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मोदी सरकार से 9000 करोड़ मांग रहा हिमाचल, लेकिन वित्त मंत्रालय लगा रहा शर्तें, अब टूट रही सुक्खू सरकार की आस

हिमाचल सरकार ने पोस्ट डिजास्टर नीड्स असेसमेंट के तहत केंद्र से 9000 करोड़ की मांग की है. जिसमें वित्त मंत्रालय ने नई शर्तें जोड़ी हैं.

CM Sukhvinder Singh Sukhu
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (File Photo)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 3 hours ago

शिमला: हर साल मानसून सीजन में भारी बरसात हिमाचल को गहरे जख्म देती है. वर्ष 2023 में तो हिमाचल में अभूतपूर्व नुकसान हुआ था. इस साल भी मानसून सीजन ने हिमाचल में जान-माल का भारी नुकसान किया है. आपदा से निपटने के लिए हिमाचल सरकार केंद्र की तरफ से उदार मुआवजे की आस में रहती है, लेकिन पिछले साल आई भयावह आपदा के जख्म भरने को पोस्ट डिजास्टर नीड्स असेसमेंट यानी पीडीएनए के तहत हिमाचल की तरफ से मांगे गए 9000 करोड़ रुपए से अधिक मुआवजे को लेकर वित्त मंत्रालय ने शर्तें लगा दी हैं.

वित्त विभाग ने जोड़ी ये 2 नई शर्तें

हिमाचल सरकार के मुख्य सचिव पीडीएनए को लेकर केंद्र सरकार के गृह सचिव से मीटिंग के लिए गए थे. हिमाचल सरकार की तरफ से दिए गए दस्तावेजों और मुआवजे के क्लेम आदि को लेकर गृह मंत्रालय ने मामला वित्त मंत्रालय को भेजा था. अब वित्त मंत्रालय ने इसमें दो शर्तें जोड़ दी हैं. इन शर्तों के कारण हिमाचल जिस रूप में मदद चाहता था, वो आस पूरी होती नहीं दिख रही है. वित्त मंत्रालय का कहना है कि नियमों के अनुसार केंद्र आपदा प्रभावित परिवारों को पीडीएनए के तहत मुआवजा नहीं देगा. कारण ये है कि ये मुआवजा एसडीआरएफ यानी स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड के तहत देय है. वहीं, दूसरी शर्त ये है कि राज्य सरकार ने जिन विभागों के नुकसान का ब्यौरा देकर मुआवजा क्लेम किया है, उसके लिए प्रभावित सरकारी योजनाओं का पूरा विवरण दिया जाए. यानी राज्य सरकार को केंद्रीय वित्त मंत्रालय को प्रभावित सरकारी विभागों की योजनाओं जैसे सिंचाई योजनाएं, पेयजल योजनाएं, सड़कों, पुलों आदि को हुए नुकसान की राजस्व डिटेल भेजनी होगी. इस तरह प्रोसेस और लंबा हो जाएगा.

हिमाचल ने मांगे हैं 9000 करोड़ रुपए

पिछले साल 2023 में हिमाचल में मानसून सीजन के दौरान जान और माल की भारी क्षति हुई थी. विभिन्न हादसों में 500 से अधिक लोगों की जान गई थी. साथ ही सरकारी संपत्ति को 9700 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ था. सिंचाई योजना, पेयजल योजना, सड़कों, पुलों व बिजली विभाग को भारी नुकसान झेलना पड़ा था. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसे सदी की सबसे भयावह आपदा बताया था. कुल्लू, शिमला, सोलन, मंडी आदि जिलों में भारी नुकसान हुआ था. इसके अलावा कच्चे व पक्के करीब 2944 घर पूरी तरह ध्वस्त हो गए थे और 12304 मकानों को नुकसान हुआ था. करीब 7250 गोशालाएं नष्ट हो गई थीं. पीड़ा का आलम ये था कि 14 अगस्त 2023 को एक ही दिन में राज्य में 55 लोगों की मौत हुई थी. इसमें शिमला के शिव बावड़ी मंदिर में 20 लोग जान गंवा बैठे थे. कुल 509 लोगों की मौत हुई, जिसमें से 204 लोग सड़क हादसों का शिकार हुए थे. लोक निर्माण विभाग को 2949 करोड़ व जलशक्ति विभाग को 2419 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था. इसे देखते हुए राज्य सरकार ने पीडीएनए के तहत 9000 करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग की थी. केंद्रीय टीमों ने भी आपदा का आकलन किया था.

