रुद्रप्रयाग: भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में सात वर्षों बाद आयोजित पांडव नृत्य के 26 वें दिन गढ़वाली में चक्रव्यूह लीला का मंचन किया गया. जिसको देखने के लिए हजारों की संख्या में ग्रामीण पहुंचे. चक्रव्यूह के दौरान अर्जुन पुत्र अभिमन्यु ने छह द्वारों को ध्वस्त किया, जबकि सातवें द्वार पर दुर्योधन ने वीर अभिमन्यु को षड्यंत्र के तहत उसका वध किया. इस दृश्य ने दर्शकों को भावुक कर दिया.
चक्रव्यूह मंचन के दौरान कौरवों की ओर से रचाये गए चक्रव्यूह के छह द्वारों को अर्जुन पुत्र अभिमन्यु ने आसानी से भेद दिया. मगर अंतिम सातवें द्वार पर दुर्योधन और अन्य कौरव दल ने छल करके वीर अभिमन्यु का वध कर दिया. आयोजन में मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों से नई पीढ़ी को भी अपनी पौराणिक परंपराओं और रीति-रिवाजों के बारे में जानकारी मिलती है. उन्होंने कहा कि केदारघाटी में पौराणिक नृत्य की परंपरा युगों पूर्व की है. राज्य सरकार देवभूमि के आध्यात्मिक, धार्मिक, पौराणिक व सांस्कृतिक परंपराओं के संरक्षण-संवर्धन के संकल्पबद्ध है. उन्होंने कहा कि संस्कृति को जीवित रखने के लिए सभी को एक मंच पर आने की आवश्यकता है.
विशिष्ट अतिथि विधायक आशा नौटियाल ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी हमारी पौराणिक परंपराएं जीवित हैं. पहाड़ के प्रत्येक व्यक्ति को इन्हें संजोने का प्रयास करना चाहिए. उन्होंने कहा कि पांडव नृत्य असत्य पर सत्य की जीत का द्योतक है. केदारघाटी में आयोजित पांडव नृत्य में अनेक परंपराओं निर्वहन करने में ग्रामीणों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है. पांडव नृत्य कमेटी अध्यक्ष विजय राणा ने सभी आगंतुकों का आभार प्रकट करते कहा कि आम जनमानस की सहभागिता से आयोजित पांडव नृत्य धीरे-धीरे समापन की ओर है. चक्रव्यूह का मंचन उत्सव ग्रुप निर्देशक राकेश भट्ट के निर्देशन में गढ़वाली में किया गया.
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