जयपुर. राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से बीते साल कराई गई तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा में सफल रहे एडीशनल सब्जेक्ट से स्नातक करने वाले अभ्यार्थियों को प्रोविजनल लिस्ट में रखा गया है. फाइनल रिजल्ट का इंतजार कर रहे अभ्यर्थियों ने सोमवार को राजस्थान विश्वविद्यालय में प्रदर्शन किया. हालांकि, पुलिस प्रशासन ने बल प्रयोग करते हुए अभ्यर्थियों को यहां से खदेड़ दिया, वहीं करीब सात अभ्यर्थियों को हिरासत में भी लिया.
बोर्ड ने तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा में एडीशनल सब्जेक्ट से स्नातक डिग्री पास करने वाले करीब 1000 अभ्यर्थियों को फाइनल रिजल्ट के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के इंतजार में प्रोविजनल लिस्ट में रखा है, जबकि ऐसी ही योग्यता रखने वाले अभ्यर्थियों का 2016 और 2018 में चयन कर नियुक्ति दे दी गई. अभ्यर्थियों ने राजस्थान विश्वविद्यालय में प्रोटेस्ट करते हुए कहा कि मामला तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2022 और द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2022 से जुड़ा है, जिसके तहत अभ्यर्थियों ने सरकारी विश्वविद्यालय से एडिशनल डिग्री हासिल कर परीक्षा दी.
इसे लेकर कर्मचारी चयन बोर्ड और आरपीएससी दोनों का ही मानना है कि शिक्षा विभाग से संबंधित कोर्ट केस है, जिसकी वजह से अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा और दस्तावेज सत्यापन के बाद भी अब प्रोविजनल कैंडिडेट के तौर पर कंसीडर किया गया है, लेकिन अब तक फाइनल सलेक्शन नहीं किया गया है. उन्हें कहा गया है कि फाइनल सिलेक्शन कोर्ट के एसएलपी के अधीन रहेगा, जबकि राजस्थान विश्वविद्यालय और अन्य सरकारी विश्वविद्यालय की एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट एडिशनल डिग्री धारी अभ्यर्थियों के फेवर में है. अभ्यर्थियों ने कहा कि न तो उनके ऊपर कोई केस है, न कोई फर्जी डिग्री है और सरकारी विश्वविद्यालय से पास आउट अभ्यर्थी हैं, फिर उन्हें क्यों अटकाया जा रहा है?.
इस संबंध में विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा है कि ये एडीशनल सब्जेक्ट की डिग्री सिर्फ ज्ञान अर्जन के लिए दी गई है. अभ्यर्थियों ने कहा कि ये बयान आहत करने वाला है, जबकि सभी सरकारी विश्वविद्यालय की ओर से अभी भी एडिशनल सब्जेक्ट कराया जा रहा है और अभ्यर्थी यह सोच रहा है कि आने वाली भर्ती परीक्षा में इस फोर्थ सब्जेक्ट या एडीशनल सब्जेक्ट का लाभ उसे मिलेगा. उन्होंने सवाल उठाया कि जब अभ्यर्थी प्राइवेट स्कूलों में इस बिहाफ पर पढ़ाने के लिए एलिजिबल है, तो फिर सरकारी नौकरी में उसे क्यों अटकाया जा रहा है.
एक अन्य अभ्यर्थी ने बताया कि एक्स्ट्रा क्वालिफिकेशन लेने के लिए बीए के बाद भर्तियों में शामिल होने के लिए राइट टू एजुकेशन के तहत एडिशनल सब्जेक्ट में डिग्री कराई जाती है, जिसके आधार पर 2016 और 2018 में नियुक्ति दी जा चुकी है, फिर इस बार 2023 में ऐसा क्या हुआ कि अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रक्रिया में प्रोविजनल लिस्ट में डाल दिया गया है. उन्होंने सवाल उठाए कि यदि सुप्रीम कोर्ट में 10 साल तक केस चलेगा तो क्या 10 साल तक उन्हें प्रोविजनल लिस्ट में ही रखा जाएगा.
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बता दें कि अतिरिक्त विषय से स्नातक एक ऐसी व्यवस्था है जिसके तहत मूल डिग्री में तीन ऑप्शनल सब्जेक्ट लेते हैं और इसके अलावा भी यूनिवर्सिटी ऑर्डिनेंस कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार फोर्थ ऑप्शनल सब्जेक्ट को एडिशनल के नाम से लिया जाता है, जिसमें मुख्य तीन साल के सिलेबस के साथ में एक से कंटेंट, एग्जामिनेशन पैटर्न के साथ क्रैक करके अपने साथ फोर्थ सब्जेक्ट की एक एडीशनल क्वालीफिकेशन शामिल करते हैं.