अब क्या है स्थितियां?

केंद्रीय वित्त मंत्रालय की दो आपत्तियों के बाद अब राज्य सरकार को जलशक्ति विभाग में हुए नुकसान की भरपाई की उम्मीद है. राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से 4500 करोड़ रुपए का फंड तैयार किया था. उससे प्रभावितों को मकान आदि बनाने के लिए राहत दी जा रही है. राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जो पैसा दिया था, उसकी री-इंबर्समेंट भी क्लेम की थी, लेकिन उसके लिए भी केंद्र सरकार से कोल्ड रिस्पांस मिला है. ऐसे में राज्य सरकार नए सिरे से प्रस्ताव बनाकर भी केंद्र से मदद का आग्रह कर सकती है. कुल मिलाकर स्थितियां ये हैं कि हिमाचल को 2023 में आई आपदा में हुए नुकसान पर केवल सरकारी विभागों की क्षति पर ही मदद मिलने के आसार हैं. उसके लिए भी ब्यौरा देना होगा. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से आपदा प्रभावितों की मदद का प्रयास किया है. केंद्र सरकार को पीडीएनए के तहत हिमाचल की उदार सहायता करनी चाहिए. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि जब आसाम, उत्तराखंड को मदद दी जा सकती है तो हिमाचल को भी मिलनी चाहिए.

वरिष्ठ मीडिया कर्मी ओपी वर्मा का कहना है, "आपदा प्रभावित पहाड़ी राज्यों को मदद का तरीका अन्य राज्यों से अलग होना चाहिए. पहाड़ी राज्यों को उदार सहायता मिलनी चाहिए."

ये भी पढ़ें: घाटे में फंसे पर्यटन निगम ने सरकारी विभागों से लेने हैं ₹4.13 करोड़, HC ने कहा-48 घंटे के भीतर भुगतान की मांग करे निगम

ये भी पढ़ें: हिमाचल में कांग्रेस ने कौन सी 10 गारंटियां दी थी ?

शिमला: हर साल मानसून सीजन में भारी बरसात हिमाचल को गहरे जख्म देती है. वर्ष 2023 में तो हिमाचल में अभूतपूर्व नुकसान हुआ था. इस साल भी मानसून सीजन ने हिमाचल में जान-माल का भारी नुकसान किया है. आपदा से निपटने के लिए हिमाचल सरकार केंद्र की तरफ से उदार मुआवजे की आस में रहती है, लेकिन पिछले साल आई भयावह आपदा के जख्म भरने को पोस्ट डिजास्टर नीड्स असेसमेंट यानी पीडीएनए के तहत हिमाचल की तरफ से मांगे गए 9000 करोड़ रुपए से अधिक मुआवजे को लेकर वित्त मंत्रालय ने शर्तें लगा दी हैं.

