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मुर्गा खाकर लोन नहीं देने के मामले में मैनेजर को क्लीन चिट, प्रार्थी बोला जांच से नहीं हूं संतुष्ट - BILASPUR BRIBERY CASE

Bilaspur Bribery Case मुर्गा खाकर लोन ना देने के आरोपों में बैंक मैनेजर को क्लीन चिट मिली है

CLEAN CHIT TO MANAGER
मुर्गा खाकर लोन नहीं देने के मामले में मैनेजर को क्लीन चिट (ETV BHARAT CHHATTISGARH)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 17, 2024, 7:18 PM IST

Updated : Dec 17, 2024, 9:11 PM IST

बिलासपुर : मुर्गा खाकर लोन नहीं देने के मामले में नया मोड़ आ गया है.बैंक प्रबंधन ने जब इस मामले की जांच करवाई तो मुर्गा खाकर लोन नहीं देने के एवज में प्रार्थी किसी भी तरह का कोई डॉक्यूमेंट प्रस्तुत नहीं कर सका. इसके बाद जब बैंक ने सूचना निकालकर अपना पक्ष रखा. प्रार्थी बैंक अधिकारी के रिपोर्ट सौंपने से पहले कलेक्टर ऑफिस के पास धरने पर बैठा था. उसके बाद उसे पुलिस ने हिरासत में लिया. अब प्रशासन ने इस मसले पर अपना पक्ष रखा है. प्रार्थी का कहना है कि अधिकारी हमेशा अधिकारी का ही साथ देंगे.मुझे अब भी न्याय की उम्मीद है.

बैंक प्रबंधन ने करवाई है जांच : इस मामले में प्रशासन के अधिकारिक ग्रुप मे एक प्रेस रिलीज जारी हुआ है. जिसमें बताया गया है कि मस्तूरी विकासखण्ड के ग्राम सरगंवा निवासी रूपचंद मनहर ने एसबीआई मस्तुरी शाखा प्रबंधक पर मुर्गा खाकर भी लोन स्वीकृत नहीं करने का आरोप लगाया था. क्षेत्रीय बैंक प्रबंधक ने उनकी शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच कराई. शिकायत कर्ता से बात की गई. जिसमें रुपचंद मनहर ने अपनी शिकायत के संबंध में कोई प्रमाण और विवरण प्रस्तुत नहीं किया. शाखा प्रबंधक ने भी आरोपों को निराधार बताया है. जांच रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई है कि उनका ऋण आवेदन पूर्व में ही अस्वीकृत किया जा चुका है. इसके पहले मनहर के बेटे और बेटी को भी पृथक-पृथक लोन स्वीकृत किया गया था. वर्तमान में एक ऋण राइट ऑफ और दूसरा एनपीए की हालत में है.

Case of eating chicken as bribe
मुर्गा खाकर लोन नहीं देने के मामले में क्लीन चिट (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

रुपचंद मनहर ने जांच को बताया गलत : इस मामले में जब ईटीवी भारत ने रूपचंद मनहर से फोन पर जानकारी लेनी चाही तो उन्होने कहा कि मैं प्रशासन को सूचना देकर कलेक्ट्रेट के सामने धरने पर बैठा था. इसी बीच सिविल लाइन पुलिस पहुंची और मुझे उठाकर थाने ले आई. हालांकि मुझे कुछ समय बाद छोड़ दिया गया.

अधिकारियों ने जो जांच रिपोर्ट सौपी है उससे मैं संतुष्ट नहीं हूं. मैं अगर 420 काम करता तो पुलिस मुझे तुरंत गिरफ्तार कर लेती. लेकिन वो अधिकारी हैं इसलिए अधिकारी तो अधिकारी का ही साथ देगे. अभी भी मुझे न्याय मिलने की उम्मीद है- रुपचंद मनहर, प्रार्थी

क्या है पूरा मामला ?: आपको बता दें कि मस्तूरी क्षेत्र के सरगंवा निवासी रूपचंद मनहर का मस्तूरी तहसील कार्यालय के पास छोटा सा पोल्ट्री फार्म है. रुपचंद मनहर को व्यवसाय बढ़ाने के लिए 12 लाख लोन की जरुरत पड़ी.जिसके लिए उसने एसबीआई में आवेदन किया.लेकिन अधिकारियों ने डॉक्यूमेंट की कमी बताकर आवेदन लौटा दिया. फिर रुपचंद ने जरुरी दस्तावेज पूरे करके मैनेजर सुमंत चौधरी से मुलाकात की. रुपचंद के मुताबिक सुमंत ने लोन पास करने के लिए कमीशन और हर सप्ताह मुर्गा खिलाने की डिमांड की. जिस पर रुपचंद ने 38 हजार 800 का देसी मुर्गा मैनेजर को खिलाया.लेकिन इसके बाद भी ना लोन पास हुआ और ना ही मुर्गा का पैसा मिला. परेशान होकर रूपचंद मनहर ने कलेक्ट्रेट में न्याय की गुहार लगाई और धरने पर बैठ गया. जिसे सिविल लाइन पुलिस ने हिरासत में ले लिया.लेकिन कुछ देर बाद उसे समझाकर छोड़ दिया.

