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इस दिन से शुरू हो रहा है चैत्र नवरात्र, यहां जानें तिथि, घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और महत्व - Chaitra Navratri 2024

Chaitra Navratri: हिंदू पंचांग के अनुसार 9 अप्रैल, मंगलवार से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. हिंदू धर्म में किसी भी धार्मिक अनुष्ठान से पहले कलश स्थापना की जाती है. नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ होती है. घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 7:30 से लेकर की 8:45 तक है. अभिजीत मुहूर्त में 12:15 से लेकर की 1:05 तक कलश स्थापना भी किया जा सकता है. पढ़ें पूरी खबर

चैत्र नवरात्र
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 8, 2024, 6:02 AM IST

पटना: चैत मास के शुक्ल पक्ष में कई अहम पर्व-त्योहार होंगे. इसमे चैत नवरात्र का आरंभ, चैती छठ, रामनवमी, कामदा एकादशी वत, चैत पूर्णिमा प्रमुख है. चैत शुक्ल प्रतिपदा नौ अप्रैल यानी मंगलवार को रेवती नक्षत्र व वैधृति योग में हिंदू नव संवत्सर का आरंभ और चैत नवरात्र कलश स्थापना के साथ शुरू होगा. नये संवत के प्रथम दिन मंगलवार होने से इस वर्ष के राजा मंगल होंगे.

जानें क्या है पूजा का शुभ मुहूर्तः चैत नवरात्रि की शुरुआत सर्वार्थ सिद्धि योग में होगी. इस नवरात्र में मां के नौ स्वरूप की पूजा होती है. आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 7:30 से लेकर की 8:45 तक है. अभिजीत मुहूर्त में 12:15 से लेकर की 1:05 तक कलश स्थापना भी किया जा सकता है.

चैत्र नवरात्र की पूजा: 09 अप्रैल घटस्थापना, मां शैलपुत्री की पूजा. 10 अप्रैल - मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, 11 अप्रैल-मां चंद्रघंटा की पूजा' 12 अप्रैल-मां कुष्मांडा की पूजा, 13 अप्रैल- मां स्कंदमाता की पूजा, 14 अप्रैल - मां कात्यायनी की पूजा, 15 अप्रैल- मां कालरात्रि की पूजा, 16 अप्रैल - मां महागौरी की पूजा, 17 अप्रैल - मां सिद्धिदात्री की पूजा, राम नवमी,

" 9 अप्रैल मंगलवार से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. नवरात्रि में नौ दिनों तक मां के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाती है. नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ होती है.नवरात्र में बहुत सारे भक्त 9 दिन फलहार पर रहते हैं. ऐसे में जो भक्त कलश स्थापना करके माता रानी की पूजा-अर्चना करते हैं. उनको लहसुन प्याज नहीं खाना चाहिए. दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ नित्य दिन करना चाहिए."- मनोज मिश्रा, आचार्य

कैसे करें कलश स्थापना: कलश स्थापना से पहले अपने घर को साफ सुथरा करे. स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूजा की शुरुआत करें. माता रानी का पूजा आरंभ करने से पहले गंगा की मिट्टी या शुद्ध जगह की मिट्टी रखकर मिट्टी पर एक कलश रखे.

नवरात्रि घटस्थापना सामग्री: कलश में पानी भरे, कलश में सिक्का, सुपारी, फूल, अक्षत और आम का पत्ता जरूर डालें. कलश स्थापना के पास मां दुर्गा की तस्वीर विराजमान करें. लाल रंग का कपड़ा, फल, फूल, माला, आम का पत्ता, लौंग, इलायची, चंदन, रोली, दही, मधु, घी अक्षत, थाली में सजा कर पूजा करें.

