कोटा. ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह अजमेर के पूर्व सदर और आरसीए के पूर्व उपाध्यक्ष अमीन पठान के खिलाफ कोटा में पुलिस ने राजकार्य में बाधा का मुकदमा दर्ज किया है. इस मामले में उनकी पत्नी और पूर्व पार्षद रजिया पठान के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया है. साथ ही इस मामले में 10 से 15 अन्य आरोपी हैं. मामला वन विभाग के लाडपुरा रेंजर संजय नागर ने दर्ज करवाया है. यह वन विभाग की जमीन पर अतिक्रमण से जुड़ा मामला बताया जा रहा है. अमीन पठान ने विधानसभा चुनाव के पहले ही भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी.
वन विभाग के लाडपुरा रेंजर संजय नगर का कहना है कि वन विभाग की जगह का संयुक्त मौका फर्द रिपोर्ट के लिए अनंतपुरा इलाके में गए थे. जहां पर एक फार्म हाउस बना हुआ है. यह फार्म हाउस वन विभाग की जगह पर आना सामने आ रहा था. ऐसे में सीमांकन के लिए राजस्व विभाग पुलिस और नगर विकास न्यास की टीम के साथ मौके पर पहुंचे थे. यहां पर एक फॉर्म था. जिसमें यह सरकारी वन विभाग की जमीन पर बना हुआ था. तभी वहां पर इस फार्म हाउस के मालिक बनने वाले अमीन पठान और उनकी पत्नी रजिया पठान के साथ अन्य लोग आ गए. उन्होंने गालीगलौज की और राजकार्य में बाधा पहुंचाई. साथ ही मारपीट की धमकी दी और देख लेने की चेतावनी भी दी.
पढ़ें: डूंगरपुर विधायक गणेश घोघरा समेत 400 कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज, यहां जानिए पूरा मामला
इसके बाद हमने थाने में जाकर मुकदमा दर्ज करवाया. अनंतपुरा थानाधिकारी भूपेंद्र सिंह ने बताया कि उन्हें वन विभाग के लाडपुरा रेंजर संजय नागर ने लिखित रिपोर्ट दी थी. जिसमें बताया था कि सीमांकन के लिए वन विभाग की अनंतपुरा क्रेशर बस्ती के आसपास के एरिया में गए थे. जहां बाद में पत्थरगढ़ी करनी थी. इसके बाद विवाद हुआ था. जिसमें उनके साथ गालीगलौज और राजकार्य में बाधा पहुंचाई गई. सीआई भूपेंद्र सिंह का कहना है कि रेंजर संजय नागर की रिपोर्ट पर मुकदमा दर्ज कर लिया है. साथ ही इस मामले के अनुसंधान शुरू कर दिया है.
पढ़ें: सरपंच ने बीडीओ के जड़े थप्पड़, मोबाइल तोड़ा, वारदात सीसीटीवी में कैद, जानिए पूरा मामला
कोई मारपीट और गालीगलौज की नहीं हुई-अमीन पठान: कांग्रेस नेता अमीन पठान का कहना है कि इस मामले में किसी तरह की मारपीट और गाली गलौज नहीं हुई है. उनका कहना है कि टीम मौके पर आई थी. उन्होंने पूरा सर्वे कर लिया था. जब टीम जा रही थी, तब केवल यह पूछा गया था कि किसके आदेश से यह सर्वे हुआ है. आदेश की कॉपी टीम से मांगी गई थी. करीब 15 से 20 मिनट तक टीम ने आदेश की कॉपी नहीं उपलब्ध कराई. इसके बाद टीम के सदस्य वापस लौट गए थे. हमने किसी तरह के कोई गालीगलौज या मारपीट नहीं की है. यह पूरा घटनाक्रम भी सीसीटीवी में कैद है.