वित्त विभाग ने जोड़ी ये 2 नई शर्तें

हिमाचल सरकार के मुख्य सचिव पीडीएनए को लेकर केंद्र सरकार के गृह सचिव से मीटिंग के लिए गए थे. हिमाचल सरकार की तरफ से दिए गए दस्तावेजों और मुआवजे के क्लेम आदि को लेकर गृह मंत्रालय ने मामला वित्त मंत्रालय को भेजा था. अब वित्त मंत्रालय ने इसमें दो शर्तें जोड़ दी हैं. इन शर्तों के कारण हिमाचल जिस रूप में मदद चाहता था, वो आस पूरी होती नहीं दिख रही है. वित्त मंत्रालय का कहना है कि नियमों के अनुसार केंद्र आपदा प्रभावित परिवारों को पीडीएनए के तहत मुआवजा नहीं देगा. कारण ये है कि ये मुआवजा एसडीआरएफ यानी स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड के तहत देय है. वहीं, दूसरी शर्त ये है कि राज्य सरकार ने जिन विभागों के नुकसान का ब्यौरा देकर मुआवजा क्लेम किया है, उसके लिए प्रभावित सरकारी योजनाओं का पूरा विवरण दिया जाए. यानी राज्य सरकार को केंद्रीय वित्त मंत्रालय को प्रभावित सरकारी विभागों की योजनाओं जैसे सिंचाई योजनाएं, पेयजल योजनाएं, सड़कों, पुलों आदि को हुए नुकसान की राजस्व डिटेल भेजनी होगी. इस तरह प्रोसेस और लंबा हो जाएगा.

हिमाचल ने मांगे हैं 9000 करोड़ रुपए

पिछले साल 2023 में हिमाचल में मानसून सीजन के दौरान जान और माल की भारी क्षति हुई थी. विभिन्न हादसों में 500 से अधिक लोगों की जान गई थी. साथ ही सरकारी संपत्ति को 9700 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ था. सिंचाई योजना, पेयजल योजना, सड़कों, पुलों व बिजली विभाग को भारी नुकसान झेलना पड़ा था. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसे सदी की सबसे भयावह आपदा बताया था. कुल्लू, शिमला, सोलन, मंडी आदि जिलों में भारी नुकसान हुआ था. इसके अलावा कच्चे व पक्के करीब 2944 घर पूरी तरह ध्वस्त हो गए थे और 12304 मकानों को नुकसान हुआ था. करीब 7250 गोशालाएं नष्ट हो गई थीं. पीड़ा का आलम ये था कि 14 अगस्त 2023 को एक ही दिन में राज्य में 55 लोगों की मौत हुई थी. इसमें शिमला के शिव बावड़ी मंदिर में 20 लोग जान गंवा बैठे थे. कुल 509 लोगों की मौत हुई, जिसमें से 204 लोग सड़क हादसों का शिकार हुए थे. लोक निर्माण विभाग को 2949 करोड़ व जलशक्ति विभाग को 2419 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था. इसे देखते हुए राज्य सरकार ने पीडीएनए के तहत 9000 करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग की थी. केंद्रीय टीमों ने भी आपदा का आकलन किया था.

अब क्या है स्थितियां?

केंद्रीय वित्त मंत्रालय की दो आपत्तियों के बाद अब राज्य सरकार को जलशक्ति विभाग में हुए नुकसान की भरपाई की उम्मीद है. राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से 4500 करोड़ रुपए का फंड तैयार किया था. उससे प्रभावितों को मकान आदि बनाने के लिए राहत दी जा रही है. राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जो पैसा दिया था, उसकी री-इंबर्समेंट भी क्लेम की थी, लेकिन उसके लिए भी केंद्र सरकार से कोल्ड रिस्पांस मिला है. ऐसे में राज्य सरकार नए सिरे से प्रस्ताव बनाकर भी केंद्र से मदद का आग्रह कर सकती है. कुल मिलाकर स्थितियां ये हैं कि हिमाचल को 2023 में आई आपदा में हुए नुकसान पर केवल सरकारी विभागों की क्षति पर ही मदद मिलने के आसार हैं. उसके लिए भी ब्यौरा देना होगा. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से आपदा प्रभावितों की मदद का प्रयास किया है. केंद्र सरकार को पीडीएनए के तहत हिमाचल की उदार सहायता करनी चाहिए. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि जब आसाम, उत्तराखंड को मदद दी जा सकती है तो हिमाचल को भी मिलनी चाहिए.

वरिष्ठ मीडिया कर्मी ओपी वर्मा का कहना है, "आपदा प्रभावित पहाड़ी राज्यों को मदद का तरीका अन्य राज्यों से अलग होना चाहिए. पहाड़ी राज्यों को उदार सहायता मिलनी चाहिए."

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