेस को करीब डेढ़ साल का समय हो चुका है. इस लोकसभा चुनाव में खुद को साबित करना और बैक टू बैक दो लोकसभा चुनावों में प्रदेश में कांग्रेस को मिली करारी हार की भरपाई करना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है. इन सब बातों का ख्याल रखते हुए कांग्रेस ने इस बार चुनावी मैदान में अपने प्रमुख चेहरों को उतारा है. मौजूदा समय में राज्य में कांग्रेस की सरकार है जिसका फायदा तो पार्टी उठा सकती है लेकिन इस बार चुनाव जीतने से पहले 2019 की मार्जिन को कम करना बड़ी चुनौती है.

मंडी सीट पर कंगना रनौत (बीजेपी) और विक्रमादित्य सिंह (कांग्रेस) के बीच मुकाबला
मंडी सीट पर कंगना रनौत (बीजेपी) और विक्रमादित्य सिंह (कांग्रेस) के बीच मुकाबला (social media)

मंडी सीट पर है कांटे की टक्कर

मंडी लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने वर्तमान में राज्य सरकार में लोकनिर्माण विभाग के मंत्री विक्रमादित्य को अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा है. कांग्रेस इस सीट पर लोकसभा उपचुनाव में मिली जीत को बरकरार रखना चाहती है. हालांकि मंडी जिले को भाजपा का गढ़ माना जाता है. ऐसे में इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प होने की बात है. वहीं, मंडी संसदीय क्षेत्र में शिमला जिले के तहत आने वाले रामपुर विधानसभा क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. वहीं, इस सीट पर महिला वोटर्स का वोट भी महत्वपूर्ण है. ऐसे में जो भी प्रत्याशी महिलाओं के वोट जुटाने में सफल रहता है वह निश्चित तौर पर इस सीट पर जीत हासिल करेगा.

कांगड़ा लोकसभा सीट पर भी हो सकता है उलटफेर

कांगड़ा लोकसभा सीट से कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता व पूर्व में राज्यसभा सांसद रहे आनंद शर्मा को बीजेपी प्रत्याशी राजीव भारद्वाज के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा है. कांग्रेस को साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर पूरे देश में रिकॉर्ड मतों से हार मिली थी. वहीं, भाजपा ने इस बार संसदीय क्षेत्र से मौजूदा सांसद किशन कपूर का टिकट भी काटा है. ऐसे में कांग्रेस के पास इस सीट पर मिली करारी हार को भुलाकर अपने वरिष्ठ नेता की फेस वेल्यू को लेकर सकारात्मक परिणाम की उम्मीद है.

कांगड़ा सीट पर राजीव भारद्वाज (बीजेपी) और आनंद शर्मा (कांग्रेस) के बीच मुकाबला
कांगड़ा सीट पर राजीव भारद्वाज (बीजेपी) और आनंद शर्मा (कांग्रेस) के बीच मुकाबला (social media)

हमीरपुर है बीजेपी का अभेद्य किला

हमीरपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस की राह आसान नहीं है. इस सीट से अपने प्रत्याशी का चयन करने के लिए कांग्रेस ने काफी माथापच्ची की और अंत में जाकर पूर्व विधायक सतपाल रायजादा को सांसद अनुराग ठाकुर के खिलाफ लोकसभा चुनाव में उतारा. हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से मुख्यमंत्री सुक्खू, उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी आते हैं. कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल रायजादा के साथ इन तीनों बड़े कांग्रेसी नेताओं की साख इस सीट पर दांव पर है. ऐसे में कांग्रेस बीते लोकसभा चुनाव में मिली हार कि कितनी क्षतिपूर्ती इस सीट पर कर पाती है ये 4 जून को ही पता चल पाएगा. हमीरपुर से अनुराग ठाकुर लगाचार 4 बार से सांसद हैं और पांचवी बार जीत का दावा कर रहे हैं.

कभी कांग्रेस का गढ़ थी शिमला संसदीय सीट

शिमला संसदीय सीट को किसी समय कांग्रेस का गढ़ माना जाता था लेकिने बीते 15 साल से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है. कांग्रेस ने इस सीट पर कसौली से अपने विधायक विनोद सुल्तानपुरी को भाजपा के सुरेश कश्यप के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा है. कांग्रेस प्रत्याशी को राजनीति उनके पिता से विरासत में मिली है. उनके पिता केडी सुल्तानपुरी शिमला संसदीय सीट से 6 बार के सांसद रह चुके हैं. वहीं, शिमला हिमाचल प्रदेश की राजधानी है और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है. ऐसे में कांग्रेस इस सीट पर बीते लोकसभा चुनाव में मिली हार को भुलाकर सकारात्मक परिणाम की उम्मीद लगा रही है.

शिमला लोकसभा सीट पर सुरेश कश्यप (बीजेपी) और विनोद सुल्तानपुरी (कांग्रेस) के बीच मुकाबला
शिमला लोकसभा सीट पर सुरेश कश्यप (बीजेपी) और विनोद सुल्तानपुरी (कांग्रेस) के बीच मुकाबला (social media)

साल 2019 में करीब साढ़े 10 लाख वोटों पर सिमटी थी कांग्रेस

वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू लोगों के सिर चढ़ कर बोला था. उस दौरान हिमाचल की चारों लोकसभा सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत ही खराब था. सभी सीटों पर कांग्रेस को 10,51,113 वोट पड़े थे. वहीं, भाजपा चारों सीटों पर 26,61,281 वोट हासिल कर हिमाचल में अब तक हुए लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक मत लेने का रिकॉर्ड बनाया था. वहीं, वर्ष 2014 में चारों सीटों पर कांग्रेस को 12,60,477 मत प्राप्त हुए थे. भाजपा ने सभी सीटों पर 16,52,995 वोट हासिल किए थे. दोनों बार वोटों का मार्जिन बताता है कि कांग्रेस के लिए राह आसान नहीं होने वाली. इस बार प्रदेश की सत्ता पर कांग्रेस काबिज है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस आने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा को जीत की हैट्रिक लगाने से रोक पाएगी.

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