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भिलाई में CBI का छापा, EPIL के तत्कालीन DGM और निजी कंपनी के खिलाफ चल रही कार्रवाई - Bhilai CBI Raid

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 28, 2024, 10:11 PM IST

सीबीआई ने भ्रष्टाचार के आरोप में ईपीआईएल भिलाई के तत्कालीन डीजीएम और एक निजी कंपनी के पार्टनर समेत दो आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया है. एफआईआर के बाद आरोपियों के ठिकानों पर सीबीआई की छापेमार कार्रवाई जारी है. इस केस में 84 करोड़ रुपए से ज्यादा का भ्रष्टाचार का आरोप है. बुधवार को सीबीआई ने भिलाई में रेड की कार्रवाई की.

Bhilai CBI Raid
भिलाई में CBI का छापा (ETV Bharat)

रायपुर : भिलाई स्टील प्लांट के लिए एक डील में भ्रष्टाचार के आरोप को लेकर सीबीआई ने केस दर्ज किया है. ईपीआईएल भिलाई के तत्कालीन डीजीएम और एक निजी कंपनी के पार्टनर समेत दो आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. सीबीई की टीम आरोपियों के ठिकानों पर छापा मारकर तलाशी कर रही है. CBI ने यूपी के बिजनौर और छत्तीसगढ़ के भिलाई में दोनों आरोपियों के आधिकारिक और आवासीय परिसरों में छापामार कार्रवाई की है.

ईपीआईएल को करोड़ों का नुकसान पहुंचाने का आरोप : आरोप है कि करोड़ रुपए से ज्यादा का गलत लाभ लेकर ईपीआईएल को आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया है. सीबीआई ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि, भिलाई इस्पात संयंत्र के भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड के अधीन और मेसर्स इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट इंडिया लिमिटेड भारत सरकार के उद्यम ने 30 अप्रैल 2010 को 5 अरब 50 करोड़ 82 लाख 87 हज़ार रुपये का एग्रीमेंट किया था. इससे भिलाई इस्पात संयंत्र में नए एचपी भाग (पैकेज 61) के साथ कच्चे माल की प्राप्ति और हैंडलिंग सुविधाओं के विस्तार की स्थापना की जानी थी.

इस काम के लिए ईपीआईएल कंपनी, जो विभिन्न क्षेत्र विशेष रूप से इस्पात और बिजली के क्षेत्र में परियोजनाओं के निष्पादन के लिए भारत सरकार की कंपनी है, ने पीकेजी 61 के तहत सिविल निर्माण कार्यों के लिए कई एनआईटी निविदा आमंत्रण की सूचना जारी की थी. आरोपी पार्टनर के फर्म सहित कई कंपनियों और फर्मों को अलग-अलग पीकेजी 61 के सिविल निर्माण के कार्य आवंटित किए थे.

कैसे किया गया है भ्रष्टाचार : आरोप है कि इस कंपनी के पार्टनर ने जाली गेट मटेरियल एंट्री चालान (जिसे फार्म सीआईएसएफ 157 के नाम से जाना जाता है) और स्टोर इश्यूड स्लिप जाली चालान के साथ प्रस्तुत किया गया था. यह भी आरोप है कि सीआईएसएफ फार्म 157 को आरोपी उप महाप्रबंधक ईपीआईएल द्वारा सत्यापित किया गया था.

कार्य आदेशों की मूल्य अनुसूची के अनुसार reinforcement स्टील की आपूर्ति और रखने (placing) की दर कथित रूप से 70 हज़ार रुपए प्रति मैट्रिक टन तय की गई थी. इस प्रकार एक निजी फर्म के आरोपी पार्टनर ने जाली चालान प्रस्तुत कर कथित रूप से 84 लाख 5 हज़ार 880 रुपये का लाभ प्राप्त किया और ईपीआईएल को हानि पहुंचाई.

दोनों आरोपियों के ठिकानों पर सीबीआई का छापा : सीबीआई ने 2 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिसमें पहला आरोपी इंतखाब आलम तात्कालीन डीजीएम ईपीआईएल भिलाई, निवासी धामपुर हुसैनपुर जिला बिजनौर उत्तर प्रदेश का रहने वाला है. वहीं दूसरा आरोपी मनोज कुमार सोनी, जो मेसर्स एसपीएस कंस्ट्रक्शन और इंजीनियरिंग वर्क्स के साझेदार हैं. ये कोहका भिलाई छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं. इनके ठिकानों पर बुधवार को सीबीआई ने छापामार कार्रवाई की है.

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ईपीआईएल को करोड़ों का नुकसान पहुंचाने का आरोप : आरोप है कि करोड़ रुपए से ज्यादा का गलत लाभ लेकर ईपीआईएल को आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया है. सीबीआई ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि, भिलाई इस्पात संयंत्र के भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड के अधीन और मेसर्स इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट इंडिया लिमिटेड भारत सरकार के उद्यम ने 30 अप्रैल 2010 को 5 अरब 50 करोड़ 82 लाख 87 हज़ार रुपये का एग्रीमेंट किया था. इससे भिलाई इस्पात संयंत्र में नए एचपी भाग (पैकेज 61) के साथ कच्चे माल की प्राप्ति और हैंडलिंग सुविधाओं के विस्तार की स्थापना की जानी थी.

इस काम के लिए ईपीआईएल कंपनी, जो विभिन्न क्षेत्र विशेष रूप से इस्पात और बिजली के क्षेत्र में परियोजनाओं के निष्पादन के लिए भारत सरकार की कंपनी है, ने पीकेजी 61 के तहत सिविल निर्माण कार्यों के लिए कई एनआईटी निविदा आमंत्रण की सूचना जारी की थी. आरोपी पार्टनर के फर्म सहित कई कंपनियों और फर्मों को अलग-अलग पीकेजी 61 के सिविल निर्माण के कार्य आवंटित किए थे.

कैसे किया गया है भ्रष्टाचार : आरोप है कि इस कंपनी के पार्टनर ने जाली गेट मटेरियल एंट्री चालान (जिसे फार्म सीआईएसएफ 157 के नाम से जाना जाता है) और स्टोर इश्यूड स्लिप जाली चालान के साथ प्रस्तुत किया गया था. यह भी आरोप है कि सीआईएसएफ फार्म 157 को आरोपी उप महाप्रबंधक ईपीआईएल द्वारा सत्यापित किया गया था.

कार्य आदेशों की मूल्य अनुसूची के अनुसार reinforcement स्टील की आपूर्ति और रखने (placing) की दर कथित रूप से 70 हज़ार रुपए प्रति मैट्रिक टन तय की गई थी. इस प्रकार एक निजी फर्म के आरोपी पार्टनर ने जाली चालान प्रस्तुत कर कथित रूप से 84 लाख 5 हज़ार 880 रुपये का लाभ प्राप्त किया और ईपीआईएल को हानि पहुंचाई.

दोनों आरोपियों के ठिकानों पर सीबीआई का छापा : सीबीआई ने 2 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिसमें पहला आरोपी इंतखाब आलम तात्कालीन डीजीएम ईपीआईएल भिलाई, निवासी धामपुर हुसैनपुर जिला बिजनौर उत्तर प्रदेश का रहने वाला है. वहीं दूसरा आरोपी मनोज कुमार सोनी, जो मेसर्स एसपीएस कंस्ट्रक्शन और इंजीनियरिंग वर्क्स के साझेदार हैं. ये कोहका भिलाई छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं. इनके ठिकानों पर बुधवार को सीबीआई ने छापामार कार्रवाई की है.

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