भरतपुर. आज कारगिल विजय दिवस का 25वां साल है. आज से 25 साल पहले 1999 में कारगिल युद्ध में भारत के वीर सपूतों ने पाकिस्तान की नापाक हरकत को नाकाम कर उसे धूल चटाई थी. कारगिल के युद्ध में भरतपुर के कैप्टन लेखराज सिंह ने भी अहम भूमिका निभाई थी. लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया की रेजीमेंट के साथी कारगिल के योद्धा कैप्टन लेखराज सिंह की पार्टी ने बजरंग पोस्ट पर छुपे दुश्मनों की रसद और गोला बारूद की सप्लाई रोक दी थी. दुश्मन के साथ 42 दिन तक कड़ा संघर्ष चला और दुश्मन को हराकर अपनी सरजमीं फिर से हासिल कर ली.
कारगिल के योद्धा कैप्टन लेखराज सिंह ने बताया कि कारगिल के सबसे नजदीक काकसर में उनकी 4th जाट रेजीमेंट तैनात थी. उस समय लद्दाखी चरवाहा नामग्याल अपने याक को ढूंढने गया तो उसे आजम चौकी के ऊपर लोग नजर आए. उसने 3 पंजाब रेजीमेंट को इसकी सूचना दी. उसके बाद 4th जाट रेजीमेंट को भी आदेश मिला कि अपनी बजरंग पोस्ट व अन्य वैकेट (सर्दियों में खाली रहने वाली) पोस्ट का पता करो कि वहां पर कोई दुश्मन तो नहीं है. उस समय प्वाइंट 5299 पर तैनात सेकंड लेफ्टिनेंट सौरभ कलिया अपने 5 जवानों के साथ बजरंग पोस्ट की तरफ चले, लेकिन वहां पहले से छुपे दुश्मनों ने अचानक उन पर फायरिंग कर दी और सभी को बंदी बना लिया. ऐसे में लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया से पलटन का संपर्क टूट गया.
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उसके बाद कमांडिंग आफिसर कर्नल मधुसूदन ने जयपुर के लेफ्टिनेंट भारद्वाज के साथ 20 जवानों की एक टुकड़ी सेकंड लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया का पता लगाने के लिए भेजी, लेकिन बजरंग पोस्ट पर छुपे दुश्मनों ने पहाड़ी की चढ़ाई कर रहे लेफ्टिनेंट भारद्वाज और उनकी टुकड़ी पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी, जिसमें खुद लेफ्टिनेंट भारद्वाज समेत पांच लोग शहीद हो गए थे. इसके बाद सभी जगह स्पष्ट हो गया कि पाकिस्तान ने भारत की कई वैकेट पोस्ट पर अनाधिकृत कब्जा कर लिया है.
कैप्टन लेखराज सिंह ने बताया कि वार डिक्लेयर होने के बाद मुझे सात जवानों के साथ कर्नल मधुसूदन ने पॉइंट 5299 टॉप की पोजीशन संभालने के लिए भेजा. यह पोस्ट बजरंग पोस्ट के पीछे की पोस्ट थी. वहां तक पहुंचने में कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. यह पूरी तरह से खुली पोस्ट थी और वहां पर बंकर आदि कुछ भी नहीं था. ऐसे में वहां पहुंचने के बाद एक चट्टान के नीचे से बर्फ हटाकर सभी जवानों के साथ पोजीशन ली.
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दो-दो जवानों को अलग-अलग दिशा में तैनात कर दिया. वहां से बजरंग पोस्ट पर कब्जा जमाए बैठे दुश्मन को पहुंचाई जाने वाली रसद का रास्ता साफ नजर आता था. हमारी टुकड़ी ने लगातार हमला कर दुश्मन तक पहुंचने वाली रसद, गोला बारूद को पूरी तरह से रोक दिया. इससे दुश्मन कमजोर पड़ गए. आखिर में राशन और गोला बारूद खत्म होने के बाद दुश्मन बजरंग पोस्ट को छोड़कर पीछे के रास्ते से भाग निकले और हमारी जाट रेजीमेंट ने बजरंग पोस्ट को वापस हासिल कर लिया.
कैप्टन लेखराज सिंह ने बताया कि 14 मई से 26 जून तक चले इस संघर्ष में उनकी रेजीमेंट के दो अधिकारी और 21 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे. कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के 527 जवानों को वीरगति प्राप्त हुई थी, जबकि 1400 जवान घायल हुए थे. वहीं, पाकिस्तान को इस युद्ध में भारी नुकसान उठाना पड़ा था. युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 4000 सैनिकों को मार गिराया था.