लखनऊ : यूपी ने चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है. सूबे में कैंसर की स्क्रीनिंग अब आसान हो चुकी है. मरीजों को इसका पूरा लाभ मिलेगा. पीजीआई को भी एम्स की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है. हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में कैंसर की स्क्रीनिंग होगी. स्तन, सर्वाइकल और मुंह के कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान आसानी से हो सकेगी. डॉक्टर की सलाह भी ले सकते हैं. उपमुख्यमंत्री व चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक की ओर से प्रेस रिलीज जारी कर साल 2024 में चिकित्सा क्षेत्र में हुए कार्यों के बारे में बताया गया.
बरेली-प्रयागराज में भी सीटी स्कैन की सुविधा मुहैया कराई गई है. मशीनों का डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने ऑनलाइन लोकार्पण किया. पीपीपी मोड पर प्रदेश के 71 जनपदों में मशीनों को स्थापित किया. स्वास्थ्य विभाग में एआई टेक्नोलॉजी इस्तेमाल होगी. टेली मेडिसिन सेवाओं में सुधार, गर्भवती महिलाओं को निशुल्क अल्ट्रासाउंड सुविधा को लेकर एमओयू साइन हुआ. उपमुख्यमंत्री की उपस्थिति में आईआईटी कानपुर, एसबीआई और फिक्की के साथ समझौता पत्र हस्ताक्षरित हुए.
इन अस्पतालों में लगेंगी नई मशीनें : लखनऊ के ठाकुरगंज टीबी व रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल में नवीन मशीनें लगेंगी. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने लैप्रोस्कोप, एनस्थीसिया वर्क स्टेशन के लिए दी वित्तीय स्वीकृति दी. मशीनों की खरीद के लिए 10.79 लाख रुपये की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई. इसके अलावा लखनऊ के फैजुल्लागंज में सरकारी अस्पताल की नींव रखी. 50 बेड के संयुक्त चिकित्सालय के भवन का निर्माण काम शुरू हुआ. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने निर्माण कार्य का शुभारम्भ किया.
दिमागी बुखार पर पाया नियंत्रण : वन डिस्ट्रिक्ट-वन मेडिकल कॉलेज का काम चल रहा है. वहीं, अस्पतालों में चिकित्सकों की नियुक्तियां हुईं हैं. एनएचएम के अंतर्गत 1907 चिकित्सकों को संविदा एवं 1917 चिकित्सकों की नियुक्ति वॉक इन इंटरव्यू के माध्यम से की गई. दिमागी बुखार पर अभूतपूर्ण नियंत्रण पाया गया है. प्रदेश में क्षय मरीजों को आधुनिक उपचार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रयोगशालाओं का नेटवर्क अपग्रेड किया गया है.
आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में इलाज की सुविधा : आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में मरीजों को इलाज मिल रहा है. यूपी में 22,455 क्रियाशील केंद्र हैं, जहां मरीजों का इलाज किया जाता है. पांच हजार की आबादी पर स्थापित इन केंद्रों पर 58 प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं. मरीजों की 13 तरह की जांचें की जाती हैं. सीएचओ के अतिरिक्त महिलाओं की जांच के लिए एएनएम तैनात हैं. सीएचसी पर भी 24 घंटे में पैथोलॉजी रिपोर्ट की सुविधा की जाएगी. मरीजों को गुणवत्तापूर्ण इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है. प्रदेश में ऑनकॉल डॉक्टर आ रहे हैं. स्त्री-प्रसूति रोग विशेषज्ञों, एनेस्थेटिस्टों की ड्यूटी निर्धारित की गई है. अतिरिक्त मानदेय भी चिकित्सकों को प्राप्त होगा.
चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम : स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण का पांच साल का ब्लू प्रिंट तैयार किया गया. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने बीएमजीएफ के साथ एमओसी का विस्तार किया. हस्ताक्षर समारोह में अगले पांच वर्षों के लिए कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा हुई. वहीं, एम्स की तर्ज पर पीजीआई विकसित होगा. नए विभाग खुलेंगे. डिप्टी सीएम की पहल पर काम शुरू हुआ. अस्पतालों में चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किया जाएगा.