कुल देवी देवताओं का भी ध्यान करें: अपने समर्थ अनुसार फल मिठाई और गाय के दूध का पंचामृत बनाकर के माता रानी का भोग लगाए. माता रानी की पूजा-अर्चना के साथ-साथ अपने कुल देवी देवताओं का भी ध्यान धरे और इस तरफ पूजा अर्चना करने के बाद माता रानी का आरती उतारे.

घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा: नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में बहुत ही श्रद्धा,भक्ति और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. सनातन परंपरा में नवरात्र वर्ष में चार बार आते हैं जिसमें से एक चैत नवरात्र, शारदीय नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रि होते हैं. पंचांग के अनुसार इस बार चैत नवरात्र में मां दुर्गा का आगमन घोड़े पर हो रहा है, जिससे शासन और सत्ता पर इसका प्रभाव पड़ेगा.

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जानें क्या है पूजा का शुभ मुहूर्तः चैत नवरात्रि की शुरुआत सर्वार्थ सिद्धि योग में होगी. इस नवरात्र में मां के नौ स्वरूप की पूजा होती है. आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 7:30 से लेकर की 8:45 तक है. अभिजीत मुहूर्त में 12:15 से लेकर की 1:05 तक कलश स्थापना भी किया जा सकता है.

चैत्र नवरात्र की पूजा: 09 अप्रैल घटस्थापना, मां शैलपुत्री की पूजा. 10 अप्रैल - मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, 11 अप्रैल-मां चंद्रघंटा की पूजा' 12 अप्रैल-मां कुष्मांडा की पूजा, 13 अप्रैल- मां स्कंदमाता की पूजा, 14 अप्रैल - मां कात्यायनी की पूजा, 15 अप्रैल- मां कालरात्रि की पूजा, 16 अप्रैल - मां महागौरी की पूजा, 17 अप्रैल - मां सिद्धिदात्री की पूजा, राम नवमी,

" 9 अप्रैल मंगलवार से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. नवरात्रि में नौ दिनों तक मां के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाती है. नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ होती है.नवरात्र में बहुत सारे भक्त 9 दिन फलहार पर रहते हैं. ऐसे में जो भक्त कलश स्थापना करके माता रानी की पूजा-अर्चना करते हैं. उनको लहसुन प्याज नहीं खाना चाहिए. दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ नित्य दिन करना चाहिए."- मनोज मिश्रा, आचार्य

कैसे करें कलश स्थापना: कलश स्थापना से पहले अपने घर को साफ सुथरा करे. स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूजा की शुरुआत करें. माता रानी का पूजा आरंभ करने से पहले गंगा की मिट्टी या शुद्ध जगह की मिट्टी रखकर मिट्टी पर एक कलश रखे.

नवरात्रि घटस्थापना सामग्री: कलश में पानी भरे, कलश में सिक्का, सुपारी, फूल, अक्षत और आम का पत्ता जरूर डालें. कलश स्थापना के पास मां दुर्गा की तस्वीर विराजमान करें. लाल रंग का कपड़ा, फल, फूल, माला, आम का पत्ता, लौंग, इलायची, चंदन, रोली, दही, मधु, घी अक्षत, थाली में सजा कर पूजा करें.

कुल देवी देवताओं का भी ध्यान करें: अपने समर्थ अनुसार फल मिठाई और गाय के दूध का पंचामृत बनाकर के माता रानी का भोग लगाए. माता रानी की पूजा-अर्चना के साथ-साथ अपने कुल देवी देवताओं का भी ध्यान धरे और इस तरफ पूजा अर्चना करने के बाद माता रानी का आरती उतारे.

घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा: नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में बहुत ही श्रद्धा,भक्ति और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. सनातन परंपरा में नवरात्र वर्ष में चार बार आते हैं जिसमें से एक चैत नवरात्र, शारदीय नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रि होते हैं. पंचांग के अनुसार इस बार चैत नवरात्र में मां दुर्गा का आगमन घोड़े पर हो रहा है, जिससे शासन और सत्ता पर इसका प्रभाव पड़ेगा.

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