पटना : बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की गई पहले और दूसरे चरण की शिक्षक बहाली में दूसरे राज्यों के भी कई शिक्षक अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ मिला है. ऐसा विभिन्न आरटीआई रिपोर्ट से खुलासा हुआ है. बिहार के शिक्षक अभ्यर्थियों द्वारा बीपीएससी और शिक्षा विभाग से सूचना के अधिकार कानून के तहत मांगी गई जानकारी से यह जानकारी मिली है कि दूसरे राज्यों के दिव्यांग और महिला अभ्यर्थियों को भी बिहार में शिक्षक बहाली में आरक्षण का लाभ दिया गया है.
RTI से बड़ा खुलासा : आरक्षण का लाभ लेने के बाद यह अभ्यर्थी बिहार में शिक्षक भी बने हैं. ऐसे में शिक्षक नेता और शिक्षक अभ्यर्थियों को पढ़ाने वाले टीचर काफी नाराज हैं. बिहार विद्यालय अध्यापक संघ के अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा कि पहले आरटीआई करने पर कोई जवाब नहीं दी जा रही थी, लेकिन अब जब जवाब मिल रहा है तो अनियमित के कई चौंकाने वाले मामले सामने आ रहे हैं.
''यह सामान्य प्रशासन विभाग की पूर्व से अधिसूचना है कि बिहार में आरक्षण का लाभ सिर्फ बिहार के मूल निवासियों को ही मिलेगा. और चाहे महिला हो दिव्यांग हो या विभिन्न कोटि के उम्मीदवार हो जो दूसरे प्रदेश के हैं, वह सामान्य कोटि के 50% सीट पर ही फाइट करेंगे.''- अमित विक्रम, बिहार विद्यालय अध्यापक संघ
'दूसरे राज्य के अभ्यर्थियों को मिला आरक्षण' : यह जानकारी मिल रही है कि दूसरे राज्य के महिला उम्मीदवारों को भी आरक्षण का लाभ देकर यहां शिक्षक बनाया गया है, ऐसे दिव्यांग अभ्यर्थियों को भी शिक्षक बनाया गया है. यह नियमों का उल्लंघन है. वह शिक्षा विभाग से मांग करते हैं कि ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करके खाली पड़े सीट पर पूरक रिजल्ट जारी करते हुए बिहार के योग्य अभ्यर्थियों को शिक्षक बनाया जाए.
अनियमितता पर संघ की डिमांड : इसके अलावा संघ की मांग है कि बीपीएससी और शिक्षा विभाग इसकी पूरी जानकारी दे कि प्रदेश में ऐसे कितने शिक्षक हैं जो गलत तरीके से आरक्षण का लाभ लेकर शिक्षक बने हैं. बिहार में शिक्षक बहाली परीक्षा और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले शिक्षक गुरु रहमान ने बताया कि आरटीआई की रिपोर्ट को देखकर वह हैरान हैं.
''आयोग के अध्यक्ष एक आईएएस अधिकारी थे. अतुल प्रसाद को संवैधानिक नियमों का ज्ञान होना चाहिए और उन्हें यह पता होना चाहिए कि राज्य की नौकरियों में आरक्षण का लाभ राज्य के मूल निवासियों को ही मिलता है. इन नियमों को ताक में रखकर जिस प्रकार उत्तर प्रदेश के अभ्यर्थियों की नियुक्ति की गई है इससे लगता है कि यह एक संयोजित तरीके से प्रक्रिया को पूरा किया गया है.''- गुरू रहमान, शिक्षक
गुरु रहमान ने की जांच की मांग : गुरु रहमान ने कहा कि वह इस मामले की उचित जांच चाहते हैं और चाहते हैं कि अतुल प्रसाद की भूमिका की भी जांच हो कि आखिर कैसे संवैधानिक नियमों को ताक पर रखकर ऐसी नियुक्ति हुई है. इसके अलावा वह शिक्षा विभाग से मांग करते हैं कि ऐसे दूसरे राज्यों के शिक्षक जो गलत तरीके से आरक्षण का लाभ लेकर के शिक्षक बने हैं, उनकी नियुक्ति रद्द की जाए.
खाली सीटों पर जारी हो पूरक रिजल्ट : खाली पड़े जगह पर पहले चरण और दूसरे चरण के बहाली परीक्षा का पूरक रिजल्ट जारी कर बिहार के योग्य बेरोजगार अभ्यर्थियों को शिक्षक बनने का मौका दिया जाए. आरटीआई की इस रिपोर्ट के बाद से उनके पास कई शिक्षक अभ्यर्थियों के फोन आ रहे हैं जो काफी परेशान है और कह रहे हैं कि उनके साथ बहुत बड़ा अन्याय हुआ है.
बिहार की महिलाओं को ही 55 फीसदी आरक्षण : हालांकि यह मामला सामने आया है और शिक्षा विभाग भी इस पर हरकत में दिख रहा है. शिक्षक बनने के लिए बिहार के मूल निवासी महिलाओं को सीटेट परीक्षा में 55% अंक अनिवार्य था जबकि सामान्य रूप से यह 60% न्यूनतम अंक निर्धारित है. ऐसे में दूसरे राज्य की कई महिला शिक्षिकाओं को शिक्षा विभाग ने चिन्हित किया है जो दूसरे राज्य की है और 60% की न्यूनतम पात्रता अंक से कम होने और 55% से अधिक होने की स्थिति में बिहार में शिक्षक बनी हैं.
नियुक्ति पत्र वापस करने के निर्देश : ऐसी 10 शिक्षिकाओं को शिक्षा विभाग ने चिह्नित करते हुए उनसे नियुक्ति पत्र विभाग को वापस देने का निर्देश दिया है. शिक्षा विभाग ने स्पष्ट रूप से कहा है कि 55% सीटेट पात्रता अंक सिर्फ बिहार के महिलाओं के लिए ही है और आरक्षण का लाभ सिर्फ बिहार के मूल निवासियों को ही मिलेगा.
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