भोपाल: पश्चिम बंगाल के बाद अब मध्य प्रदेश में भी सीबीआई बिना अनुमति जांच नहीं कर सकेगी. मध्य प्रदेश सरकार ने बिना राज्य सरकार की अनुमति लिए प्रदेश में जांच करने पर रोक लगा दी है. प्रदेश सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है. दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम की धारा 3 का हवाला देते हुए कहा गया है कि 'मध्य प्रदेश सरकार के किसी भी कर्मचारी से जुड़े मामलों में जांच और कार्रवाई से पहले सीबीआई को पहले राज्य सरकार से लिखित अनुमति लेनी होगी.' पश्चिम बंगाल के मामले में पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में कहा था कि 'जब राज्य सरकार ने सीबीआई जांच के लिए दी गई परमीशन को वापस ले लिया तो फिर एजेंसी वहां के मामलों में केस क्यों दर्ज कर रही है'.
केन्द्रीय कर्मचारियों पर कर कार्रवाई के पहले अनुमति जरूरी नहीं
मध्य प्रदेश के कर्मचारियों पर कार्रवाई के लिए सीबीआई को भले ही अनुमति जरूरी हो, लेकिन मध्य प्रदेश के अंदर केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के कर्मचारी अधिकारियों पर कार्रवाई करने के लिए सीबीआई स्वतंत्र रहेगी. सीबीआई को इन पर कार्रवाई करने से पहले राज्य सरकार से अनुमति की जरूरत नहीं होगी. इसके साथ ही सीबीआई केन्द्रीय कर्मचारियों और केन्द्रीय उपक्रम के साथ काम करने वाले मध्य प्रदेश के निजी व्यक्तियों पर भी कार्रवाई कर सकेगी. इसके लिए सीबीआई को मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से अनुमति दे दी गई है.
सीबीआई को ऐसे मिलते हैं केस
दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की धारा 2 और धारा 3 में सीबीआई की शक्तियों और अधिकार क्षेत्र के बारे में बताया गया है. इसमें कहा गया है कि सीबीआई सिर्फ केन्द्र शासित प्रदेशों में जांच और कार्रवाई कर सकती है. किसी राज्य में जांच शुरू करने से पहले सीबीआई को दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत राज्य सरकार से अनुमति लेनी होती है. देखा जाए तो सीबीआई को राज्यों से जुड़े मामलों की जांच के अधिकार कई अलग प्रक्रिया होती है.
- यदि राज्य सरकार खुद किसी मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई जांच कराने के लिए केन्द्र सरकार से आग्रह करे. जैसा मध्य प्रदेश में व्यापमं परीक्षा फर्जीवाड़े और शेहला मसूद हत्याकांड के मामले में किया था.
- यदि किसी मामले की सुनवाई हाईकोर्ट और सीबीआई में चल रही हो और कोर्ट अपने स्तर पर जांच सीबीआई से कराने के आदेश जारी कर दे. ऐसा मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेज की मान्यता के मामले में हुआ है. इसमें हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई से कराने के आदेश दिए हैं.
- केन्द्र सरकार किसी मामले की गंभीरता को देखते हुए खुद सीबीआई से जांच कराने के आदेश जारी कर दे.