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बिलासपुर : मुर्गा खाकर लोन नहीं देने के मामले में नया मोड़ आ गया है.बैंक प्रबंधन ने जब इस मामले की जांच करवाई तो मुर्गा खाकर लोन नहीं देने के एवज में प्रार्थी किसी भी तरह का कोई डॉक्यूमेंट प्रस्तुत नहीं कर सका. इसके बाद जब बैंक ने सूचना निकालकर अपना पक्ष रखा. प्रार्थी बैंक अधिकारी के रिपोर्ट सौंपने से पहले कलेक्टर ऑफिस के पास धरने पर बैठा था. उसके बाद उसे पुलिस ने हिरासत में लिया. अब प्रशासन ने इस मसले पर अपना पक्ष रखा है. प्रार्थी का कहना है कि अधिकारी हमेशा अधिकारी का ही साथ देंगे.मुझे अब भी न्याय की उम्मीद है.

बैंक प्रबंधन ने करवाई है जांच : इस मामले में प्रशासन के अधिकारिक ग्रुप मे एक प्रेस रिलीज जारी हुआ है. जिसमें बताया गया है कि मस्तूरी विकासखण्ड के ग्राम सरगंवा निवासी रूपचंद मनहर ने एसबीआई मस्तुरी शाखा प्रबंधक पर मुर्गा खाकर भी लोन स्वीकृत नहीं करने का आरोप लगाया था. क्षेत्रीय बैंक प्रबंधक ने उनकी शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच कराई. शिकायत कर्ता से बात की गई. जिसमें रुपचंद मनहर ने अपनी शिकायत के संबंध में कोई प्रमाण और विवरण प्रस्तुत नहीं किया. शाखा प्रबंधक ने भी आरोपों को निराधार बताया है. जांच रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई है कि उनका ऋण आवेदन पूर्व में ही अस्वीकृत किया जा चुका है. इसके पहले मनहर के बेटे और बेटी को भी पृथक-पृथक लोन स्वीकृत किया गया था. वर्तमान में एक ऋण राइट ऑफ और दूसरा एनपीए की हालत में है.

Case of eating chicken as bribe
मुर्गा खाकर लोन नहीं देने के मामले में क्लीन चिट (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

रुपचंद मनहर ने जांच को बताया गलत : इस मामले में जब ईटीवी भारत ने रूपचंद मनहर से फोन पर जानकारी लेनी चाही तो उन्होने कहा कि मैं प्रशासन को सूचना देकर कलेक्ट्रेट के सामने धरने पर बैठा था. इसी बीच सिविल लाइन पुलिस पहुंची और मुझे उठाकर थाने ले आई. हालांकि मुझे कुछ समय बाद छोड़ दिया गया.

अधिकारियों ने जो जांच रिपोर्ट सौपी है उससे मैं संतुष्ट नहीं हूं. मैं अगर 420 काम करता तो पुलिस मुझे तुरंत गिरफ्तार कर लेती. लेकिन वो अधिकारी हैं इसलिए अधिकारी तो अधिकारी का ही साथ देगे. अभी भी मुझे न्याय मिलने की उम्मीद है- रुपचंद मनहर, प्रार्थी

क्या है पूरा मामला ?: आपको बता दें कि मस्तूरी क्षेत्र के सरगंवा निवासी रूपचंद मनहर का मस्तूरी तहसील कार्यालय के पास छोटा सा पोल्ट्री फार्म है. रुपचंद मनहर को व्यवसाय बढ़ाने के लिए 12 लाख लोन की जरुरत पड़ी.जिसके लिए उसने एसबीआई में आवेदन किया.लेकिन अधिकारियों ने डॉक्यूमेंट की कमी बताकर आवेदन लौटा दिया. फिर रुपचंद ने जरुरी दस्तावेज पूरे करके मैनेजर सुमंत चौधरी से मुलाकात की. रुपचंद के मुताबिक सुमंत ने लोन पास करने के लिए कमीशन और हर सप्ताह मुर्गा खिलाने की डिमांड की. जिस पर रुपचंद ने 38 हजार 800 का देसी मुर्गा मैनेजर को खिलाया.लेकिन इसके बाद भी ना लोन पास हुआ और ना ही मुर्गा का पैसा मिला. परेशान होकर रूपचंद मनहर ने कलेक्ट्रेट में न्याय की गुहार लगाई और धरने पर बैठ गया. जिसे सिविल लाइन पुलिस ने हिरासत में ले लिया.लेकिन कुछ देर बाद उसे समझाकर छोड़ दिया.

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Last Updated : Dec 17, 2024, 9:11 PM IST
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