पटना: संसदीय कार्य और विधायी कार्य के महत्व को जनता तक पहुंचाने के लिए बिहार की राजधानी पटना में अहम बैठक का आयोजन किया गया है. अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों की 85वीं बैठक में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने शिरकत की है. इसके साथ ही इस आयोजन में देश के कई राज्यों के विधानसभा अध्यक्षों ने हिस्सा लिया. छत्तीसगढ़ के विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह भी इस आयोजन में शामिल हुए. उन्होंने इस दौरान ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस आयोजन में विधानसभा और संसद में विधायी कार्यों को मजबूत करने पर मुख्य चर्चा हुई.
सदन में डिबेट सार्थक होना चाहिए: ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह ने कहा कि विधायी कार्यों में ज्यादा से ज्यादा डिबेट होना चाहिए. हर चीज पर बातचीत होनी चाहिए. बजट निर्माण से लेकर अन्य कानून और जनता के हितों के लिए लॉ बनाने का काम विधानसभा और लोकसभा और राज्यसभा करती है. संविधान में जो अधिकार विधायकों और सांसदों को मिले हैं इसका सार्थक उपयोग होना चाहिए. सभी सदस्यों को इसका पालन करना चाहिए.
सदस्य जितना डिबेट में भाग लेंगे, उतना ही जनता के बीच में वह जाएंगे. उतना ही वह पेपर में आएंगे, हंगामा करने से समाचार नहीं बनता है. आप किसी गंभीर विषय को बोलते हो तो वह क्षेत्र में जाता है. डिबेट से मुद्दे सुलझते हैं, हंगामा करने से मुद्दे नहीं सुलझते- रमन सिंह, विधानसभा अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ विधानसभा
विधायी कार्यों के लिए पोर्टल: आने वाले दिनों में विधानसभा और लोकसभा के विधायी कार्यों और डिबेट को दिखाने के लिए पोर्टल बनाया जा रहा है. इस पर रमन सिंह ने कहा कि यह अच्छा कदम है. इससे लोगों को और राजनेताओं को कम समय में सारी जानकारी मिल जाएगी. किस विषय के डिबेट में क्या हुआ और क्या क्या चर्चा हुई. इसको सब देख सकेंगे. यह पूरे देश के हर विधानसभा में हो रहा है. उनके जो पुराने महत्वपूर्ण भाषणों और डिबेट लोगों को आसानी से मिल सकेगी.
सीएम और विधानसभा अध्यक्ष के कार्यों में कितना अंतर?: रमन सिंह से ईटीवी भारत ने सवाल किया कि आप सीएम रह चुके हैं. उसके बाद अब विधानसभा अध्यक्ष बने हैं. दोनों पद के कार्यों में कितना अंतर है. इस पर रमन सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री का अलग अनुभव होता है. अध्यक्ष का एक अलग अनुभव होता है. इसमें पक्ष विपक्ष को साथ में लेकर चलना पड़ता है. मुख्यमंत्री को सरकार चलाना पड़ता है. दायित्व बदलता रहता है.