उत्तरकाशी: धनारी और गमरी पट्टी का केंद्र बिंदु करीब दो हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित बेडथात में हुण और नागराजा देवता का दूधगाडू मेले का भव्य आयोजन किया गया. वहीं इस मौके पर देवताओं के पश्वों ने ग्रामीणों की ओर से लाए गए दूध-दही और मक्खन से स्नान कर उन्हें आशीर्वाद दिया.
बेडथात में आयोजित दूधगाडू मेले में धनारी समेत गमरी पट्टी के सैकड़ों ग्रामीण जुटे. इसके बाद वहां पर हुण और नागराजा देवता समेत अन्य वन देवी-देवताओं की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की गई. इसके साथ ही ग्रामीणों ने देवताओं के स्नान के लिए दूध-दही और मक्खन लेकर पहुंचे. उसके बाद देवताओं ने इन सभी भेंट को स्वीकार करते हुए देवपश्वों ने स्नान किया. वहीं ग्रामीणों ने इस दौरान अपनी फसलों समेत मवेशियों की सुख समृद्धि की कामना भी की. इस मेले के लिए ग्रामीणों ने दो दिन पूर्व ही अपने घरों में दूध और दही समेत मक्खन एकत्रित करना शुरू कर देते हैं. उसके बाद मेले के दिन बेडथात में अपने साथ दूध लेकर पहुंचते हैं.
मान्यता है कि सेम-मुखेम के वीर भड़ गंगू रमोला बेडथात में अपनी भैंसों को चराने पहुंचे थे. लेकिन उन्होंने वहां पर देवता की पुजाई नहीं दी थी. उसके बाद उसकी भैंसे पत्थर में तब्दील हो गई थी. देवदोष को भांपते हुए गंगू रमोला ने देवता को दूध और दही का भोग लगाया. उसके बाद से ग्रामीण यहां पर दूधगाडू मेले का आयेाजन करते हैं. धीरे-धीरे यह मेला भव्य रूप ले रहा है, जिसे अब ग्रामीण मिल्क फेस्टीवल का नाम भी दे रहे हैं. मेले के समापन के मौके पर ग्रामीणाों ने ढोल-दमाऊ की थाप पर रासो तांदी नृत्य का आयोजन किया.
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