एमबीबीएस की 1872 सीटें बढ़ीं : आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के आंकड़ों के तहत 4.7 करोड़ पंजीकरण हुआ. अकेले यूपी के ही 1.24 मरीज हुए रजिस्टर्ड, आंध्र प्रदेश दूसरे, बिहार तीसरे स्थान पर है. देशभर में सबसे ज्यादा ओपीडी पंजीकरण वाले 25 अस्पतालों में 15 उत्तर प्रदेश और उसके बाद पांच आंध्र प्रदेश के हैं. वहीं, प्रदेश के पांच मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई को मंजूरी दी गई है. वर्तमान शैक्षणिक सत्र में अब तक 1872 सीटों की बढ़ोतरी हुई है.
फेफड़ा प्रत्यारोपण की सुविधा मिलेगी : केजीएमयू में जल्द फेफड़ा प्रत्यारोपण की सुविधा शुरू होगी. इसके लिए केंद्र सरकार से वार्ता की जा रही है. जल्द ही मंजूरी मिल सकती है. मेडिकल कॉलेजों में अव्वल दर्जे की पढ़ाई होगी. अस्पतालों में अग्निशमन की उचित व्यवस्था की गई है. प्रदेश के सभी अस्पतालों में नियमित मॉक ड्रिल हुई है. अस्पतालों को हाईटेक उपकरणों से लैस किया गया है. मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से निपटने का खाका तैयार हुआ है. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के निर्देश पर समिति का गठन हुआ. समिति के सुझावों के आधार पर मरीजों को इलाज मिलेगा.
100 बेड का अस्पताल स्थापित : महाकुंभ-2025 के लिए व्यापक तैयारियां पूरी हो गई है. परेड स्थल पर 100 बेड का अस्पताल स्थापित हुआ है. डिप्टी सीएम ने दौरा कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया. 28 भिन्न श्रेणियों के कुल 231 चिकित्सक इस अस्पताल में तैनात किए गए हैं. प्रदेश को एक और मेडिकल कॉलेज का तोहफा मिला है. वाराणसी का पंडित दीन दयाल उपाध्याय जिला अस्पताल को मेडिकल कॉलेज बनाया जाएगा. इलाज के साथ मेडिकल की पढ़ाई भी होगी. इसके लिए दमानी ग्रुप से करार हुआ है.
लखनऊ-गोरखपुर में स्टेट टीबी ट्रेनिंग डिमांस्ट्रेशन सेंटर की घोषणा की गई है. नॉन एल्कॉहोलिक फैटी लिवर डिसीज (एनएएफएलडी) के गंभीर मरीजों को त्वरित इलाज, मेडिकल कॉलेजों के लिए करोड़ों रुपये का बजट हुआ जारी. टीबी को जड़ से मिटाने की दिशा में प्रदेश सरकार का अहम कदम. डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ व अन्य श्रेणी के स्वास्थ्य कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा.
वर्ष 2024 में स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख उपलब्धियां : एम्स की तर्ज पर विकसित हो रही पीजीआई. अयोध्या के रुदौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दंत रोगियों के इलाज के लिए डेंटल यूनिट की घोषणा हुई. दांतों की सभी तरह की बीमारियों का मुफ्त उपचार उपलब्ध कराया जाएगा. यूनिट स्थापित करने के लिए 5,82,400 रुपये स्वीकृत किया गया.
प्रदेश के 14 राज्य स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालयों में चिकित्सकीय उपकरणों की खरीद-फरोख्त के लिए 1,51,47,30,350 रुपये की घोषणा हुई. अमेठी, औरैया, कानपुर देहात, कुशीनगर, कौशाम्बी, गोण्डा, चन्दौली, पीलीभीत, बुलंदशहर, बिजनौर, लखीमपुर खीरी, ललितपुर, सुल्तानपुर एवं सोनभद्र जिले शामिल हैं. प्रति राज्य स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालय के लिए 10,81,95,025 रुपये आवंटित हुआ.
मरीजों के बेड एवं हॉस्पीटल फर्नीचर के लिए प्रति महाविद्यालय 2,72,93,900 रुपये को मंजूरी मिली. 14 महाविद्यालयों के लिए कुल 38,21,14600 रुपये स्वीकृत हुआ. महाविद्यालयों में प्रशासनिक फर्नीचर्स के लिए प्रति महाविद्यालय को 6,14,12,500 रुपये आवंटित किया गया.
यूपी में 6.25 लाख से अधिक टीबी मरीजों को नोटिफाई कर प्रदेश ने बनाया रिकार्ड. एक साल में देश में अब तक का सबसे अधिक नोटिफिकेशन किया गया. लखनऊ में सबसे अधिक 28283, आगरा में 27231 नोटिफिकेशन किया गया. राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत उत्तर प्रदेश ने 6,24,490 टीबी मरीजों को नोटिफाई कर देश में एक इतिहास रचा.
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